Home Astrology सावन के सोमवार की महत्ता, शिव की आराधना से खत्म होंगी बाधाएं

सावन के सोमवार की महत्ता, शिव की आराधना से खत्म होंगी बाधाएं

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सावन के सोमवार की महत्ता, शिव की आराधना से खत्म होंगी बाधाएं
importance of Sawan somvar and vrat rules
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इस बार पवित्र सावन माह में चार सोमवार पड़ रहे हैं। इन चारों दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं। इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से सभी बाधाएं खत्म होंगी। सावन महीने का पहला सोमवार 25 जुलाई को है।

सावन के पहले सोमवार को लेकर शिवालयों में विशेष तैयारियां चल रही हैं। श्रद्धालु भी इस दिन के व्रत और भगवान शिव की विशेष पूजा के लिए तैयारी में जुटे हुए हैं। उत्तर प्रदेश के शिवालयों में कांवड़ियों और अन्य श्रद्धालुओं की इस दिन होने वाली भारी भीड़ के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किये गये हैं।

पौराणिक शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान शंकर को सावन (श्रावण) का महीना बहुत ही प्रिय है। इस माह में वह अपने भक्तों पर अतिशय कृपा बरसाते हैं। इस पवित्र माह में भी सोमवार का विशेष महत्व होता है।

सावन का आगमन प्रतिपदा तिथि और उत्तर आषाढ़ नक्षत्र में 20 जुलाई को हुआ। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो 50 वर्ष बाद सावन में ऐसा योग बन रहा है, जिसमें रोजगार में तरक्की, आय में वृद्धि ज्ञान और कृषि के क्षेत्र में उन्नति की संभावनाएं प्रबल हैं। इसी के साथ बीमारियों से छुटकारा दिलाने वाले जैसे कई ग्रह परिवर्तन भी इसी महीने में हो रह हैं।

शास्त्रों के अनुसार श्रावण माह शुरु होने से पहले ही देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं। इसलिए यह समय भक्तों, साधु-संतों के लिए अमूल्य होता है। यह चार महीनों में होने वाला एक वैदिक यज्ञ है, जो एक प्रकार का पौराणिक व्रत है जिसे चातुर्मास कहा जाता है।

इस चार मास तक भगवान शिव ही इस सृष्टि के पालनकर्ता रहते हैं। इस दौरान वह ही भगवान विष्णु के भी कामों को भी देखते हैं। ऐसे में चार माह तक त्रिदेवों की सारी शक्तियां भगवान शिव के पास ही रहती हैं। आचार्य ओमप्रकाशाचार्य के अनुसार इस बार ग्रही स्थिति योग के लिहाज से सावन माह शुभता प्रदान करेगा।

सावन के सोमवार की पौराणिक मान्यता

सवन के सोमवार के व्रत के विषय में पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को माता पार्वती ने पति रूप में भगवान शिव को प्राप्त करने के लिये सबसे पहले किया था। इस व्रत के फलस्वरूप ही उन्होंने भगवान शिव पति रूप में प्राप्त किया था। तभी से इस व्रत को मनोवांछित पति की कामना पूर्ति के लिये भी कन्याओं के द्वारा किया जाता है। इसीलिए सोमवार के व्रत का शिव की आराधना और आशिर्वाद प्राप्त करने के लिये विशेष महत्व है।

यह व्रत स्त्री और पुरूष दोनों रख रख सकते हैं। सौभाग्यवती स्त्रियां जहां अपने पति की लम्बी आयु, संतान रक्षा के साथ-साथ अपने भाई की सुख-सम्रद्धि के लिये यह व्रत करती हैं, वहीं पुरूष लोग इस व्रत का पालन संतान, धन-धान्य और प्रतिष्ठा के लिए करते हैं।

सोमवार व्रत का नियमित रूप से पालन करने से भगवान शिव और देवी पार्वती की अनुकम्पा बनी रहती है। जीवन धन-धान्य से भरा रहता है। और व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। सावन सोमवार व्रत का विधार्थी के लिए बहुत महत्व हैं। इस व्रत को रखने से विधार्थी के ज्ञान में वृद्धि होती हैं।

बेलपत्र और धतूर से होंगे शिव प्रसन्न

सावन में भगवान भोलेनाथ की पूजा दूध, दही, घी, शक्कर, गंगाजल, बेलपत्र, भांग, धतूर, दूब, श्रीफल आदि से करनी चाहिए। इससे पुण्य फलों में वृद्धि होती है। आचार्य ओमप्रकाशाचार्य कहते हैं कि इस दौरान रुद्राभिषेक, शिवपुराण, शिव स्तोत्र पाठ करना भी लाभकारी है।
इस बार सावन के सोमवार

