Home Delhi सीबीएसई ने सुप्रीमकोर्ट से कहा, प्रद्युम्न की हत्या को रोका जा सकता था

सीबीएसई ने सुप्रीमकोर्ट से कहा, प्रद्युम्न की हत्या को रोका जा सकता था

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सीबीएसई ने सुप्रीमकोर्ट से कहा, प्रद्युम्न की हत्या को रोका जा सकता था
Pradhuman murder could have been averted, CBSE tells Supreme Court
Pradhuman murder could have been averted, CBSE tells Supreme Court
Pradhuman murder could have been averted, CBSE tells Supreme Court

नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने सुप्रीमकोर्ट से कहा है कि स्कूल प्रबंधन द्वारा अपने कर्तव्यों का निर्वहन सचेत रूप से और ईमानदारी से किया गया होता तो गुरुग्राम के स्कूल में हुई प्रद्युम्न ठाकुर की दुर्भाग्यशाली मौत को टाला जा सकता था।

प्रद्युम्न के पिता के वकील ने गुरुवार को इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बोर्ड ने स्कूल प्रबंधन की ओर से कई कथित कमियों को सूचीबद्ध किया है।

सात वर्षीय प्रद्युम्न की 8 सितम्बर को गुरुग्राम के सोहना रोड पर भोंडसी इलाके में रयान इंटरनेशनल स्कूल के शौचालय में हत्या कर दी गई थी। इसके बाद उसके पिता बरुण चंद्र ठाकुर इस मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय गए।

ठाकुर के वकील सुशील के. टेकरीवाल ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में सीबीएसई का शपथपत्र बताता है कि स्कूल प्रबंधन, परिसर में बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने में विफल रहा है।

टेकरीवाल ने शपथ पत्र का हवाला देते हुए कहा कि रेयान प्रबंधन ने छात्रों को पीने का पानी प्रदान नहीं किया और न ही परिसर में कोई आरओ प्लांट स्थापित किया गया। परिसर में बोरवेल के पानी की आपूर्ति की जाती थी।

उन्होंने कहा कि सीबीएसई ने अपने शपथपत्र में यह भी कहा है कि परिसर में प्रमुख जगहों पर कोई रैंप नहीं था, ना कोई क्लोज सर्किट टेलीविजन था, और स्कूल भवन के अंदर दो मंजिलों पर प्रयोग में न आने वाली कक्षाओं में ताले तक नहीं लगाए गए थे।

टेकरीवाल ने कहा कि सीबीएसई के शपथपत्र में स्कूल के अंदर कई गंभीर अनियमितताएं और सुरक्षा खामियों का उल्लेख किया गया है, जैसे विद्यार्थियों के साथ शौचालयों तक जाने के लिए कोई अटेंडेंट नहीं होता था, गैर-शिक्षण स्टाफ और बच्चों के लिए अलग-अलग शौचालय नहीं था, स्नानघर और रेस्टरूम नहीं मुहैया कराया गया था।

वकील ने कहा कि हत्या के तुरंत बाद स्कूल प्रबंधन ने न तो पुलिस को सूचित किया और न ही कोई प्राथमिकी दर्ज कराई गई। इसके अलावा स्कूल के परिसर की दीवारों पर ऊंचाई पर्याप्त नहीं थी और न ही उन पर कांटेदार तार लगाए गए थे।

बरुण चंद्र ठाकुर ने कहा कि इस मामले में सीबीएसई के शपथपत्र ने सर्वोच्च न्यायालय में उनका साथ दिया है और उन्होंने उम्मीद जताई है कि उन्हें न्याय जरुर मिलेगा।