Home Rajasthan Ajmer आद्या शक्ति के सात रूप : सातु बहना बिजासन मां

आद्या शक्ति के सात रूप : सातु बहना बिजासन मां

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आद्या शक्ति के सात रूप : सातु बहना बिजासन मां

सबगुरु न्यूज। आदि काल से ही सात बहनों को आदि शक्ति के सात रूपों में माना जाता है। आदि शक्ति ने नाग रूप धारण कर अपनी सात शक्तियों को नागिन अवतार के रूप में अवतरित किया तथा सातों शक्तियों को एक शक्ति में ही माना जाता है यह देवियां आने वाले संकट से मानव व जीवों की रक्षा करती है तथा युद्ध की देवियां कहलाती हैं। 

ऐसी मान्यता है कि शुंभ निशुभ के युद्ध के समय रक्त बीज को मारकर ये सात शक्तियां उसके ऊपर आसन लगाकर बैठ गईं और बिजासन कहलायी। सातवें नवरात्रा पर विशेष आद्य शक्ति ने सृष्टि की रचना में कई देवी शक्तियों को प्रकट किया। इन शक्तियों में सात शक्तियों का अपना विशेष महत्व है।

सृष्टि की इन सात शक्तियों को एक साथ आद्य शक्ति ने अपने पार्वती अवतार के साथ ही प्रकट किया था। सातु के एक साथ प्रकट होने से यह सात बहनें कहलाई।इनकी शक्ति बीज मंत्रों के साथ ही जाग्रत होती है इसलिए ये बिजासन माता भी कहलायी।

पार्वती की इन सहेलियों ने शिव के रूप पर तंज कसे तो शिव जी ने भी उन्हें वरदान दे दिया कि तुम सब दुनियां मे अपने तंज की तरह ही रहोगी। इस पर पार्वती शिव पर क्रोधित हो गईं, तब शिव ने कहा कि यह वरदान है, इन सातों की दुनिया में सर्वत्र पूजा इसी रूप में होगी। तबसे सात बहनों की सात प्रकृति बन गई।

काल भेद, स्थान भेद, भाषा भेद से यह अलग अलग नामों से से पूजी जाने लगीं। बाया सा महाराज, सातु बहना, बिजासन माता, महामाई, मावडलिया, जोगमाया, जोगणिया आदि कई नामों से इन देवियों को चमत्कारिक देवी के रूप में आज भी गांव, डाणी, मजरो, शहरों में पूजा जाता है।

किसी भी शुभ कार्य में मेहंदी, काजल, कुकू व पीठी की सात सात टिकिया दीवारों पर लगाई जाती है। शादी के अवसर पर भी बिजासन माता की उजली मैली पातडी विवाह मे लाई जाती है। इन्हे सांवली व उजली दो रूपों में पूजा जाता है तथा चावल, लापसी, पताशे, मोली, काजल टीकी, मेहंदी, कुमकुम, सात भात की मिठाई, लकड़ी का पालना, पीली ओढनी आदि अर्पण किए जाते हैं।

ऐसी मान्यता है कि बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए तथा पति की लम्बी उम्र के लिए तथा घर में अन्न, धन, लक्ष्मी सदा बरसती रहे आदि के लिए भी इन्हें पूजा जाता है। सप्तमी और चतुर्दशी इनकी पूजा के लिए विशेष दिन माने जाते है। ऐसी मान्यता है कि आज भी तीनों संध्याओं में सातु बहना का पालना आकाश मार्ग से सृष्टि मे भ्रमण करता है। ईमली, बोरडी, गूदी, बड इन पेडों में इनकी उपस्थिति मानी जाती है।

कभी कभार किसी न किसी को तीनों सन्ध्या में इनके पालने से घुंघरू की आवाज सुनाई देती है। संतान की चाहत, बाहरी बीमारी से मुक्ति, धन की जरूरत हो तो इनकी पूजा से तुरंत चमत्कार मिलते हैं। दैवी भागवत महापुराण के द्वादश स्कंध के मणि दीप अध्याय मे सात शक्तियों का उल्लेख मिलता है।

सौजन्य : भंवरलाल