पहला सोमवार-

इस साल सावन का पहला सोमवार 25 जुलाई को है और यह धृति योग में आएगा। साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी कुछ समय तक रहेगा। माना जाता है कि इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से बाधाओं से मुक्ति मिलती है और योजनाओं को पूरा करने में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।

धृति योग के विषय में माना जाता है कि इस योग में जन्म लेने वाले बच्चे धैर्यवान और ज्ञानी होते हैं। इस योग में अगर कोई काम शुरू करेंगे तो कार्य लंबे समय तक चलता रहेगा। इसलिए नया व्यवसाय और लंबी अवधि की योजनाओं को शुरू करने के लिए सावन का पहला सोमवार उत्तम है।

दूसरा सोमवार-

सावन का दूसरा सोमवार एक अगस्त को वज योग में पड़ रहा है। इस दिन भी सर्वार्थ सिद्धि योग है। इस दोनों योगों के कारण सावन का दूसरा सोमवार विशेष फलदायक बन गया है। इस संयोग में शिव स्तुति करने से शक्ति मिलती है और स्वास्थ्य ठीक रहता है। इस सोमवार के दिन भगवान शिव को भांग, धतूरा एवं शहद अर्पित करना उत्तम फलदायी रहेगा।

तीसरा सोमवार-

सावन का तीसरा सोमवार आठ अगस्त को साद्य योग में आएगा। इस योग को साधना और भक्ति के लिए उत्तम माना गया है। इस दिन शिव की पूजा करने से कठिन से कठिन काम भी पूर्ण होंगे।

चौथा सोमवार-

सावन का चैथा सोमवार 15 अगस्त को आयुष्मान योग में होगा। यह सोमवार प्रदोश व्रत को साथ लेकर आ रहा है। प्रदोष व्रत भी भगवान शिव को समर्पित होता है इसलिए इस सोमवार का महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन शिव की अराधना करने वाले जातकों की आयु में वृद्धि होती है। आर्थिक परेशानियों में कमी आती है तथा जीवन पर आने वाले संकट से भगवान शिव रक्षा करते हैं।

ऐसे करें व्रत का पालन

सावन मास में सोमवार के दिन भगवान शिवजी का व्रत करना चाहिए और व्रत के बाद भगवान श्री गणेश जी, भगवान शिव जी, माता पार्वती व नन्दी देव की पूजा करनी चाहिए। सावन में सोमवार का व्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करना चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त में उठें। पूरे घर की सफाई कर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। गंगा जल या पवित्र जल पूरे घर में छिड़कें।

घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पूजन सामग्री में जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृ्त, मोली, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, रोली, चावल, फूल, बेल-पत्र, भांग, आक-धतूरा, कमल,गठ्टा, प्रसाद, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, मेवा, दक्षिणा चढाया जाता है। सावन सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है। शिव पूजा के बाद सोमवार व्रत की कथा सुननी आवश्यक है।

सावन में कांवड़ यात्रा का भी महत्व

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शंकर ने जो विषपान किया था, वह घटना भी सावन महीने में ही हुई थी। तभी से यह क्रम अनवरत चलता आ रहा है। कांवड़ यात्रा को पदयात्रा को बढ़ावा देने के प्रतीक रूप में माना जाता है। पैदल यात्रा से शरीर के वायु तत्व का शमन होता है। कांवड़ यात्रा के माध्यम से व्यक्ति अपने संकल्प बल में प्रखरता लाता है। वैसे साल के सभी सोमवार शिव उपासना के माने गए हैं, लेकिन सावन में चार सोमवार, श्रावण नक्षत्र और शिव विवाह की तिथि पड़ने के कारण शिव उपासना का माहात्म्य बढ़ जाता है।

सावन के त्योहार

-02 अगस्त को सोमवती अमावस्या यानी हरियाली अमावस्या।
-06 अगस्त को गणेश चतुर्थी।
-07 अगस्त को नाग पंचमी।
-11 अगस्त को दुर्गाष्टमी पर्व।
-14 अगस्त को पुत्रदा एकादशी।
-15 अगस्त को सोम प्रदोष व्रत एवं सावन का अंतिम सोमवार।
-18 अगस्त को रक्षाबंधन पर्व।
-30 अगस्त को कामदा एकादशी।