Home Breaking पढिये कि आखिर सूचीबद्ध नहीं होने पर भी क्यों प्रधानमंत्री को देना पड़ा भाषण

पढिये कि आखिर सूचीबद्ध नहीं होने पर भी क्यों प्रधानमंत्री को देना पड़ा भाषण

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पढिये कि आखिर सूचीबद्ध नहीं होने पर भी क्यों प्रधानमंत्री को देना पड़ा भाषण

narendra modi
नई दिल्ली। न्यायाधीशो व मुख्यमंत्रियों के संयुक्त सम्मेलन में देश के मुख्य न्यायाधीश की भावुक भाषण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे देश की न्यायपालिका पर लोगों की आस्था है।

वे जानते हैं कि हमारी न्यायपालिका पर काम का बहुत बोझ है। उन्होंने जजों की कमी और लाखों लंबित मामलों की मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की शिकायत पर कार्रवाई करने का भरोसा दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश के विभिन्न न्यायालयों में बड़ी संख्या में मामले लंबित पड़े हैं। वह मुख्य न्यायाधीश की चिंता को समझते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार और न्यायपालिका इन मुद्दों का समाधान खोजने के लिए साथ मिलकर काम कर सकती है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि न्यायपालिका में हमारे देश के आम आदमी का उच्च स्तर का विश्वास है।

मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर के भाषण का उल्लेख  करते हुए कि प्रधानमंत्री ने कानून की किताबों से पुराने कानूनों को हटाने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर भी जोर दिया। मुख्य न्यायाधीश की देश में न्यायपालिका को बचाने की भावुक अपील सुनने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अनुसूचित नहीं होने के बाद भी अपना वक्तव्य रखा और मुख्य न्यायाधीश को सकारात्मक प्रयास का भरोसा दिलाया।
नरेन्द्र मोदी ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश ने अहम बात रखी हैं, उनको सुनकर चला जाउंगा, ऐसा इंसान नहीं हूं। अगर संवैधानिक सीमाएं न हों तो मुख्य न्यायाधीश की टीम और सरकार के प्रमुख लोग आपस में बैठकर समाधान निकालें। उन्होंने कहा कि देश में कानून बनाते समय देखना होगा कि उसमें दुविधा न रहे। पुराने कानून नई व्यवस्थाओं में अड़चन पैदा करते हैं इसलिए उन्हें दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।
इससे पहले मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने अपने संबोधन में कहा कि देश में न्यायपालिका पर काम का बहुत बोझ है। जजों की कमी और लाखों मामले लंबित होने के चलते न्यायापलिका पर काम का बोझ बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि जब तक यह बोझ कम नहीं होता तब तक मेक इन इंडिया योजना कारगर नहीं हो सकती। अपनी बातें रखते हुए मुख्य न्यायाधीश भावुक हो गए।
मेक इन इंडिया और विदेशी निवेश बढ़ाना सरकार की कोशिश है लेकिन देश का विकास न्यायपालिका की क्षमता से जुड़ा है। जब तक न्यायपालिका पर काम का बोझ हल्का नहीं किया जाता तब तक ये सब कारगार नहीं होगा। केंद्र कहता है कि हम मदद को तैयार हैं लेकिन यह काम राज्यों का है। राज्य कहते हैं कि फंड केंद्र सरकार को देना होता है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं।