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RK नगर उपचुनाव परिणाम : टीटीवी दिनाकरन 40,707 वोटों से जीते

R. By-elections: Dinakaran made early lead
R. By-elections: Dinakaran made early lead

चेन्नई। अन्नाद्रमुक में हाशिये पर किए गए नेता टीटीवी दिनाकरन ने राधाकृष्ण नगर (आरके नगर) विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव जीत लिया है। उन्होंने अन्नाद्रमुक उम्मीदवार ई. मधुसूदनन को 40,707 वोटों के अंतर से हराया।

ऐसे कपड़ो में स्पॉट हुईं श्रीदेवी की बेटी, फोटोज देख आप भी रह जाएंगे दंग

मुंबई : बीते दिनों कई बॉलीवुड सेलेब्स अलग-अलग जगहों पर स्पॉट हुए। श्रीदेवी की बेटी जाह्नवी कपूर जिम के बाहर हॉट पैंट में नजर आई।

उन्होंने ऑरेंज कलर का हॉट पैंट और ब्लैक कलर का हाफ स्लीव टॉप पहन रखा था। बता दें कि जाह्नवी धर्मा प्रोडक्शन की फिल्म धड़क से बॉलीवुड में डेब्यू कर रही है।

इस फिल्म में उनके साथ शाहिद कपूर के भाई ईशान खट्टर लीड रोल में हैं।

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अक्षय कुमार की मूवी पैडमैन की पूरी कहानी

'Padman' was not found locally

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नई दिल्ली : 21वीं सदी में भी महिलाएं माहवारी पर खुलकर बात करने में हिचकती हैं। इस मुद्दे पर बात करना सभ्य समाज को सभ्य नहीं लगता, लेकिन इसी भीड़ में एक शख्स ऐसा भी है, जिसने सन् 1990 के दशक में माहवारी पर लिपटे शर्म के चोले को उतार फेंकने से गुरेज नहीं किया। यह शख्स हैं केरल के अरुणाचलम मुरुगनाथम। अक्षय कुमार की फिल्म ‘पैडमैन’ इन्हीं के जीवन से प्रेरित है।

लेकिन असल जिंदगी का यह पैडमैन काफी दुखों और दिक्कतों से गुजरते हुए बदलाव लाने में सफल रहा। महिलाओं के लिए हर महीने आने वाले मुश्किल भरे चंद दिनों की समस्या को समझने के लिए मुरुगनाथम को खुद कई दिनों तक सिनैटरी पैड लगाना पड़ा, जो यकीनन किसी पुरुष के लिए आसान नहीं रहा होगा।

माहवारी के मुद्दे पर आईएएनएस से बातचीत में मुरुगनाथम ने कहा, “मुझे माहवारी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, एक दिन अचानक ही अपनी पत्नी को बहुत ही गंदा कपड़ा छिपाकर ले जाते देखा, तो उससे पूछ बैठा कि ये क्या है और क्यों ले जा रही हो? पत्नी ने डांटकर चुप कर दिया, लेकिन उस दिन मैं समझ गया था कि उस गंदे कपड़े का क्या इस्तेमाल होने वाला है। कपड़ा इतना गंदा था कि मैं उससे अपनी साइकिल पोंछने की हिम्मत भी नहीं जुटा सकता था, लेकिन ठान लिया था कि महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी इस समस्या खातिर जरूर कुछ करना है।”

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मुरुगनाथम आगे कहते हैं, “इस विषय पर जानकारी जुटानी शुरू की, लेकिन दिक्कत यह थी कि कोई बात करने को ही तैयार नहीं था। लोग इस कदर गुस्से में थे, जैसे मैं पता नहीं कोई पाप करने जा रहा हूं।”

इस बीच मुरुगनाथम ने कुछ ऐसा किया, जो किसी भी पुरुष के लिए आसान नहीं रहा होगा। उन्होंने महिलाओं की इस पीड़ा को खुद महसूस करने का फैसला किया और सैनिटरी पैड पहनना शुरू कर दिया।

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वह कहते हैं, “इस दौरान महिलाओं की मानसिक स्थिति को भांपना चाहता था। इसी इरादे से मैंने कई दिनों तक पैड पहना। पैड पर तरल पदार्थ डालकर उस गीलेपन को महसूस करना चाहता था, लेकिन मेरे द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पैड कॉटन के होते थे, जो कारगर नहीं थे जबकि बड़ी-बड़ी कंपनियों के पैड सेल्यूलोज के होते हैं जो गरीब महिलाओं की पहुंच के बाहर हैं।”

महिलाओं की पीड़ा को जानने-समझने की इस कश्मकश में मुरुगनाथम ने सस्ते पैड बनाने वाली मशीन ईजाद कर डाली। इससे दो काम सधे। पहला, गरीब महिलाओं को सस्ते पैड मिलने लगे और दूसरा, कई महिलाओं को रोजगार भी मिला।

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लेकिन एक तरफ मुरुगनाथम जहां अपने लक्ष्य के पीछ दौड़ रहे थे, वहीं उनकी पत्नी लोकलाज का हवाला देकर उन्हें छोड़कर चली गई थी। मां-बाप ने भी शर्म के नाम पर उनसे नाता तोड़ दिया। गांव के लोग उन्हें तिरस्कार और हीन नजरों से देखने लगे, लेकिन ये मुरुगनाथम के हौसले डिगा नहीं पाए।

