Home Headlines नेताजी के रिश्तेदारों पर 20 साल जासूसी कराई थी नेहरु सरकार ने

नेताजी के रिश्तेदारों पर 20 साल जासूसी कराई थी नेहरु सरकार ने

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नेताजी के रिश्तेदारों पर 20 साल जासूसी कराई थी नेहरु सरकार ने
nehru 'snooping' on netaji's kin gives BJP anti congress ammunition
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nehru ‘snooping’ on netaji’s kin gives BJP anti congress ammunition

नई दिल्ली। स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की रहस्यमय मौत में चौकाने वाला खुलासा सामने आया जिसके अनुसार देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की सरकार ने वर्ष 1948 से 1968 तक नेताजी के परिवारवालों पर जासूसी कराई थी।

नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय अभिलेखागार में मौजूदा खुफिया ब्यूरो (आईबी) की दो फाइलों से यह सनसनीखेज खुलासा हुआ है कि केन्द्रीय जासूस नेताजी के भतीजों और रिश्तेदारों के पत्राचार और उनके आवागमन पर निगरानी रखते थे।
यह फाइलें आईबी की पश्चिम बंगाल शाखा के पास थी, जिन्हे गोपनीयता के दायरे से बाहर लाकर केन्द्र को भेजा गया था। बाद में यह फाइलें राष्ट्रीय अभिलेखागार में आ गई।
नेताजी की गुमशुदगी के बारे में वर्षों तक शोधरत रहे अनुज धर को यह फाइलें इस वर्ष जनवरी में देखने को मिली। धर के अनुसार लगता है कि यह फाइलें गलती से गोपनीयता के दायरे से बाहर आ गई।
राजधानी से प्रकाशित होने वाली एक प्रमुख साप्ताहिक पत्रिका इंडिया टूडे ने इस पूरे प्रकरण पर विस्तार से रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें नेताजी की जर्मन पुत्री अनिता बोस पेफ और अन्य रिश्तेदारों की प्रतिक्रिया शामिल है।
रिपोर्ट के अनुसार नेहरु सरकार के निर्देश पर आईबी के जासूस नेताजी के रिश्तेदारों के कोलकत्ता स्थित वुडवर्न पार्क और एलगिन रोड स्थित आवासों पर निगरानी रखते थे।
यह जासूस नेताजी के भाई शरतचन्द्र बोस के दो पुत्रों शिशिर कुमार बोस और अमिय बोस पर नज़र रखते थे। इन लोगों के पत्रचार तथा देश विदेश में इनके भ्रमण के बारे में भी केन्द्र को नियमित रुप से सूचनायें भेजी जाती थी।
यह खुलासा उस समय हुआ है जब पिछले दिनों नरेन्द्र मोदी सरकार ने नेताजी की गुमशुदगी के बारे में गोपनीय फाइलों को उजागर करने से इंकार कर दिया था।
समझा जाता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ग्रहमंत्रालय और विदेश मंत्रालय के पास नेताजी से जुड़ी 150 गोपनीय फाइलें हैं। सूचना के अधिकार के तहत इस संबंध में जानकारी हासिल करने की कोशिश करने वाले कार्यकर्ताओं को सरकार की ओर से सूचित किया गया है कि फाइलों को सार्वजनिक नही किया जा सकता।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यालय ने सूचित किया था कि सार्वजनिक रिकार्ड नियमावली के अनुसार प्रधानमंत्री को गोपनीय फाइलों को इस दायरे से बाहर लाने का कोई विवेकाधिकार प्राप्त नही है। हालांकि विभिन्न राजनीतिक दलों शोधकर्ताओं और इतिहासकारों का कहना है कि वक्त का तकाजा है कि नेताजी की मौत पर पड़े रहस्य के पर्दे को हटाया जाये।
जाने-माने पत्रकार और भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता एमजे अकबर ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि नये खुलासे जारी है कि पंडित नेहरु को नेताजी की विमान हादसे में मौत पर स्वयं विश्वास नही था। सत्तारुढ़ खेमे में यह आशंका भी थी कि नेताजी के भारत आने से देश की राजनीति में उथल-पुथल हो सकती है।
विभिन्न राजनीतिक दलों भाजपा, कांग्रेस, जनता दल(यू) आदि ने नये अलग-अलग प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भाजपा ने जहां इसपर आश्चर्य और रोष व्यक्त किया है वहीं कांग्रेस ने इस खुलासे की विश्वसनीयता और समय पर सवाल उठाया है।
केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इससे जाहिर है कि दूसरों की जासूसी कराना कांग्रेस की मूल प्रकृति है। उन्होंने कहा कि जासूसी के दायरे से नेताजी का परिवार भी नही बच पाया यह दहलाने वाला है।
केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कांगमरेस ने इसी तरह की हरकतें की है। दूसरी ओर कांग्रेस नेता पी सी चाको ने कहा कि यह खुलासा इतिहास से मेल नही खाता वास्विकता यह है कि पंडित नेहरु और नेताजी के बीच मधुर संबंध थे और दोनों अपने-अपने तरीके से देश की आज़ादी के लिये प्रयासरत थे।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने इन खुलासों संघ परिवार की साजिश करार दिया है।आस्ट्रिया में रह रही नेताजी की अर्थशास्त्री पुत्री अनिता बोस पेफ (82वर्ष) ने कहा कि नेता जी के परिजनों की जासूसी की खबर से उन्हें कोई आश्चर्य नही हुआ है। उन्होंने नेताजी से जुड़े प्रकरण पर सभी उपलब्ध सूचनायें सार्वजनिक करने की मांग की।

 

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