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मंगल ग्रह का तुला राशि में प्रवेश

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मंगल ग्रह का तुला राशि में प्रवेश

सबगुरु नयूज। दिनांक 29 नवम्बर को सूर्योदय के 29 घंटे ओर 21 मिनट बाद मंगल ग्रह ने सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हुए तुला राशि के चित्रा नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश किया। मंगल ग्रह 16 जनवरी 2018 तक तुला राशि में भ्रमण करेंगे और फिर वृश्चिक राशि मे प्रवेश करेंगे।

इस भ्रमण में चित्रा स्वाति और विशाखा नक्षत्र में को पार कर विशाखा नक्षत्र के चौथे चरण में वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। मंगल ग्रह का यह राशि परिवर्तन विशेष रूप से वर्षा की कमी करेगा और फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है तथा बाजारों में महंगाई को बढ़ाएगा।

राजनीति व कूटनीति के प्रमुख ग्रह शुक्र की राशि तुला में भ्रमण कर राजनीति और राजनेताओं में कटुता और वैमनस्य को बढ़ाएंगे। गुरू ग्रह के साथ तुला राशि में संयोग से शैक्षणिक बौद्धिक और वाणिज्यिक गतिविधियों को एकदम प्रभावित करेगा तथा कलाकार और कला जगत को लाभ के अवसर दिला सकता है। जलीय तटों पर आपदाओं को बढा सकता है और भूकंप सुनामी जैसे तूफान से विश्व स्तर पर नुकसान पहुंचा सकता है।

मंगल ग्रह के बारे में पढें

सदियों से मंगल ग्रह को तेज आक्रमक योद्धा की तरह माना जाता है। यह हड्डी, मांस, मदिरा, खून, पेट का कारक ग्रह माना जाता है। नैसर्गिक कुंडली में मंगल का पहला और आठवां स्थान होने से यह जीवन और मृत्यु का ग्रह माना जाता है। वजह यह है ​कि पहले स्थान से जन्म और आठवें स्थान से मृत्यु का विचार किया जाता है।

दुनिया की तमाम भू सम्पत्ति का कारक ग्रह मंगल होता है। यह व्यक्ति को अहम्वादी और तुनक मिजाजी बनाता है तथा जीवन में 28 साल तक प्रभावित करता है।

जन्म काल में इसकी शुभ स्थिति व्यक्ति को पुलिस व सेना का अधिकारी, सम्पतियों का स्वामी, इंजीनियर तथा डाक्टर बनातीं है और अशुभ स्थिति से तस्कर, डकैत और चोर बना देती हैं। ख़ून सम्बन्धी बीमारियों को भी मंगल ग्रह देता है। दाम्पत्य जीवन को भी प्रभावित कर देता हैं।

खराब मंगल होने पर मंगल के दिन हनुमान जी की पूजा उपासना व गुड दान करने व मूंगा पहनने की मान्यता है।

इस समय तुला राशि में गुरू व मंगल का संयोग शुभ दायक बना है। लेकिन वृश्चिक के सूर्य से दूसरा और बाहरवा संबध देश और दुनिया को प्राकृतिक प्रकोपो से परेशान कर सकता है।

मंगल ग्रह को भूमि पुत्र भी कहा जाता है। यह अग्नि तत्व प्रधान तथा विद्युत की तरह चमकदार और लाल रंग के है। मंगल ग्रह दो राशियों मेष व वृश्चिक राशि के स्वामी हैं तथा कर्क राशि में यह नीच राशि और मकर राशि में उच्च का होता है। मंगल ग्रह जहां बैठते हैं वहां से सातवीं दृष्टि से देखते है और चौथी तथा आठवीं दृष्टि से भी देखते हैं।

यह तमोगुणी, अग्नि तत्व, पित्त प्रधान तथा पुरूष पाप ग्रह है। ग्रीष्म ऋतु दक्षिण दिशा का कारक ग्रह माना जाता मंगल ग्रह आक्रमक योद्धा, साहसी, महत्वाकांक्षी होता है।

मंगल की वस्तुए गेहूं, मसूर ताम्र वस्त्र गुड तथा स्वर्ण। शारीरिक और मानसिक कार्यो को करने वाला मंगल ग्रह ही होता है। दबंग तर्क शक्ति व तुरंत निर्णय लेने का गुण भी मंगल का ही होता है। मंगल स्टील, सर्जरी, रसायन शास्त्र, मिलिट्री दंत चिकित्सक, कसाई, दवा विक्रेता, घाव, हेमरेज, मासिक धर्म, रक्त बहाव, पीलिया, सिर दर्द, अस्त्र शस्त्र युद्ध, अवैध सैक्स, पिमपल, गुप्त विज्ञान, ईमानदारी और आत्मविश्वास का कारक ग्रह भी माना जाता है।

मंगल प्रधान व्यक्ति पुलिस, राजनेता, भू स्वामी औषधि व बिजली के सामान का विक्रेता डाकू तथा तस्कर होता है। मंगल ग्रह एक राशि पर डेढ़ माह तक रहता है। यह मृगशिरा चित्रा और घनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी होता है।

वन, जंगल, जली हुई जमीन, भाई तथा दिन में फल देने वाला ग्रह होता है। यह सूर्य चन्द्रमा और गुरू का मित्र तथा बुध और राहू का शत्रु तथा शुक्र शनि ग्रह से सम भाव रखता है। कर्क राशि व मीन राशि वालों को मंगल थोड़ा चिन्ता ग्रस्त करेगा शेष राशि वालों को सामान्य फल देगा।

सौजन्य : भंवरलाल