Home Delhi पेलेट गन के संभावित विकल्पों पर विशेषज्ञ समिति ने सौंपी रिपोर्ट

पेलेट गन के संभावित विकल्पों पर विशेषज्ञ समिति ने सौंपी रिपोर्ट

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पेलेट गन के संभावित विकल्पों पर विशेषज्ञ समिति ने सौंपी रिपोर्ट
Pellet guns for rare cases, use chili, stun grenades : govt panel
Pellet guns for rare cases, use chili, stun grenades : govt panel
Pellet guns for rare cases, use chili, stun grenades : govt panel

नई दिल्ली। गैर-घातक हथियार के रूप में पेलेट गन का संभावित विकल्‍प खोजने संबंधी विशेषज्ञ समिति ने सोमवार को केन्‍द्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि को अपनी रिपोर्ट सौंप दी।

जम्मू कश्मीर से लेकर देश की संसद तक में पेलेट गन पर विरोध के बाद केंद्र सरकार ने गैर-घातक हथियार के रूप में पेलेट गन का संभावित विकल्‍प खोजने के लिए गृह मंत्रालय के संयुक्‍त सचिव टीवीएसएन प्रसाद की अध्‍यक्षता में एक सात सदस्‍यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया था।

समिति में अतुल कर्वाल, आईजी, सीआरपीएफ, श्रीनगर, राजीव कृष्‍ण, आईजी (ऑपरेशन्‍स), बीएसएफ, राजेश कुमार, आईपीएस, जे एंड के पुलिस, तुषार त्रिपाठी, आईओएफएस, डीडीजी, स्‍माल आर्म्‍स, ओएफबी, डा. मंजीत सिंह, निदेशक, टीबीआरएल, चंडीगढ और डा. नरेश भटनागर, प्रोफेसर, आईआईटी, दिल्‍ली शामिल हैं।

सूत्रों के अनुसार सुरक्षा बलों के पास ‘मिर्ची गैस’ अर्थात ‘पावा शैल’ एक विकल्प है जो पेलेट गन जैसा हानिकारक नहीं है परंतु प्रदर्शनकारियों को अस्थायी रूप से स्तब्ध कर सकता है।

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के ग्वालियर स्थित टियर स्मोक यूनिट (टीएसयू) को लगभग 50,000 पावा शैल के राउंड बनाने के लिए कहा गया है। सूत्रों ने कहा इस पावा शैल का पिछले एक वर्ष से भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ, में परीक्षण किया जा रहा था।

उल्लेखनीय है कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने हालिया जम्‍मू-कश्‍मीर दौरे के दौरान दो-तीन दिनों के भीतर विवादित पेलेट गन का विकल्‍प देने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि इस मुद्दे पर बनी विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट आने के बाद विकल्‍प दिया जाएगा।

जम्मू कश्मीर में प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा पेलेट गन के इस्तेमाल से घायल हो रहे लोगों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

बंदूक के छर्रों से कई लोग अपनी आंखें गंवा चुके हैं। ऐसे में स्थानीय जनता और राजनीतिक दलों द्वारा बार—बार पेलेट गन को प्रतिबंधित किए जाने की मांग उठ रही है।