Home Rajasthan Ajmer सूफी संतों की दरगाह में हों राष्ट्रवाद के सम्मेलन, नेशनल पीस कान्फ्रेंस में जुटे धर्मगुरु

सूफी संतों की दरगाह में हों राष्ट्रवाद के सम्मेलन, नेशनल पीस कान्फ्रेंस में जुटे धर्मगुरु

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सूफी संतों की दरगाह में हों राष्ट्रवाद के सम्मेलन, नेशनल पीस कान्फ्रेंस में जुटे धर्मगुरु
Dargah Dewan Syed Zainul Abedin
Dargah Dewan Syed Zainul Abedin
Dargah Dewan Syed Zainul Abedin

अजमेर। सूफी संत ख्वाजा साहब की दरगाह के सज्जादानशीन और दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली चिश्ती ने कहा कि सूफी संतों की दरगाह में राष्ट्रवाद के सम्मेलन होने चाहिए। उन्होंने कहा कि इस्लाम के नाम पर कट्टरता फैलाई जा रही है उससे इस्लाम बदनाम हो रहा है।

दरगाह दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली चिश्ती रविवार को अजमेर में नेशनल पीस कान्फ्रेंस में बोल रहे थे। इस कान्फ्रेंस में देश की प्रमुख दरगाहों के सज्जादानशीन और अन्य धर्म के धर्मगुरुओं ने भाग लिया। सभी मुस्लिम धर्मगुरुओं का कहना था कि इस्लाम में आतंकवाद का कोई स्थान नहीं है क्योंकि इस्लाम तो मोहब्बत का संदेश देता है।

गौरतलब है कि पीस कांफ्रेस का आयोजन हजरत ख्वाजा गरीब नवाज एज्युकेशनल एवं चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से किया गया। उन्होंने सुझाव दिया कि सूफी संतों की दरगाहों में राष्ट्रवाद की भावना जगाने के सम्मेलन होने चाहिए। इसके लिए विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं को भी आगे आना चाहिए।

पुष्कर स्थित चित्रकूट धाम के उपासक और आध्यात्मिक धर्मगुरु पाठक महाराज ने कहा कि अब धर्मगुरुओं को लोगों तक जाना चाहिए। लोग धर्मगुरुओं के पास आएं, इस विचार को अब छोडना होगा। यदि धर्मगुरु लोगों तक नहीं पहुंचे तो फिर युवा गलत दिशा में चला जाएगा।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि धर्मगुरु शिक्षित होना चाहिए। यदि मैं किसी दूसरे धर्म की निन्दा करता हूं तो इसका मतलब है कि मैंने अपने धर्म को ही नहीं पहचाना है। मुस्लिम विद्वान इनायत अली ने कहा कि संवादहीनता की वजह से युवा भ्रमित हो रहा है।

दरगाहों के सज्जादानशीनों, गुरुद्वारों के ग्रंथियों, मंदिरों के धर्मगुरुओं आदि को मिलकर अब ऐसा प्रयास करना चाहिए, जिसके अन्तर्गत धार्मिक स्थलों पर सर्वधर्म सम्मेलन हों। राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सरदार जसबीर सिंह ने कहा कि जो लोग राष्ट्रविरोधी हैं, उनका सामाजिक बहिष्कार किया जाना चाहिए। सूफीयत कोई धर्म नहीं है।

यह एक ऐसा विचार है, जिसमें सभी धर्मों के लोग शांति और अमन के साथ रह सकते हैं। सामाजिक समरसता को बढ़ाने में धर्मगुरुओं की भूमिका होनी चाहिए। राष्ट्रीयता की भावना से ही देश का विकास हो सकता है। कौनसा धर्म अच्छा है, यह कर्म पर निर्भर करता है।

जैन धर्म के विद्वान भुवनेश महाराज ने कहा कि आज हर धार्मिक गुरु अपने अनुयायी बढ़ाने में लगा हुआ है जबकि आज इन्सान बनाए जाने की जरूरत है। हमें वस्त्र नहीं चरित्र बदलना है, गणवेश नहीं गुणवान होना चाहिए। युवाओं में आज जो नफरत भरी हुई है, उसे दूर किया जाना चाहिए।

मुस्लिम विद्वान अहमद नियाजी ने कहा कि सूफीवाद से ही देश-दुनिया में शांति हो सकती है। विभिन्न धर्मस्थलों पर जब सालाना जलसे हों, तब सूफीवाद की शिक्षा दी जानी चाहिए। मुस्लिम विद्वान सैय्यद जियाउद्दीन ने कहा कि धार्मिक स्थलों पर धर्मगुरुओं की सभाएं कर राष्ट्रीयता की भावना को बढ़ाया जाना चाहिए।

कान्फ्रेंस में मुस्लिम विद्वान सैय्यद शाह खुसरो ने कहा कि हर शहर में शांति कमेटी बननी चाहिए। शिक्षा के पाठयक्रमों में भी धर्मगुरुओं की जीवनियां पढ़ाई जानी चाहिए। मुस्लिम विद्वान मोहम्मद हुसैन ने कहा कि फरिश्तों से बेहतर इंसान होता है। कान्फ्रेंस में आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्री श्रीरविशंकर का संदेश भी पढ़कर सुनाया गया।

श्रीश्री के शिष्य ब्रह्मचारी अभिषेक ने कहा कि विविधता में ही एकता है। जब हम विभिन्न धर्मों के लोग एकसाथ मिलकर त्यौहार मनाएंगे तो समाज में सद्भावना बढ़ेगी। आज विस्तृत सामूहिक चेतना की जरूरत है। पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। मुस्लिम विद्वान अशरद फरीदी ने कहा कि मदरसों में सूफीवाद की शिक्षा दी जानी चाहिए।

उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि अब सूफी मदरसे बंद होते जा रहे हैं और मदरसों में कट्टरपंथ की शिक्षा दी जा रही है। उन्होंने कहा कि आज कश्मीर जो हालात बिगड़े हैं, उसमें मदरसों की भूमिका महत्वपूर्ण है। कर्नाटक स्थित गुलबर्गा की दरगाह में सूफीवाद की शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है।

गुजरात के मुस्लिम विद्वान अंजुम फरीद ने कहा कि सूफीवाद तो प्रेम की भट्टी है। हिन्दू और मुस्लिम धर्म में जो एक सी बातें हैं, उनका प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। जिस प्रकार दरगाहों में बसंत का उत्सव उत्साह के साथ मनाया जाता है, उसी प्रकार हिन्दू तीर्थस्थलों में भी मुस्लिम पर्व मनाए जाने चाहिए।

गुलबर्गा के मुस्लिम विद्वान निजाम ने कहा कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग जरूरी है। यदि कुछ लोगों को सूर्य नमस्कार पर एतराज है तो उन्हें सूर्य नमस्कार की क्रिया को बदल लेना चाहिए।

मदरसों के आधुनिकीकरण पर जोर देते हुए निजाम ने कहा कि आज मदरसों से ज्यादा खानकाहों की शिक्षा देना जरूरी है। सरकार को चाहिए कि वह खानकाहों को मजबूत करें। मुस्लिम विद्वान असरार हुसैन ने कहा कि इस्लाम में आतंकवाद का कोई स्थान नहीं है।