Home Business सतत इंफ्रा विकास के लिए 7,000 अरब डॉलर की जरूरत : चंदा कोचर

सतत इंफ्रा विकास के लिए 7,000 अरब डॉलर की जरूरत : चंदा कोचर

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सतत इंफ्रा विकास के लिए 7,000 अरब डॉलर की जरूरत : चंदा कोचर
icici bank ceo chanda kochhar
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नई दिल्ली। आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में सतत विकास के लिए वैश्विक स्तर पर 7,000 अरब डॉलर की जरूरत होगी।

सुश्री कोचर ने यहां ब्रिक्स देशों के न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) की दूसरी वार्षिक बैठक के अंतिम दिन एक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया भर में इंफ्रास्ट्रक्चर के मूलभूत विकास के लिए 3,000 अरब डॉलर की आवश्यकता होगी जबकि इसे सतत विकास में बदलने के लिए 4,000 अरब डॉलर का निवेश और करना होगा।

इस प्रकार कुल सात हजार अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर आर्थिक विकास का महत्वपूर्ण कारक है। साथ ही एक गुणक भी है जिसका मतलब यह है कि इस पर जितना खर्च किया जाता है समग्र अर्थव्यवस्था का विकास उससे कहीं ज्यादा होता है।

उन्होंने कहा कि भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर सरकारी निवेश लगातार बढ़ रहा है और सरकार सही दिशा में कदम बढ़ा रही है। इस पर पहली बार वर्ष 2002 में फोकस किया गया था जब 10वीं पंचवर्षीय योजना में इस पर 25 करोड़ डॉलर खर्च किए गए।

ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में इस मद में 50 करोड़ डॉलर और 12वीं योजना में 100 करोड़ डॉलर का निवेश हुआ था। हालांकि, इंफ्रास्ट्रक्चर के सतत विकास पर सरकार ने हाल ही में ध्यान देना शुरू किया है।

आईसीआईसीआई बैंक प्रमुख ने कहा कि अब परियोजनाओं के शुरू करने का तरीका बदलने की जरूरत है। अधिकतर परियोजनाएं आर्थिक रूप से मुनाफे वाली हैं, लेकिन उन्हें पूरा करने में आ रही बाधा दूर किए जाने की जरूरत है।

ये बाधाएं तो कभी पूंजी की कमी के रूप में कभी नियामकीय मंजूरियों के रूप में हो सकती हैं। परियोजनाओं के लिए बैंकों के पूंजी उपलब्ध कराने से पहले जरूरी है कि जमीन अधिग्रहण, ब्लूप्रिंट जैसी तैयारियां पहले कर ली जाएं।

एनडीबी के अध्यक्ष केवी कामत ने कहा कि सतत विकास के लिए पूंजी की जरूरत काफी अधिक है और संसाधन सीमित हैं। इसलिए, यह बड़ी चुनौती है। वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांता दास ने कहा कि तीन स्तरों पर विकास में सतता के समावेश की जरूरत है। परियोजनाओं का पर्यावरण की दृष्टि से, भावी पीढ़ी के लिए और समाज के सभी वर्ग के लिए टिकाऊ होना है।

दास ने कहा कि भारत ने पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा पर फोकस करते हुए वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट हरित ऊर्जा क्षमता हासिल करने और 2030 तक कुल ऊर्जा क्षमता में गैर-पारंपरिक ऊर्जा की भागीदारी 80 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है।

ब्राजील के वित्त मंत्रालय में अंतर्राष्ट्रीय मामलों के सचिव मार्शेलो एस्तेवाओ ने कहा कि सतत विकास परियोजनाओं का खर्च आम परियोजनाओं की तुलना में ज्यादा होता है और इसलिए निजी क्षेत्र के साथ भागीदारी जरूरी है।

उन्होंने स्वीकार किया कि ब्राजील का बाजार अभी भी पूरी तरह से उदार नहीं है, लेकिन सरकार कारोबार आसान बनाने और निवेश आकर्षित करने की दिशा में काम कर रही है।

अफ्रीकन डेवलपमेंट बैंक के निदेशक कपिल कपूर ने कहा कि विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और एनडीबी जैसे बहुआयामी बैंक सतत विकास की परियोजनाओं के लिए सिर्फ 18 से 19 अरब डॉलर का ऋण देते हैं। इसमें स्थानीय सरकारों तथा निजी निवेशकों को पहल करनी होगी।

हालांकि, बहुआयामी बैंकों के परियोजना से जुडऩे से निजी क्षेत्र के निवेश की संभावना बढ़ जाती है जो इन बैंकों का सबसे बड़ा महत्त्व है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन-चार साल में इस दिशा में निजी क्षेत्र का वैश्विक निवेश महज 35-36 अरब डॉलर रहा है जो काफी कम है।