Home Breaking जस्टिस दीपक मिश्रा ने ली प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ

जस्टिस दीपक मिश्रा ने ली प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ

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जस्टिस दीपक मिश्रा ने ली प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ
justice Deepak Mishra sworn in as new Chief Justice of india
justice Deepak Mishra sworn in as new Chief Justice of india
justice Deepak Mishra sworn in as new Chief Justice of india

नई दिल्ली। न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने सोमवार को देश के 45वें प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ ली। मिश्रा जगदीश सिंह खेहर का स्थान लेंगे।

शीर्ष अदालत में उनका कार्यकाल 13 महीने व छह दिन का होगा। न्यायमूर्ति मिश्रा को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में शपथ दिलाई। न्यायाधीश खेहर का अंतिम कार्य दिवस 25 अगस्त को था।

शपथ ग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय वित्त व रक्षा मंत्री अरुण जेटली, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज व केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद मौजूद रहे।

इस मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व कांग्रेस के राज्य सभा में संसदीय दल के नेता गुलाम नबी आजाद भी मौजूद थे। समारोह में भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी भी उपस्थित थे।

शपथ ग्रहण समारोह में शीर्ष अदालत के मौजूदा व पूर्व न्यायधीश भी मौजूद रहे। इसमें पूर्व प्रधान न्यायाधीश टी.एस. ठाकुर, न्यायाधीश आर.एम. लोढ़ा, न्यायाधीश के.जी. बालकृष्णन व न्यायाधीश ए.एम अहमदी भी शामिल रहे। केरल के राज्यपाल पी.सदाशिवम भी शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद थे।

इस मौके पर अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल, पूर्व एजी मुकुल रोहतगी, प्रतिष्ठित न्यायविद् फली नरीमन, एससीबीए अध्यक्ष रूपिंदर सिंह सूरी भी मौजूद रहे।

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प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा दे चुके हैं कई बड़े फैसले

देश के प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ लेने वाले न्यायाधीश दीपक मिश्रा कई महत्वपूर्ण फैसले देने वाले न्यायाधीश के रूप में जाने जाते हैं। 63 वर्षीय न्यायाधीश मिश्रा 13 महीने, छह दिन तक प्रधान न्यायाधीश पद पर रहेंगे और अक्टूबर 2018 में सेवानिवृत्त होंगे।

न्यायाधीश मिश्रा बेहद शिक्षित व्यक्ति माने जाते हैं, खासकर प्राचीन भारतीय धर्मग्रंथों व साहित्य के विद्वान माने जाते हैं। न्यायाधीश मिश्रा ने ओडिशा उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस के साथ शुरुआत की थी। उन्हें 17 जनवरी, 1996 को ओडिशा उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

उन्हें तीन मार्च, 1997 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय स्थानांतरित कर दिया गया। वह 19 दिसंबर, 1997 को स्थायी तौर पर न्यायाधीश बना दिए गए।

उन्हें 23 दिसंबर, 2009 को पटना उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद 24 मई, 2010 को उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय बतौर मुख्य न्यायाधीश स्थानांतरित कर दिया गया।

न्यायाधीश मिश्रा को 10 अक्टूबर, 2010 को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया।प्रधान न्यायाधीश मिश्रा देश के उन न्यायाधीशों में गिने जाते हैं, जिन्हें कानून की बेहद बारीक जानकारियां हैं।

अपने एक ऐतिहासिक फैसले में न्यायाधीश मिश्रा ने एक दुष्कर्म के आरोपी और पीड़िता के बीच समझौते के तौर पर विवाह की बात नकार दी थी।

दिल्ली के बेहद दर्दनाक निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले में चार दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखने का फैसला भी न्यायाधीश मिश्रा ने ही दिया था। उन्होंने अपने फैसले में कहा था कि अगर कोई मामला फांसी की मांग करता है तो वह यही मामला है।

सिने कॉस्टूयम एंड मेकअप आर्टिस्ट्स एसोसिएशन द्वारा किसी महिला मेकअप आर्टिस्ट या हेयर ड्रेसर को सदस्य बनाए जाने पर लगाए गए प्रतिबंध को खत्म करने का फैसला देने वाली पीठ के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मिश्रा ही थे।

न्यायाधीश मिश्रा सर्वोच्च न्यायालय की उस संविधान पीठ में भी शामिल थे, जिसने फैसला सुनाया था कि आपराधिक मानहानि असंवैधानिक नहीं है।

न्यायाधीश मिश्रा को जिस फैसले ने आम लोगों में मशहूर किया, वह था सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य किए जाने का फैसला।

इसके अलावा वह उत्तराखंड में हरीश रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाकर राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के केंद्र सरकार के आदेश को खारिज करने वाली पीठ के भी अध्यक्ष रहे।

न्यायाधीश मिश्रा को न्यायाधीश पीसी पंत और न्यायाधीश अमिताव रॉय के साथ बंबई श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट मामले में अपराधी याकूब मेमन की मृत्युदंड के खिलाफ आखिरी मिनट में दायर की गई याचिका पर आधी रात को सुनवाई करने के लिए भी याद किया जाएगा।

न्यायाधीश मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ही भारतीय क्रिकेट में सुधारों को लेकर क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के ढांचे व कार्यप्रणाली में बदलाव के मामले की सुनवाई कर रही है।