Home India City News साधु को 5 माह का बच्चा गोद देने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

साधु को 5 माह का बच्चा गोद देने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

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साधु को 5 माह का बच्चा गोद देने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
rajasthan high court cancels adoption of child by religious guru
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जयपुर/खंडवा। राजस्थान हाईकोर्ट ने पांच माह के बच्चे को साधु को गोद देने पर रोक लगाते हुए बच्चे को मां बाप को सुपुर्द करने के आदेश दिए।

अवकाश होने के बावजूद शनिवार को न्यायाधीश एम बेला त्रिवेदी ने साधु को बच्चा गोद देने के मामले में दादा राजेन्द्र प्रसाद पुरोहित की याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश में गोद पर रोक लगा दी।

पुरोहित की याचिका पर शुक्रवार को बच्चे को खण्डवा (मध्यप्रदेश) से अदालत में पेश करने के निर्देश दिए थे। इस पर आश्रम के कुछ लोगों ने बच्चे के माता पिता को बच्चा सुपुर्द कर दिया था। याचिका में दादा ने बताया था कि पांच माह के बच्चे को खण्डवा के साधु रामदास महाराज उर्फ छोटा सरकार को 23 जुलाई को गोद दिया है जहां उसके जीवन पर खतरा है। उन्होंने यह भी आशंका जाहिर की थी कि साधु तांत्रिक है तथा बच्चे के साथ दुव्र्यवहार भी हो सकता है।

मालूम हो कि धुनिवाले दादाजी आश्रम खेड़ीघाट (बड़वाह) के प्रमुख रामेश्वरदयाल महाराज उर्फ छोटे सरकार द्वारा एक ढाई महीने के बच्चे को गोद लेकर उसे अपना उतराधिकारी घोषित किए तथा बच्चे के सगे दादा द्वारा जयपुर हाईकोर्ट में चुनौती दिए जाने का मामला सुर्खियों में आया है। उच्च न्यायालय जयपुर ने बच्चे के दादाजी की अर्जी पर बच्चे को छोटे सरकार को सौंपे जाने पर रोक लगाते हुए उसे बच्चे के माता-पिता के पास ही रखे जाने के निर्देश दिए हैं।

इस बहुचर्चित मामले की शुरूआत मध्यप्रदेश के खण्डवा से ही हुई जहां गुरूपूर्णिमा के पूर्व रामेश्वरदयाल महाराज उर्फ छोटे सरकार ने खण्डवा में दादाजी धूनीवाले के मूल आश्रम में 23 जुलाई को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए एक बच्चे को गोद लेने की घोषणा की। उन्होंने इस बच्चे का नाम दिया अनंत दयाल और उसे गोद में लेकर ददाजीधाम में पूजा अर्चना की। यह बच्चा जयपुर के पवन- पूजा पुरोहित का था जो छोटे सरकार के अनन्य भक्तों में से एक है।

छोटे सरकार के नाम से मशहूर स्वामी रामेश्वरदयाल के पास करोड़ों की अथाह संपत्ति है। देश के राजधानी दिल्ली, भोपाल, इंदौर, खेड़ीघाट सहित अनेक शहरो में उनके आश्रम है। उनका अपना एक निजी हेलकॉप्टर भी है और खेड़ीघाट आश्रम में निजी हेलीपेड और हेंगर भी। बताया जाता है कि देश के एक बड़े कारपोरेट हाउस ने उन्हें यह हेलीकॉप्टर भेंट किया था।

पवन पुरोहित ने उस समय चर्चा में बताया था कि उनके दो बेटे है जिनमे एक 7 वर्ष का बड़ा बेटा है और दूसरा छोटा गोद में है। उन्होंने स्वेच्छा से इस बच्चे को अपने गुरूजी को गोद देना स्वीकार किया। खण्डवा में दादाजी धूनीवाले के मुख्य आश्रम में पूरे विधि विधान से यह प्रक्रिया बड़ी संख्या में उपस्थित भक्तों के बीच पूर्ण की गई। इसके बाद छोटे सरकार ने बच्चे को गोद में लेकर दादाजी की समाधि के दर्शन किए और पूजा अर्चना की।

इस मौके पर बच्चे के माता-पिता सहित बड़ी संख्या में छोटे सरकार के समर्थक उपस्थित थे। छोटे सरकार ने इस मौके पर इतना कहा कि वे गुरुपूर्णिमा के पहले इस बच्चे को गोद लेना चाहते थे और आज दादाजी की कृपा से यह कार्य पूर्ण हुआ। इस बीच बच्चे के दादाजी ने अपने पोते को छोटे सरकार को सौंपे जाने का विरोध करते हुए जयपुर हाईकोर्ट से हस्तक्षेप की गुहार लगाई। बच्चे के दादा का कहना था कि उन्हें अनिष्ट की आशंका है इसके लिए वे चाहते है बच्चा उनके ही परिवार में रहे।

न्यायालय ने ना सिर्फ उनकी अर्जी स्वीकार की बल्कि शनिवार को छुट्टी के दिन भी विशेष रूप से अदालत लगाकर इस मामले की सुनवाई की। न्यायालय ने भी इतने छोटे बच्चे को स्वामीजी को सौंपे जाने को ठीक नहीं माना और बच्चे के माता-पिता को ही अपने पास रखकर परवरिश का आदेश दिया।

छोटे सरकार के समर्थक और समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि खण्डवा के दादाजी धुनिवाले आश्रम में सप्ताह भर पूर्व यह रस्म पूरी की गई थी। छोटे सरकार के भक्तों का कहना है कि दत्तक दिए जाने की प्रक्रिया पूरी तरह पारस्परिक सहमति से राजीखुशी संपन्न हुई ऐसे में अचानक उठे इस विवाद से सभी भक्त हतप्रभ है।