Home Health अब दूरबीन से भी बायपास सर्जरी उपलब्ध

अब दूरबीन से भी बायपास सर्जरी उपलब्ध

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अब दूरबीन से भी बायपास सर्जरी उपलब्ध
Now bypass surgery by telescopes

Now bypass surgery by telescopes

उदयपुर। दूरबीन से पथरी सहित अन्य ऑपरेशन के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन ह्दय रोग से सम्बन्धित ऑपरेशन यानी बाईपास भी दूरबीन से हो रहे हैं। इसे की-होल बायपास सर्जरी कहा जाता है।

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की-होल बायपास के कई फायदे हैं लेकिन जागरूकता के अभाव में लोग अभी इस ओर पूरी तरह आकृष्ट नहीं हो पाए हैं। अहमदाबाद में विभिन्न हॉस्पिटल्स से सम्बद्ध डॉ. राजेन्द्र वसैया ने बताया कि एक आर्टरी का दूरबीन से ऑपरेट करने वाले तो कुछेक चिकित्सक हैं लेकिन मल्टी आर्टरी का दूरबीन से ऑपरेट करने वाले वे देश के एकमात्र चिकित्सक हैं।

की-होल सर्जरी अब तीन से अधिक नली में ब्लॉकेज होने के बावजूद हो सकती है। अब तक किए गए 230 में से 132 से अधिक मरीजों में तीन या तीन से अधिक नली ब्लॉक थी।

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क्या क्या फायदे- की-होल बायपास सर्जरी में सीने के बीचों बीच हड्डी नहीं कटती है। हड्डी में चीरा नहीं लगता इसलिए मरीज को कम से कम पीड़ा होती है। सामान्य बायपास सर्जरी में जहां आईसीयू में चार दिन रहने के बाद दो माह तक आराम करना होता है लेकिन की होल सर्जरी में 70 प्रतिशत मामलों में दो दिन में मरीज को छुट्टी मिल जाती है और सात दिन बाद वह अपने रूटीन काम में लग सकता है।

सामान्य बाईपास में रक्तस्राव बहुत होता है जिससे रक्त की भी करीब 6-8 यूनिट की आवश्यकता रहती है। की-होल सर्जरी में 70 प्रतिशत मरीजों को एक यूनिट भी रक्त नहीं देना पड़ता। सामान्य बायपास ग्राफ्ट पैर में से नस लेनी पड़ती है जिसे शिरा कहते हैं।

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ह्दय की नस में पीड़ा होती है जिसे धमनी कहा जाता है। शिरा की आंतरिक त्वचा में बायोकेमिकल तत्व उत्पन्न करने की ताकत नहीं होती। की-होल सर्जरी में आइरियल रिवास्कुलराइजेशन में आता है। इससे फिर से बायपास करने की संभावना कम होती है।

सामान्य बायपास में पैर से निकली हुई नस को ह्दय से निकलने वाली कोरोनरी आर्टरी से जोड़ा जाता है। इससे कई मरीजों को दिमाग का अटैक भी आ सकता है लेकिन की-होल सर्जरी में नो टच टेक्नीक के उपयोग से दिमाग के अटैक की आषंका भी कम हो जाती है।

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सामान्य बायपास में ऑपरेशन के बाद रिकवर होने में 10 प्रतिषत मरीज को वापस ऑपरेशन के लिए ले जाना पड़ता है जबकि की-होल सर्जरी में रक्तस्राव कम होने से वापस ऑपरेशन के लिए ले जाने की संभावना एक प्रतिषत से भी कम होती है।

डॉ. वसैया अहमदाबाद के अपोलो, स्टर्लिंग, शेल्बी, कृष्णा हार्ट हॉस्पिटल एवं राजस्थान हॉस्पिटल से जुड़े हुए हैं। वे नई दिल्ली के एम्स में भी सेवाएं दे चुके हैं।

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