Home Sirohi Aburoad अब मत्री देवासी से पूछे जाने लगे सवाल ?

अब मत्री देवासी से पूछे जाने लगे सवाल ?

0
अब मत्री देवासी से पूछे जाने लगे सवाल  ?

question
सिरोही। लम्बे इंतजार इंतजार के बाद जब भ्रष्टाचार को रुकता नहीं देखा तो आखिर सिरोही के लोगों ने सोशल मीडिया पर राज्य के गोपालन और देवस्थान मंत्री ओटाराम देवासी पर भी सवाल दागने शुरू कर दिए हैं। अब उनकी कथित ईमानदारी के दावे सवालों के घेरे में है।

कांग्रेस पहले ही भाजपा राज में जेब नहीं होने पर भी बोरा भरकर पैसा बटोरने का आरोप लगा चुकी है। इस पर विडम्बना यह कि कांग्रेस के दिग्गज संयम लोढा के इस बयान का कोई भाजपाई विरोध करने भी नहीं आया। खुद ओटाराम देवासी के सबसे करीब दिखने वाले सिरोही नगर परिषद सभापति ताराराम माली भी लोढा के आरोपो पर कोई सार्वजनिक बयान देकर उन्हे हतोत्साहित करने और भाजपा के बचाव की कोशिश नही की। भाजपा की इस आरोप पर चुप्पी का जनता में यह संदेश जाने लगा है कि वाकई भाजपा राज में पैसे जेबों में नहीं बोरों में भरकर बटोरे जाने लगे हैं।

प्रभारी मंत्री  इस सवाल के साथ जनता की अदालत में कठघरे में खडे कर दिए गए हैं कि क्या उन्होंने सीसीटीवी कैमरे के घोटाले के लिए नवम्बर में 2014 से लेकर अब तक कोई पत्र कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को लिखा। और यह सवाल बनता भी है। उनके आदेश के तीन महीने बाद जिला प्रशासन ने इस मामले की जांच करनी शुरू की तो क्या जिला प्रशासन पर किसी ने इसकी जांच में देरी करने का दबाव बनाया था ? यह सवाल सिर्फ कांग्रेसियों, मीडिया या उनके विरोधियों के होते तो चलता, लेकिन यह सवाल भाजपा के कर्मठ पदाधिकारियोें व कार्यकर्ताओं के साथ आरएसएस के स्वयंसेवक बताने वाले सिरोहीवासी भी करने लगे हैं।
उन्होंने वर्तमान भाजपा बोर्ड में ताराराम माली को सभापति बनाया, जिनके कार्यकाल में शहर की जनता की अमानत सरकारी जमीनों को ढूंढ-ढूंढ कर खुर्द-बुर्द कर दिया गया। सोशल मीडिया में अब यह सवाल भी खुलकर पूछा जा रहा है कि इन जमीनों को खुर्द-बुर्द करने में उनकी चुप्पी को सहमति के रूप में देखा जाने लगा है। जिस तरह पूर्व सभापति के कार्यकाल के भ्रष्टाचार के लिए उनके राजनीतिक वरदहस्त संयम लोढा पर उन्हें बचाने का आरोप लगता रहा, उसी तरह अब प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी सिरोही नगर परिषद में भाजपा राज में पांव पसार चुके भ्रष्टाचार को कथित रूप से वरदहस्ती देने के लिए जनता के सवालों के घेरे में है।
लोढा ने तो कांग्रेस के पूर्व निकाय प्रमुख से पल्ला झाडकर लोगों में यह संदेश देने की नाकाम कोशिश की कि सिरोही नगर परिषद में कांग्रेस राज में व्याप्त भ्रष्टाचार को उनका संरक्षण नहीं था, लेकिन ओटाराम देवासी का तो ऐसा प्रयास भी अभी तक जनता के सामने नहीं आया है, बल्कि वर्तमान भाजपा बोर्ड में भ्रष्टाचार के कारकों को अपने गले में माला की तरह लटकाए सार्वजनिक रूप से नजर आ रहे हैं। वहीं उनकी सरकार के अधिकारी ऐसे लोगों की मालाएं गले में टांगकर कर प्रदर्शनी बने हुए नजर आ रहे हैं।

