Home Health पार्किसन के इलाज में बाकला दाल कारगर, नियमित सेवन जरूरी

पार्किसन के इलाज में बाकला दाल कारगर, नियमित सेवन जरूरी

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पार्किसन के इलाज में बाकला दाल कारगर, नियमित सेवन जरूरी

Phaseolus pulses vulgaris effective in treatment of Parkinson

वाराणसी। पूर्वांचल में कांपने की बीमारी पर्किसंन के मरीज बढ़ रहे है। यह बीमारी 50 वर्ष के उम्र से शुरू होती है। यह शरीर के किसी भी हिस्से में कंपन शुरु कर देती है। अमूमन कंपन हाथ, पैर और गर्दन से शुरु होता है जिसके बाद मांसपेशिया धीरे-धीरे कमजोर हो जाती है।

रविवार को बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के न्यूरोलॉजिस्ट प्रो. विजयनाथ मिश्र ने बताया कि इस रोग से पीड़ित मरीज चलने-फिरने में धीरे-धीरे असमर्थ महसूस करने लगते है। बताया कि इस बीमारी की पहचान पार्किंसन ने की थी। जिससे इस बीमारी को पार्किंसन नाम से जाना जाता है।

बताया कि पार्किसन बीमारी पर हुए शोध से पता चला कि बाकला दाल नियमित खाने से बीमारी दूर हो सकती है। कुछ मरीजो पर शोध के आधार पर पता चला कि बाकला दाल में लिवोडोपा के तत्व मौजूद है जो की पार्किंसन के मरीजों को दी जाती है।

यदि इसका नियमित सेवन किया जाए तो मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है। इस बीमारी को अनुवांशिक भी बताया जाता है। बताया कि बाकला दाल की पैदावार यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश और असम के विभिन्न हिस्सों में होती है।