Home India City News जयपुर में रैन-बसेरों ने छीना नगर निगम के अफसरों का चैन

जयपुर में रैन-बसेरों ने छीना नगर निगम के अफसरों का चैन

0
जयपुर में रैन-बसेरों ने छीना नगर निगम के अफसरों का चैन
night shelters operates by jaipur municipal corporation
night shelters operates by jaipur municipal corporation
night shelters operates by jaipur municipal corporation

जयपुर। गुलाबी नगर में सर्दी दस्तक दे चुकी है और इसी को ध्यान में रखकर नगर निगम शहर के चुनिंदा स्थानों पर रैन-बसेरे स्थापित कर रहा है ताकि जरूरतमंद लोग कड़ाके की सर्दी में अपनी रात सुकून से गुजार सकें। लेकिन इन रैन बसेरों ने फिलहाल निगम अधिकारियों का चैन छीन लिया है।

वे यह तय नहीं कर पा रहे कि रैन-बसेरों की व्यवस्था को लेकर वे निगम की किस समिति के निर्देशों को माने क्योंकि निगम की दो समितियाों के प्रमुख इन रैन-बसेरों के संचालन की दावेदारी बताते हुए आमने-सामने आ गए हैं।

निगम सूत्रों का कहना है कि इन रैन-बसेरों के संचालन के दावे को लेकर निगम की सांस्कृतिक समिति और स्वर्र्ण जयंती शहरी रोजगार समिति आमने-सामने हो गई हैं। एक समिति का कहना है कि रैन-बसेरों का संचालन उसके अधिकार क्षेत्र में आता है तो दूजी समिति दावा कर रही है कि रैन-बसेरों को तो हम ही संचालित कर सकते हैं।

दोनों के मुखिया ने किए अलग-अलग दौरे

रैन-बसेरे किन हालातों में हैं और उनमें क्या-क्या सुविधाएं हैं यह देखने के लिए दोनों समितियों के मुखियाओं ने हाल ही में अलग-अलग दौरा किया। स्वर्र्ण जयंती शहरी रोजगार समिति के मुखिया भंवर लाल सैनी ने पिछले दिनों रैन-बसेरों के निरीक्षण के दौरान एक रेन बसेरे में दिखी कमियों के बारे में निगम अधिकारियों से चर्चा कर उन्हे दुरस्त करने को कहा।

इसके बाद वे अन्य रैन-बसेरों पर गए व और वहां की कमियों पर अफसरों का ध्यान आकृष्ट किया। अगले ही दिन सांस्कृतिक समिति की मुखिया कुसुम यादव ने कुछ रेन बसेरों का दौरा किया और जब उन्हे वहां कामियां दिखी तो निगम अधिकारियों को बुलाकर उन्हे दूर करने को कहा।

एक तरफ स्वर्र्ण जयंती शहरी रोजगार समिति व दूसरी तरफ सांस्कृतिक समिति के मुखियाओं का यह रवैया देख निगम अधिकारी यह समझ नहीं पाए कि इस मामले पर उन्हे मिले निर्देश में वे किसकी बात मानें।

निगम के जानकार अधिकारियों का कहना है कि नियमानुसार रैन-बसेरों की देख-रेख का काम सांस्कृतिक समिति के पास होता है और पिछले बोर्ड तक यही नियम चला आ रहा था।

उधर स्वर्र्ण जयंती शहरी रोजगार समिति के प्रमुख का कहना है कि रैन -बसेरों के लिए पैसा राष्ट्रीय शहरी जीवंतता मिशन से मिलता है तो इसके देखरेख की जिम्मेदारी भी स्वर्र्ण जयंती शहरी रोजगार समिति के पास है। मामला फंसता देख अधिकारियों ने गेंद महापौर निर्मल नाहटा के पाले में डाल दी है। अब वे ही मामले को सुलझाएंगे।