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मुरुगनाथम की लगन और मेहनत ही है, जो देश के 22 राज्यों में उनके द्वारा तैयार सस्ते पैड बनाने वाली मशीनें स्थापित की गई हैं। वह अति पिछड़े क्षेत्रों में पैड नि:शुल्क भी मुहैया करा रहे हैं और देश के कोने-कोने में घूमकर माहवारी को लेकर जागरूकता फैला रहे हैं।

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अनाथ बच्चों पर बरस रही कैथ्रेडल चर्च की ममता

Father of the Cathedral Church roasting the orphaned children

Father of the Cathedral Church roasting the orphaned children

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजधानी में स्थित कैथ्रेडल चर्च का इतिहास शहर के कैथोलिक गिरिजाघरों में सबसे पुराना है। यूं तो राजधानी में कई और चर्च भी हैं, लेकिन वर्ष 1860 में बना यह चर्च सबके के आकर्षण का केंद्र बना रहता है।

खासतौर से क्रिसमस के दिन यहां पयर्टकों की भी काफी भीड़ दिखाई देती है। इस चर्च की सबसे रोचक बात यह है कि यह अनाथालयों में रह रहे लोगों की देखभाल भी सेवाभाव से करता है।

इस गिरिजाघर का इतिहास भी काफी पुराना है। जानने वाले बताते हैं कि ब्रिटिश हुकूमत के अधीन रहे आइरिस मूल के सैनिकों ने वर्ष 1860 में जब चर्च की आधारशिला रखी, तब पहली प्रार्थना सभा में मात्र दो सौ लोग शामिल हुए। चर्च के पहले पादरी के रूप में आइरिस मूल के ग्लिसन की नियुक्ति की गई।

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इसके बाद चर्च के कई पादरी हुए और अब बिशप डॉ़ जेराल्ड मथाइस के साथ फादर डॉ़ डोनाल्ड डिसूजा चर्च की सेवा कर रहे हैं।

यह चर्च शैक्षणिक और चिकित्सा कार्य में अपना योगदान तो दे ही रहा है, साथ ही अनाथालयों में रह रहे लोगों की देखभाल भी पूरी सेवाभाव से कर रहा है।

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पादरी डॉ़ डोनाल्ड डिसूजा बताते हैं, “शहर में कैथोलिक समुदाय के कदम रखने के बाद पहला चर्च डालीगंज में बना। वहां जगह की कमी के चलते वर्ष 1860 में हजरतगंज में जमीन ली गई। तब यह क्षेत्र शहर के बाहर का इलाका माना जाता था। यहीं पर छोटे से चर्च का निर्माण हुआ। इसके बाद उसी जगह पर वर्ष 1977 में वर्तमान चर्च कैथ्रेडल की बिल्डिंग खड़ी हुई।”

डिसूजा बताते हैं, “इस आर्किटेक्ट के पीछे आध्यात्मिक सोच छिपी थी। इसका आकार उभारने से पहले ही इस पर काफी विचार-विमर्श किया गया था। काफी मंथन के बाद नाव के आकार का यह चर्च तैयार किया गया था।”

आध्यात्मिक सोच को लेकर डिसूजा ने बताया कि कैथ्रेडल चर्च की बनावट यह संदेश देती है कि चर्च रूपी नाव में बैठकर ही स्वर्ग का रास्ता तय किया जा सकता है। कैथ्रेडल चर्च का नाम लैटिन शब्द ‘कतेद्रा’ से लिया गया है। कतेद्रा का मतलब होता है बैठका, जहां कैथोलिक समुदाय के धर्माध्यक्ष बैठते हैं।

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कैथ्रेडल चर्च ईसाई शैक्षणिक संस्थान में पढ़ रहे गरीब परिवार के बच्चों की फीस माफ कराने के साथ-साथ अनाथालयों में भी अपनी सेवा देता आ रहा है।

पादरी डॉ़ डोनाल्ड डिसूजा के मुताबिक, शहर में सेंट फ्रांसिस और सेंट पल स्कूल जैसे बेहतर शैक्षणिक संस्थान हैं। यहां पढ़ने वाले गरीब बच्चों को फीस में छूट मिलती है। इसके साथ ही सप्रू मार्ग पर प्रेम निवास अनाथालय में रह रहे अनाथों की सुविधा का पूरा ख्याल रखा जाता है।

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शिकागो में गोलीबारी से 11 लोग चोटिल

11 fatal injuries in Chicago firing

11 fatal injuries in Chicago firing

शिकागो : अमेरिका के शिकागो में क्रिसमस की छुट्टियों के सप्ताहंत के शुरुआती 14 घंटों में शहर में हुई गोलीबारी में 11 लोग घायल हो गए। पर बैठा था कि तभी किसी ने उस पर गोली चला दी।

‘शिकागो सन-टाइम्स’ ने पुलिस के हवाले से बताया कि युवक को बाईं जांघ में गोली लगी और उसे इलिनोइस मैसोनिक मेडिकल सेंटर ले जाया गया जहां उसकी स्थिति स्थिर बनी हुई है।

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शिकागो में 2016 में छुट्टियों के दौरान 59 लोगों पर गोली चली थी जिसमें 11 मारे गए थे।

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