Home Breaking अकेले कांग्रेस मोदी से मुकाबला नहीं कर सकती : मणिशंकर अय्यर

अकेले कांग्रेस मोदी से मुकाबला नहीं कर सकती : मणिशंकर अय्यर

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अकेले कांग्रेस मोदी से मुकाबला नहीं कर सकती : मणिशंकर अय्यर
Mani Shankar Aiyar calls for change in leadership, says congress cannot defeat modi alone
Mani Shankar Aiyar calls for change in leadership, says congress cannot defeat modi alone
Mani Shankar Aiyar calls for change in leadership, says congress cannot defeat modi alone

नई दिल्ली। पांच राज्यों के चुनावी नतीजों में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी में संगठनात्मक बदलाव के सुर एक बार फिर उठने लगे हैं।

इस बार कांग्रेस कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने हार का ठीकरा बुजुर्ग महासचिवों पर फोड़ते हुए उन्हें कार्य समिति में काम करने की और मोदी से मुकाबला करने के लिए युवाओं को महासचिव बनाने की नसीहत दी है।

उन्होंने कहा कि अकेले कांग्रेस मोदी से मुकाबला नहीं कर सकती। मणिशंकर अय्यर ने गुरुवार को पार्टी को कहा है कि आनेवाले लोकसभा चुनाव में बिहार की तर्ज पर महागठबंधन जरूरी है। तभी भाजपा को शिकस्त दी जा सकती है।

उन्होंने कहा कि यूपी में अगर मायावती, सपा और कांग्रेस का गठबंधन हुआ होता तो परिणाम कुछ और ही निकलकर आते साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व में बदलाव लाने की आवश्यकता है।

अय्यर ने कहा कि मोदी के आने के बाद कांग्रेस लगातार देश में घटती जा रही है। उन्होंने कहा कि पार्टी में युवाओं को महासचिव बनाए जाने की जरूरत है। साथ ही जो महासचिव बुजुर्ग हो चुके हैं, उन्हें कांग्रेस वर्किंग कमेटी में सुशोभित कर दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यूपी के नतीजों की बात करें तो सपा, कांग्रेस और बसपा का वोट प्रतिशत भाजपा से ज्यादा है। इसलिए भाजपा को हराने के लिए बिहार की तर्ज पर महागठबंधन जरूरी है।

हालांकि मणिशंकर अय्यर एकमात्र ऐसे नेता नहीं है जिन्होंने संगठन में परिवर्तन की वकालत की है। इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कहा था कि सुनते आ रहे हैं कि अब बड़ा बदलाव होगा। लेकिन अभी तक तो कुछ ऐसा हुआ नहीं है। अगर बदलाव होता है तो देर आए दुरुस्त होने वाली बात होगी।

उन्होंने कहा कि अब समय की मांग ये है कि जो लोग जमीन से जुड़े हैं वे लोग जनता के बीच जाएं और कांग्रेस की नीतियों का प्रचार-प्रसार करें। कांग्रेस को दशा और दिशा बदलने की जरूरत है। पराजय को बड़ी चीज नहीं मानता हूं। लोकतांत्रिक व्यवस्था में हार और जीत के लिए पार्टियों को तैयार रहना चाहिए। हम हार के बाद भी वापसी कर सकते हैं।

इससे पहले उन्होंने मंगलवार को भी कहा था कि समय रहते जब पार्टी में बदलाव करना चाहिए, उस वक्त बदलाव नहीं किया गया। उल्लेखनीय है कि पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में करारी हार का सामना करना पड़ा था।

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की संख्या इकाई के अंक में सिमट कर रह गई है। उत्तर प्रदेश में मिली करारी हार पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि जिस तरह से हर शख्स के जीवन में उतार चढ़ाव आता है, ठीक वैसे ही पार्टियों के जीवन में भी होता है। हमें हार से सबक लेकर जीत का रास्ता तैयार करना चाहिए।

दरअसल पिछले कुछ समय से कांग्रेस की फितरत हो गई है कि हर हार के बाद उसके कुछ नेता सर्जरी या ओवरहॉलिंग की बात करते हैं लेकिन इससे वे गांधी परिवार को साफ बख्श देते हैं।

कुछ दिन गहमागहमी रहती है, फिर सब कुछ पुराने ढर्रे पर आ जाता है। अगर यही सिलसिला चलता रहा तो देश की यह सबसे पुरानी पार्टी इतिहास के पन्नों में सिमट सकती है।