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नवरात्र पर जौ बोने की परंपरा के पीछे छिपा राज

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नवरात्र पर जौ बोने की परंपरा के पीछे छिपा राज
Know the success of Barley

Know the success of Barley

Know the success of Barley

आज हम आप को जौ बोने के पीछे की धार्मिक मान्यता के बारे में के बारे जानकारी साझा कर रहे हैं। जौ से आप जान पाएंगे की आपको कितना संघर्ष करना हैं और फल कब मिलेंगे। आइये जाने जौ के पीछे की सफलता।…..

सदियों से नवरात्र पर घटस्थापना और जौ बोने की परंपरा चली आ रही हैं। नवरात्र के पहले दिन पूजा करके कलश की स्थापना की जाती हैं, जिसमें जौ को बो ​दिया जाता हैं।

इसके अगले दो या ​तीन में जौ में से जयंती निकल जाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जौ से निकलने वाली यह जयंती आपके आने वाले समय को बता देती हैं। पढिए पूरी कहानी।

  • जौ बोने के दो या तीन दिन बाद अंकुरित होकर जयंती निकल जाती हैं। लेकिन यदि यह देर से निकलती है तो माना जाता हैं कि आने वाले समय में आपको अधिक मेहनत करनी पड़ेगी और इसका फल भी देर से मिलेगा।
  •  अगर जयंती का रंग लाल हो जाता है तो यह संकेत होता है कि आपको शुत्रओं और रोग से कष्ट होने वाला हैं।
  • अगर जयंती का रंग नीचे से पीला और उपर से हरा हो तो माना जाता है कि वर्ष की शुरुआत खराब होती हैं। चूंकि चैत्र शुक्ल पक्ष के नवरात्रों के साथ ही हिंदु नवसंवत्सर शुरू हो जाता हैं।
  •  इसके उलट अगर जयंती का रंग नीचे से हरा और उपर से पीला हो वर्ष की शुरुआत अच्छी होती है, लेकिन बाद में परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं।
  •  वहीं ऐसा भी माना है कि अगर आपकर जयंती पुष्ट, हरा व सफेद रंग की है तो पूरा वर्ष अच्छा होगा।
  • यदि जयंती अशुभ संकेत दे रही है तो मां से विपदा दूर करने की प्रार्थना करें और दसवीें तिथि को नवग्रह के नाम पर 108 बार हवन करें।
  • मां के बीच मंत्र को बोलते हुए 1008 बार हवन करें। हवन के बाद मां की आरती करें। हवन की भभूत से रोज तिलक करना ना भूलें।

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