Home India City News सालभर पहले हो चुका था बेदी को भाजपा में लाने का फैसला

सालभर पहले हो चुका था बेदी को भाजपा में लाने का फैसला

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सालभर पहले हो चुका था बेदी को भाजपा में लाने का फैसला
kiran bedi was critical of bjp just a year ago
kiran bedi was critical of bjp just a year ago
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नई दिल्ली। बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और दिल्ली के प्रभारी प्रभात झा ने कहा कि दिल्ली के लिए मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार किरण बेदी को पार्टी में लाने का निर्णय साल भर पहले ही हो गया था और उनके नाम पर पार्टी में कोई विवाद नहीं है।

झा ने कहा कि बेदी एक सफल पुलिस अधिकारी रही हैं और उनकी छवि बेदाग है। वह दिल्ली को अच्छी तरह जानती हैं और बेहतर नेतृत्व प्रदान कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी की संसदीय बोर्ड ने सर्वसम्मति से बेदी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा उनके नाम की घोषणा के बाद पार्टी में कहीं से भी किसी तरह का विरोध नहीं हुआ है।

यह पूछे जाने पर कि भाजपा के पास अपने कई स्थानीय नेता है और पार्टी ने किसी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं करने का एलान कर रखा था लेकिन दस जनवरी को रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में अपेक्षाकृत भीड़ नहीं जुटने के कारण क्या पार्टी को अपनी रणनीति बदलनी पड़ी, झा ने कहा कि दूसरे राज्यों की तुलना में दिल्ली का हिसाब अलग है। जहां तक बेदी के नाम की घोषणा के वक्त का सवाल है तो उन्हें भाजपा में लाने के बारे से एक साल पहले निर्णय ले लिया गया था।

झा ने कहा कि पार्टी ने चुनावी रणनीति के तहत सही समयपर बेदी को पार्टी में औपचारिकरूप से लाने की घोषणा की और उसे पूरा भरोसा है कि पंद्रह साल के बाद पहली बार केंद्र, दिल्ली तथा नगर निगम तीनों में एक ही पार्टी का शासन होगा। उनका कहना था कि दिल्ली के विकास के लिए इन तीनो में तालमेल की बहुत अधिक जरूरत है। ऎसी रिपोर्टो पर कि भाजपा आम आदमी पार्टी से सीधी टक्कर होने के कारण घबराई हुई है, उन्होंने कहा कि भाजपा सतर्क है लेकिन घबराहट जैसी कोई बात नहीं है।

भाजपा ने लोकसभा चुनाव के बाद हर विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की है और दिल्ली में भी उसे जीत हासिल होगी। महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव में भी भाजपा की जीत को लेकर आशंकाएं व्यक्त की गईं लेकिन जनता ने आखिरकार पार्टी को जिताया। आप के नेता अरविंद केजरीवाल की बेदी से सीधी बहस की चुनौती पर झा ने कहा कि इसकी जरूरत नहीं है और यह केवल वक्त की बर्बादी होगी। केजरीवाल जो कहते हैं उसे पूरा नहीं करते।

उनकी प्रधानमंत्री बनने की इच्छा हुई तो वे मोदी से लड़ने के लिए बनारस पहुंच गए। केजरीवाल ने कहा था कि चुनाव जीते या हारें वे वहीं गंगा किनारे रहेंगे। लेकिन चुनाव हार गए और अभी तक एक बार भी लौटकर बनारस नहीं गए। दरअसल उन्होंने अब तक सिर्फ अराजकता की राजनीति की है। उनके साथ गंभीर मुद्दे पर चर्चा हो ही नहीं सकती।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय और कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं को टिकट नहीं दिए जाने पर पार्टी में हो रहे विरोध पर उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं है कि हर कोई चुनाव ही लडे। आखिर पार्टी की जिम्मेदारी भी तो बड़ी जिम्मेदारी होती है। भाजपा एक अनुशासित पार्टी है और हर कार्यकर्ता को पार्टी के निर्णय को मानना होता है। सब भलीभांति जानते हैं कि जिस किसी ने भी पार्टी से किनारा किया उसका खुद का वजूद ही नहीं रहा। टिकट बंटवारे को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन पर उन्होंने कहा कि टिकट नहीं मिलने पर पार्टी के लोगों में निराशा होनी स्वाभाविक है।

उन्हें गुस्सा भी आ सकता है और उसे व्यक्त करने के लिए वे अपने नेता के पास ही तो जाएंगे। कई लोगों ने उनके पास आकर भी गुस्सा जताया लेकिन सबको मना लिया जाएगा। दिल्ली की 70 सीटों में 68 सीटों पर कोई विरोध नहीं और यह कोई मामूली बात नहीं है। लेकिन यह बात भी ध्यान देने लायक है कि भाजपा के एक भी बागी उम्मीदवार ने नामांकन नहीं किया है।

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