Home Bihar पूर्व रेलमंत्री मिश्र हत्याकांड : 4 दोषियों को उम्रकैद

पूर्व रेलमंत्री मिश्र हत्याकांड : 4 दोषियों को उम्रकैद

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lalit  narayan mishra murder case : 4 convicts get life term
lalit narayan mishra murder case : 4 convicts get life term

नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने गुरूवार को पूर्व रेलमंत्री ललित नारायण मिश्र हत्याकांड मामले में दोषी करार दिए गए चार अपराधियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। मिश्र की हत्या 1975 में हुई थी और 39 वर्ष बाद इस मामले में फैसला आया है।

जिला न्यायाधीश विनोद गोयल ने चारों दोषियों गोपालजी (73), रंजन द्विवेदी (66), संतोषानंद अवधूत (75) और सुदेवानंद अवधूत (79) को उम्रकैद की सजा सुनाई। फैसले से 39 साल पहले हुए हत्याकांड में हिंदू संगठन “आनंदमार्ग” के चार अनुयायियों को आठ दिसंबर को दोषी करार दिया गया था।

इन्हें हत्या, साजिश, खतरनाक हथियार से गंभीर हमला करने के मामले में दोषी करार दिया गया था। इस मामले में अधिकतम मौत की सजा का प्रावधान है। संतोषानंद अवधूत और सुदेवानंद अवधूत को विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के अंतर्गत भी दोषी करार दिया गया था।

अदालत ने सुदेवानंद अवधूत पर 40 हजार रूपए, संतोषानंद अवधूत पर 30 हजार रूपए और द्विवेदी और गोपाल जी पर 20-20 हजार रूपए का जुर्माना लगाया। सजा सुनाए जाने के दौरान चारों दोषी खचाखच भरी अदालत में मौजूद थे।

न्यायाधीश ने कहा कि चूंकि वारदात लगभग 40 साल पहले हुई थी और ये आरोपी घटना के समय भले ही युवा थे, मगर अब बुजुर्ग हो चुके हैं, इसीलिए यह “रेयरेस्ट ऑफ रेयर” मामला नहीं बनता, जिसमें मौत की सजा का प्रावधान है।

बचाव पक्ष के वकीलों ने कहा कि वे अदालत के इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैंऔर वे इसे ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे। अदालत ने बिहार सरकार को निर्देश दिया कि वह विस्फोट में मारे गए तीन लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रूपये मुआवजा दे। मारे गए तीन लोग हैं- मिश्र स्वयं, सूर्यनारायण झा और रामकिशोर सिंह किशोर।

अदालत ने कहा कि गंभीर रूप से घायल सात व्यक्तियों को 1.5 लाख रूपए और मामूली रूप से घायल 18 व्यक्तियों को 50-50 हजार रूपए मुआवजा दिया जाए।

मामले के दोषी संतोषानंद अवधूत एवं सुदेवानंद अवधूत 12 साल और गोपालजी 11 साल जेल में बिता चुके हैं जबकि रंजन द्विवेदी तीन साल जेल में रह चुके हैं।

केंद्रीय जांच ब्यूरो का आरोप है कि आनंदमार्ग के एक नेता की रिहाई के लिए सरकार पर दबाव बनाने के मकसद से आनंदमार्ग के अनुयायियों ने मिश्र पर हमला करवाया था।

घटना के छह वर्षो बाद यानी 1981 में आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया था। वर्ष 1979 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद मामले को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया था।

बतौर रेलमंत्री मिश्र दो जनवरी, 1975 को समस्तीपुर-मुजफ्फरपुर ब्रॉडगेज रेलवे लाइन का उद्घाटन करने के लिए समस्तीपुर गए थे। बम विस्फोट में घायल होने के बाद उन्हें दानापुर के रेलवे अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां अगले दिन 3 जनवरी, 1975 को उनका निधन हो गया था।

उनके निधन के बाद मिथिला क्षेत्र का विकास जो थमा, वह अब तक रफ्तार नहीं पकड़ सका है। मिथिला के लोग आज भी अपने प्रिय ललित बाबू के प्रति अत्यंत सम्मान भाव रखते हैं।

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