Home India City News अंतर्राष्ट्रीय वन मेले में चल रहा अंधविश्वास का खेल!

अंतर्राष्ट्रीय वन मेले में चल रहा अंधविश्वास का खेल!

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अंतर्राष्ट्रीय वन मेले में चल रहा अंधविश्वास का खेल!
International Forest Fair in bhopal
International Forest Fair in bhopal
International Forest Fair in bhopal

भोपाल। अंधविश्वास की जड़ें इतनी मजबूत हैं कि लोग आसानी से इसकी चपेट में आ जाते हैं। वहीं प्रशासन भी लोगों में अंधविश्वास पैदा करने वालों पर नकेल नहीं कसती जिसका ताजा उदाहरण भोपाल में देखने को मिला।

यहां चल रहे अंतर्राष्ट्रीय वन मेले में खुद प्रशासन अन्धविश्वास को बढ़ावा दे रहा है। मेले में जड़ी बूटियों और उनसे बनी दवाइयों को तो बेचा जा रहा है वही साथ ही मेले में स्पर्श चिकित्सा भी की जा रही हैं।

मेले में 18 नंबर स्टाल में बाबा योगेस्वर महिला पुरुषों को स्पर्श चिकित्सा से ठीक करने का दावा कर रहे है। बाबा देर तक महिलाओं व युवतियों के शरीर पर हाथ फेरते हैं।

ख़ास बात यह है कि जिम्मेदार कहते हैं कि बाबा को परमिशन दी गई है, वही बाबा का साफ़ कहना है कि उन्होंने किसी से परमिशन नहीं ली और सीधे अपनी दुकान मेले में खोल ली। खुद अधिकारियों की पत्नियों के इलाज़ का भी बाबा दावा कर रहे है। हालांकि उनकी स्पर्श चिकित्सा से लोगों को ख़ास फर्क नहीं है।

बाबा खुद को योग गुरु बताते हैं। दरअसल, भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में चल रहे चार दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वन मेंले में जड़ी बूटियों और उनसे बनी दवाइयों को बेचा जा रहा हैं लेकिन परिसर में एक और स्टॉल भी है। जहां नेपाल से आए बाबा स्पर्श चिकित्सा से कोई भी बीमारी दूर करने का दावा कर रहे हैं।

बाबा के पंडाल में लंबी लंबी लाइन लगी हैं। असाध्य रोगों को बाबा छूने भर से ठीक करने का दावा करते है। वही उनकी माने तो वह ऊर्जा खो चुके अंगों को अपनी ऊर्जा से जगाने का काम करते है। अपनी पॉजिटिव एनर्जी से पीडि़त का इलाज करते है।

जिम्मेदार भी इस तरह की दुकानों को सही करार दे रहे हैं और उनकी माने तो जड़ी बूटी से इलाज करते बाबा सही हैं। वहीं बाबा की माने तो उन्होंने तो मेले में अपनी दुकान लगाने किसी की परमिशन तक नही ली हैं।

एक तरफ सरकार अन्धविश्वास को खत्म करने अभियान चला रही है वही दूसरी तरफ सरकारी आयोजनों में ऐसी दुकानें लगाकर लोगो को अंधविश्वास के लिए प्रेरित किया जा रहा है और झाड़ा फूंकी के नाम पर कई ठगों को मौक़ा भी दे रही हैं। प्रशासन की इस अनदेखी से ही अंधविश्वास को पर पसारने का मौका मिलता हैं।