Home India City News मेधा पाटकर व साथियों की रिहाई के लिए हजारों विस्थापित सड़क पर उतरे

मेधा पाटकर व साथियों की रिहाई के लिए हजारों विस्थापित सड़क पर उतरे

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मेधा पाटकर व साथियों की रिहाई के लिए हजारों विस्थापित सड़क पर उतरे

धार। सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाए जाने से डूब में आने वाले मध्यप्रदेश के नर्मदा घाटी के गांव के बेहतर पुनर्वास की मांग को लेकर आंदोलन कर रहीं नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर सहित चार लोगों की रिहाई के लिए शनिवार को धार के कुक्षी में हजारों विस्थापितों ने सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में शमिल लोगों ने नारा लगाया-मेधा व अन्य को रिहा करो या प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करो।

मेधा पाटकर को अनशन के 12वें दिन पुलिस ने जबरन एंबुलेंस में डाल दिया था और उन्हें एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करा दिया गया, जबकि मेधा ने संकल्प लिया था कि वह किसी प्राइवेट अस्पताल में अपना इलाज कभी कराएंगी, क्योंकि ऐसे अस्पतालों का मकसद सेवा नहीं, लोगों को लूटना है।

अनशन के 14वें दिन मेधा को अस्पताल से छुट्टी मिल गई। वह अपने तीन सहयोगियों के साथ एक कार में बड़वानी की ओर जा रही थीं। धार जिले की सीमा पर उनकी कार पुलिस ने रोक ली। कार के चालक को हटाकर एक पुलिसकर्मी कार चलाने लगा। मेधा की कार धार जिला जेल के सामने आकर रुकी। मेधा व उनके तीनों सहयोगियों को जेल में बंद कर दिया गया। वे 11 दिन से सलाखों के पीछे हैं, उनका स्वतंत्रता दिवस भी जेल में ही बीता।

नर्मदा बचाओ आंदोलन की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, मेधा व तीन अन्य शंटू भाई, विजय भाई, धुरजी भाई पर झूठे मामले दर्ज कर 11 दिनों से जेल में बंद रखा गया है, मेधा से सरदार सरोवर बांध क्षेत्र में न जाने का बांड भरने को कहा जा रहा है। वह इसके लिए तैयार नहीं हैं, इसलिए उन्हें जमानत नहीं दी जा रही है।

नर्मदा बचाओ आंदोलन के मुताबिक, निसरपुर, बटगांव, चिखल्दा, बड़वानी, निसरपुर, कड़माल जैसे कई डूब प्रभावित गांवों के 50 ज्ञात और 2500 अज्ञात लोगों पर भी झूठे मामले नामजद हैं। सरकार ऐसा करके आंदोलन को कमजोर करने की सोच रही है, लेकिन इसके जवाब में विस्थापितों ने बड़ी संख्या में जेल भरो रैली निकालकर प्रदर्शन किया।

प्रदर्शन में शामिल कमला यादव ने कहा कि शांतिपूर्ण उपवास पर बैठे लोगों पर हमला कर, उन्हें गिरफ्तार कर प्रशासन ने खुद शांति भंग की और उल्टा हम पर अशांति फैलाने का आरोप लगाया गया। हमारे लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया, शिवराज सरकार की इस कायरता की हम निंदा करते हैं।

विस्थापितों ने कहा कि मेधा पाटकर ने जब सरदार सरोवर प्रभावित क्षेत्रों में एक साल तक प्रवेश न करने की शर्त वाले मध्यप्रदेश पुलिस के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया, तब उन पर अपहरण और शांति भंग करने जैसे फर्जी मामले दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

उन्होंने कहा कि मेधा पाटकर 32 सालों से हमारे लिए संघर्ष कर रही हैं, यदि सरकार मनिबेली से लेकर नावड़ा टोली तक पुनर्वास करे और फिर पानी भरे, तो इससे हमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इस तरह बिना पुनर्वास बेदखली का हम विरोध करते हैं और करते रहेंगे।