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मोदी ‘पूंजीपतियों से सांठगांठ के आरोप’ को लेकर राहुल पर बरसे

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मोदी ‘पूंजीपतियों से सांठगांठ के आरोप’ को लेकर राहुल पर बरसे

पाटन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार पर क्रोनी कैपिटलिज्म (पूंजीपतियों से सांठगांठ वाली व्यवस्था) चलाने के आरोप को लेकर सोमवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर जोरदार हमले किए।

उन्होंने कहा कि ऐसी भाषा वे लोग ही बोल सकते हैं, जिन्होंने कभी गरीबी नहीं देखी है। मोदी ने गला खराब होने के बावजूद गरजते हुए कहा कि आप कुछ कहते हैं, वह भूल हो सकती है। आप वही बात दोबारा बोलते हैं, जिसे फिर भी माफ की जा सकती है। लेकिन आप दो महीनों से बार-बार वही कर रहे हैं। आपको लगता है कि हर कोई मूर्ख है जो हर जगह झूठ फैला रहे हैं।

सोमवार को यह मोदी की पहली जनसभा थी, जो निर्धारित समय से दो घंटे देर से शुरू हुई। राहुल गांधी गुजरात में अपने पूरे चुनाव अभियान के दौरान लगातार यह आरोप लगाते रहे हैं कि विकास के मोदी मॉडल का अभिप्राय गरीबों और किसानों से जमीन व संसाधन लेकर टाटा और अडानी समेत मुट्ठीभर कॉरपोरेट को देना है।

गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के लिए चुनाव प्रचार समाप्त होने के 24 घंटे पहले कांग्रेस नेता के आक्षेप का जवाब देते हुए मोदी ने कहा कि मैं कटोरा लेकर गुजरात के कोने-कोने में गया और लोगों से कहा कि वे अपनी बेटियों को स्कूल भेजें।

मोदी ने आगे कहा कि क्या मैं अंबानियों की बेटियों की शिक्षा की बात कर रहा था? क्या मैं किलाचंद की बेटियों के बारे में बात कर रहा था? मैं लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के मकसद से 45 डिग्री की गर्मी में गांव-गांव घूमता था। इस संबंध में वो क्या जानेंगे जो अपने मुंह में चांदी के चम्मच लेकर पैदा हुए हैं।

उन्होंने कहा कि बतौर मुख्यमंत्री मैं और मेरे मंत्रिगण बुआई और कटाई के सीजन में आधुनिक खेती को प्रोत्साहन देने के मकसद से ‘कृषि रथ’ निकाला करते थे। हमारे जूते और चप्पलें घिस जाते थे। हम नंगे पांव धूप में पैदल चलते थे। उनके (राहुल गांधी) पैरों में कभी कांटे नहीं चुभे होंगे।

उत्तरी गुजरात के पाटन में जनसभा को संबोधित करने के क्रम में मोदी ने रुक-रुक कर भीड़ से पूछा कि क्या उन्हें याद है कि उन्होंने ये सब किया है। उन्होंने जोर देकर लोगों से पूछा कि मुझे बताइए कि मैंने किया था या नहीं। ऐसे नहीं, जोर से बोलिए और अपने दोनों हाथ उठाकर बोलिए।

मोदी ने फिर सवालिया लहजे में कहा कि आप बार-बार झूठ बोल रहे हैं और सोचते हैं कि हर कोई मूर्ख है कि आप जो बोल रहे हैं उस पर विश्वास कर लेगा। मैंने कृषि रथ से हर गांव की यात्रा की थी। क्या यह अडानियों के लिए था?