राणावत को किसका समर्थन?
सिरोही नगर परिषद में अनवरत चल रहे भ्रष्टाचार के लिए आयुक्त लालसिंह राणावत पर एसीबी की कार्रवाइयां जारी हैं। जांच करने पर उनके कार्यकाल के हर काम में अनियमितता सामने आने की आशंका है। सीसीटीवी घोटाले के बाद एलईडी लाइट घोटाले में भी उनके खिलाफ एसीबी में मामला दर्ज हो चुका है। पुलिस में भी इस्तगासा दर्ज हो गया है।
जिले में राजनीतिक रूप से चार ही भाजपा नेता इतने सक्षम हैं जिनकी पैरवी पर सरकार अधिकारियों को जिले में नियुक्ति दे सकती है। सांसद, खुद प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी तथा पिण्डवाडा-आबू विधायक समाराम गरासिया व रेवदर विधायक जगसीराम कोली। सांसद ने खुद राणावत के लिए सांचैर नगर परिषद में व्याप्त अनियमितताओं के लिए एसीबी में शिकायत करने की बात कही है। समाराम गरासिया ने कहा कि उन्हें सिरोही नगर परिषद से कुछ लेना देना नही। वहीं रेवदर एमएलए जगसीराम कोली ने दलील दी कि वह राणावत की कार्यप्रणाली से वाकिफ है और ऐसे में उनकी पैरवी करने का काम कतई नहंी कर सकते हैं। अब सिर्फ प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी ही बचते हैं, जिन पर लालसिंह राणावत को यहां पर इतने लम्बे समय तक टिकाए रहने के लिए सवाल उठाए जा रहे हैं।
सवाल यह है कि क्या सीसीटीवी कैमरे के घोटाले के सामने आने के बाद ओटाराम देवासी ने कोई ऐसा पत्र या डिजायर लालसिंह राणावत को सिरोही नगर परिषद से हटाने के लिए लिखा था? देवासी को यह जवाब भी ढूंढकर जनता के सामने लाना होगा कि सांचैर में जबरदस्त विरोध के बाद हटाए गए लालसिंह राणावत को भाजपा के शासन में उनके मंत्रीत्व काल में सिरोही नगर परिषद में लगाने की पैरवी करने वाला कौन था? सीसीटीवी कैमरे के घोटाले में उनकी भूमिका सामने आने के बाद प्रभारी मंत्री ने नवम्बर, 2014 में राज्य सरकार को लालसिंह राणावत को सिरोही से हटाने के लिए कोई पैरवी की थी? खसरा संख्या 1218 समेत सिरोही नगर परिषद की शेष जमीनों को  खुर्दबुर्द करने को लेकर जांच के लिए उन्होंने कोई पत्र राज्य सरकार को लिखा है? आखिर ऐसा क्या है कि उपखण्ड अधिकारी इतने दिन बीतने के बाद भी खसरा संख्या 1218 के पट्टों की जांच पूरी नहीं कर पाए? क्या कांग्रेस राज में खसरा संख्या 1218 के सबंध में मीडिया में प्रकाशित खबरों के बाद उन्होंने जो विधानसभा में सवाल उठाया था, वह सिरोहीवासियों को भ्रमित करने के लिए था या उनकी नीयत सरकारी जमीनों को खुर्दबुर्द करने से रोकने की थी? सिरोही कोतवाली में दर्ज खसरा संख्या 1218 के मामले में एफआईआर की जांच शीघ्र करने के लिए उन्होंने पुलिस अधीक्षक को कोई निर्देश दिए?
ऐसे कई अनगिनत सवाल हैं जिनके जवाब जनता को दिए बिना प्रभारी मंत्री जनता की अदालत में खुदको जनहितैषी नेता तो सिद्ध नहीं कर पाएंगे। ऐसे में दो ही सूरत है कि या तो वह कांग्रेस की मांग के अनुसार मान लेवें कि उन्होंने यह प्रयास किए थे तथा राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन उनकी सुनते नहीं हैं और वह जनता के विश्वास पर खरा नहीं उतर पाए हैं या इन सभी यक्ष प्रश्नों का जवाब जनता के बीच देकर यह बता देवें कि उनके मन में सिरोही नगर परिषद में उनकी मंत्रीत्व काल में व्याप्त और हुए भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के प्रति कोई सहानूभूति नहीं है।

अन्यथा सिरोही विधानसभा के मतदाताओं के सामने वो चेहरा साफ होने लगेगा जो भाजपा राज के एक साल पूरा होने पर कांग्रेस विधायक संयम लोढा के सिरोही नगर परिषद में व्याप्त भ्रष्टाचार के पैसों से चुनाव लडने के  सार्वजनिक आरोप के बाद धुंधलाया हुआ था। किसी दूसरे का राजनीतिक भविष्य बचाने के लिए खुदका राजनीतिक भविष्य दांव पर लगाना न तो समझदारी है और न ही धर्म। कहीं ऐसा नहीं हो कि उनकी विधानसभा की राह में दीवार खडी करके उनके गले में लटके कथित करीबी अपने विधानसभा पहुंचने की राह बनाने की कवायद शुरू कर देवें।