Home Business बंसल का कमाल, सिस्को को 25,000 करोड़ में बेची अपनी कंपनी

बंसल का कमाल, सिस्को को 25,000 करोड़ में बेची अपनी कंपनी

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बंसल का कमाल, सिस्को को 25,000 करोड़ में बेची अपनी कंपनी
jyoti bansal sells his company to cisco
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बेंगलूरु। बंसल सरनेम ही अपने आप में काफी है। फ्लिपकार्ट के सचिन और बिन्नी बंसल, मिंट्रा के मुकेश बंसल, स्नैपडील के रोहित बंसल और लेंसकार्ट के पीयूष बंसल के बाद एक और बंसल ने बिजनस के दुनिया में झंडा गाड़ दिया है।

ज्योति बंसल ने अपनी कंपनी ऐपडायनामिक्स सिस्को को 3.7 बिलियन डॉलर (करीब 25 हजार करोड़ रुपए) में बेच दी। आपको बता दें कि एक पूर्व आईआईटियंस ज्योति बंसल ने 8 साल पहले ही इस कंपनी (एपडायनैमिक्स) को शुरू किया था और बहुत ही कम समय में वे इसको इस मुकाम तक ले गए। फिलहाल उनके पास कंपनी का सिर्फ 14 फीसदी मालिकाना हक ही था। यानी, बंसल को करीब 520 मिलियन डॉलर (3,400 करोड़ रुपए) मिलेंगे।

ऐपडायनामिक्स अपना आईपीओ लॉन्च करने वाला था, इससे एक दिन पहले कंपनी की बिक्री की घोषणा हुई। इस आईपीओ से कंपनी का वैल्युएशन 2 बिलियन डॉलर (करीब 13.6 हजार करोड़ रुपए) हो जाता। ऐपडायनामिक्स ने आखिरी दौर की फंडिंग में 1.9 बिलियन डॉलर (करीब 12.92 हजार करोड़ रुपए) जुटाए थे। इस लिहाज से देखें तो सिस्को जितने पैसे देने पर राजी हुआ, वह करीब-करीब दोगुना है।

ज्योति बंसल साल 1999 में आईआईटी दिल्ली से ग्रैजुएशन पूरा होते ही अमरीका चले गए थे। फोर्ब्स मैग्जीन में छपे एक लेख के मुताबिक बंसल के पिता ने उन्हें सिर्फ 200 डॉलर (करीब 13,000 हजार रुपए) दिए थे ताकि वो सिलिकॉन वैली तक जा सकें।

अधिग्रहण की घोषणा के तुरंत बाद डाले गए एक पोस्ट में बंसल ने लिखा ने कहा कि उन्हें तभी पता था कि वह आंट्रप्रन्योर बनना चाहते हैं जब वह भारत में अपने पिता के बिजनस में सहयोग कर रहे थे। सॉफ्टवेयर उनका पैशन है। उनकी नजर में सॉफ्टवेयर ऐसा जादू है जो तरह-तरह की समस्याओं को सुलझा सकता है।

बंसल दरअसल अग्रवाल समाज का ही एक समुदाय है जो व्यापारिक-वाणिज्यिक कौशल के लिए जाना जाता है। ग्रैजुएशन के बाद ज्योति बंसल एक स्टार्टअप में काम करने H-1B वीजा पर कुपरटिनो चल गए। वहां उन्हें ग्रीन कार्ड हासिल करने में आठ साल लग गए।

पिछले साल एक इंटरव्यू में फोर्ब्स को बताया कि मैंने रोजगार के लिए ग्रीन कार्ड का सात साल तक इंतजार किया। मैं नौकरी छोड़कर एक नई कंपनी खड़ा करना चाहता था, लेकिन ग्रीन कार्ड नहीं होने की वजह से नहीं कर पा रहा था।

साल 2005 में बंसल ने विली टेक्नॉलजी जॉइन कर ली। सीए (कंप्यूटर असोसिएट्स) ने साल 2006 में कपनी खरीद ली और दो साल बाद बंसल ने ऐपडायनामिक्स स्टार्ट करने के लिए सीए को छोड़ दिया।