Home Headlines केंद्र सरकार के वार्ताकार से वार्ता नहीं करेंगे कश्मीरी अलगाववादी

केंद्र सरकार के वार्ताकार से वार्ता नहीं करेंगे कश्मीरी अलगाववादी

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केंद्र सरकार के वार्ताकार से वार्ता नहीं करेंगे कश्मीरी अलगाववादी
will No dialogue with centre says Kashmiri separatist
will No dialogue with centre says Kashmiri separatist

श्रीनगर। कश्मीर के अलगाववादी नेताओं ने मंगलवार को कहा कि जम्मू एवं कश्मीर के लिए भारत सरकार की ओर से नियुक्त वार्ताकार से वे लोग किसी भी प्रकार की वार्ता नहीं करेंगे।

उन्होंने कहा कि राज्य में ताकत के इस्तेमाल की रणनीति में विफल रहने के बाद अब नई दिल्ली ने ‘एक नई रणनीति’ के तहत वातार्कार की नियुक्ति की है। शीर्ष अलगाववादी नेताओं के समूह संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व (ज्वाइंट रेजिस्टेंस लीडरशीप) ने पूर्व खुफिया ब्यूरो प्रमुख दिनेश्वर शर्मा के साथ किसी भी प्रकार के संवाद से इनकार किया है।

जेआरएल नेता सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और मोहम्मद यासीन मलिक ने साझा बयान जारी कर कहा है कि वह शर्मा से कोई बात नहीं करेंगे।

कश्मीर में आईबी अधिकारी रह चुके और वहां गिरफ्तार आतंकवादियों से निजी तालमेल बिठाने में माहिर माने जाने वाले शर्मा ने 23 अक्टूबर को वार्ताकार के तौर पर उनकी नियुक्ति के बाद अलगाववादियों की पहली प्रतिक्रिया पर बयान देने से इनकार कर दिया।

शर्मा ने कहा कि हुर्रियत ने जो भी कहा है, मुझे उसपर कुछ भी नहीं कहना है। अलगाववादी नेताओं ने अपने बयान में कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में वार्ताकार के रूप में शर्मा की नियुक्ति अंतरराष्ट्रीय दबाव व क्षेत्रीय मजबूरी की वजह से अपनाई गई एक रणनीति से ज्यादा कुछ नहीं है। कश्मीरी लोगों को दबाने के लिए सैन्य प्रयास में विफल रहने पर यह प्रयास किया जा रहा है।

विभिन्न अलगाववादी नेताओं के हाल में गठित समूह ज्वाइंट रेजिस्टेंस लीडरशीप की तरफ से जारी बयान के अनुसार जम्मू एवं कश्मीर में संघर्ष समाप्त करने के अपने सिद्धांतों के तहत हम हमेशा गंभीर और फलदायी वार्ता को बढ़ावा और समर्थन देते रहे हैं।

बयान के अनुसार वार्ता पर हमारे पक्ष (स्टैंड) की बुनियादी स्वीकृति की जरूरत है जिसके अंतर्गत यह स्वीकार करना है कि यहां विवाद है और इसे सुलझाने की जरूरत है।

बयान के अनुसार भारत सरकार लगातार इस बुनियादी बात और जमीनी स्थिति को नकारती रही है। किसी भी ऐसी वार्ता प्रक्रिया में शामिल होना निर्थक है जो यही नहीं माने कि कश्मीर विवादित मुद्दा है जिसका समाधान होना चाहिए।

बयान के अनुसार जबतक कश्मीर समस्या और इसके ऐतिहासिक संदर्भो को अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के परिपेक्ष्य में समझा नहीं जाता है, न ही जम्मू एवं कश्मीर और न ही उपमहाद्वीप में शांति स्थापित हो सकता है।

अलगाववादियों ने शर्मा के जम्मू एवं कश्मीर को ‘सीरिया बनने से रोकने’ के बयान की कड़े शब्दों में निंदा की है। बयान के अनुसार कश्मीर के 70 साल पुराने राजनीतिक और मानवीय मुद्दे की सीरिया में सांप्रदायिक युद्ध और सत्ता संघर्ष से तुलना करना एक धूर्तता और प्रोपेगेंडा है। दोनों स्थितियों में कोई समानता नहीं है।

जम्मू एवं कश्मीर के लिए स्वायत्तता की मांग कर रहे विपक्षी नेता पी. चिदंबरम के बयान को लेकर हुए विरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए बयान में कहा गया है कि राज्य में स्वायत्तता बहाल करने के निर्णय पर उनके अपने नेताओं की मांग को भारत सरकार ने खारिज कर दिया जबकि उनके अपने संविधान में इसकी गारंटी दी गई है।