Home Headlines अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम को बड़ी राहत, प्रोटेक्शन वारंट निरस्त

अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम को बड़ी राहत, प्रोटेक्शन वारंट निरस्त

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अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम को बड़ी राहत, प्रोटेक्शन वारंट निरस्त
Madhya Pradesh high court red flag FIR against Abu Salem by Bhopal police
Madhya Pradesh high court red flag FIR against Abu Salem by Bhopal police
Madhya Pradesh high court red flag FIR against Abu Salem by Bhopal police

जबलपुर। अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम को शुक्रवार को जबलपुर उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिल गई। उसके खिलाफ भोपाल जिला न्यायालय द्वारा जारी प्रोटेक्शन वारंट को निरस्त करते हुए न्यायाधीश विवेक अग्रवाल ने आदेश दिया है कि सलेम के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार प्रत्यर्पण संधि के मुताबिक मुकदमा चलाया जाए।

अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने बताया कि अबू सलेम ने भोपाल में पुलिस द्वारा दसवां अपराधिक मामला दर्ज किए जाने तथा जिला न्यायालय द्वारा उसके खिलाफ प्रोटेक्शन वारंट जारी किए जाने के खिलाफ उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका दायर की गई थी।

याचिका में कहा गया था कि प्रत्यार्पण संधि के अनुसार, उसके खिलाफ सिर्फ नौ आपराधिक मामले ही भारत में चल सकते हैं। दसवां मामला दर्ज किया जाना प्रत्यर्पण संधि का उल्लंघन है।

बागरेचा के मुताबिक न्यायाधीश विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने अपने विस्तृत फैसले में भोपाल जिला न्यायालय द्वारा याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी प्रोटेक्शन वारंट को निरस्त कर दिया है।

एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने प्रत्यर्पण संधि के अनुसार अबू सलेम के खिलाफ मुकदमा चलाने के निर्देश दिए हैं। इसलिए भोपाल जिला न्यायालय इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करे।

अबू सलेम की तरफ से याचिका वर्ष 2014 में दायर की गई थी, जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2003 में प्रत्यर्पण संधि के तहत उसे पुतर्गाल से भारत लाया गया था और उसके खिलाफ 9 आपराधिक मामले भारत में चलाए जाने थे।

याचिका में कहा गया है कि भोपाल पुलिस ने प्रत्यर्पण संधि का उल्लंघन करते हुए उसके खिलाफ हत्या व षड्यंत्र का दसवां आपराधिक मुकदमा दर्ज किया है, जो दोनों देशों के बीच तय हुई प्रत्यर्पण शर्तो का खुला उल्लंघन है व अवैधानिक भी।

याचिका में कहा गया है कि प्रत्यर्पण शर्तो के अनुसार उसके खिलाफ मुंबई में दो, दिल्ली में चार तथा सीबीआई के द्वारा तीन आपराधिक मामले चलाए जाने थे। भोपाल के परवलिया सड़क पुलिस थाने में वर्ष 2002 में दर्ज हत्या के मामले में उसे आरोपी बनाया गया। भोपाल जिला न्यायालय ने उसके खिलाफ 15 जनवरी को प्रोटेक्शन वारंट जारी किया था।

अधिवक्ता भूपेंद्र तिवारी और पुष्पेंद्र दुबे ने बताया है कि भोपाल जिला न्यायालय द्वारा जारी प्रोटेक्शन वारंट पर मुंबई की टाडा ने रोक लगा दी थी। याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से पेश जवाब में कहा गया था कि भोपाल पुलिस ने प्रत्यर्पण संधि से पहले अबू सलेम व अन्य के खिलाफ यह मामला दर्ज किया था।

याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए दलील दी गई कि सीबीआई ने एक मामले की जांच के बाद अबू सलेम के खिलाफ टाडा की धारा लगाई थी। प्रत्यर्पण संधि के कारण सीबीआई को उन धाराओं को हटाने के लिए दोबारा सर्वोच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ी थी।

याचिका की सुनवाई के दौरान एटार्नी जनरल ऑफ इंडिया ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया था कि अबू सलेम के खिलाफ प्रत्यार्पण संधि के तहत सिर्फ नौ अपराधिक मामलों की सुनवाई देश के विभिन्न न्यायालयों में होगी तथा उसके खिलाफ अन्य मामले वापस ले लिए जाएंगे।