Home Business खुदरा महंगाई में रिकार्ड गिरावट, फैक्ट्री उत्पादन भी गिरा

खुदरा महंगाई में रिकार्ड गिरावट, फैक्ट्री उत्पादन भी गिरा

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खुदरा महंगाई में रिकार्ड गिरावट, फैक्ट्री उत्पादन भी गिरा
Retail inflation falls to record low, factory output dips
Retail inflation falls to record low, factory output dips
Retail inflation falls to record low, factory output dips

नई दिल्ली। खुदरा या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर मई में घटकर 2.18 फीसदी रही, जो पिछले साल के इसी महीने में 5.76 फीसदी थी।

वहीं, फैक्टरी उत्पादन अप्रैल में घटकर 3.1 फीसदी रही, जोकि अनुक्रमिक आधार पर एक महीने पहले 3.75 फीसदी थी। हालांकि नए आईआईपी सूचकांक के मुताबिक मार्च में यह 2.70 फीसदी थी।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़ों से सोमवार को मिली जानकारी के अनुसार अप्रेल में महंगाई दर 2.99 फीसदी रही थी।

उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचंकाक में (सीएफपीआई) मई में अपस्फीति देखी गई और यह नकारात्मक 1.05 फीसदी रही, जबकि साल 2016 की समान अवधि में यह 7.45 फीसदी पर थी। इसमें कमी आने का मुख्य कारण दालों, अनाजों और खराब होने वाली वस्तुओं की कीमतों में हुई गिरावट है।

मई में सब्जियों की कीमतों में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 13.44 फीसदी की गिरावट आई, दालों की कीमत में 19.44 फीसदी की तेज गिरावट आई। समीक्षाधीन माह में खाद्य पदार्थ और बेवरेज की कीमतों में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 0.22 फीसदी की गिरावट आई।

गैर खाद्य पदार्थ श्रेणी में ‘ईधन और बिजली’ के क्षेत्र में सबसे ज्यादा 5.46 फीसदी की मुद्रास्फीति दर रही। ग्रामीण सीपीआई की दर मई में बढ़कर 2.30 फीसदी रही, जबकि शहरी क्षेत्रों में खुदरा महंगाई दर 2.13 फीसदी रही।

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साल 2012 के बाद से मुद्रास्फीति की दर में यह सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। विनिर्माण क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन के कारण देश के फैक्टरी उत्पादन में पिछले महीने 3.1 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी आईआईपी डेटा के मुताबिक 2011-12 के संशोधित आधार वर्ष के साथ औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के मुताबिक फैक्टरी उत्पादन में अप्रेल के दौरान 3.1 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो मार्च में 2.7 फीसदी थी।

फरवरी में फैक्टरी उत्पादन में 1.9 फीसदी की वृद्धि हुई थी। पिछले महीने (मई) में तेजी मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र में 2.6 फीसदी की वृद्धि के कारण थी, जिसका समग्र सूचकांक में अधिकतम वजन होता है।

मई में खनन उत्पादन में 4.2 फीसदी तथा बिजली उत्पादन में 5.4 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। छह बड़े उद्योगों के समूह में प्राथमिक वस्तुओं का विकास दर 3.4 फीसदी, मध्यवर्ती वस्तुओं में 4.6 फीसदी, उपभोक्ता गैर टिकाऊ वस्तुओं में 8.3 फीसदी और अवसंचरना या निर्माण वस्तुओं में 5.8 फीसदी की तेजी देखी गई।

वहीं, इसके विपरीत उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं के उत्पादन में 6 फीसदी की गिरावट आई और पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में 1.3 फीसदी की गिरावट आई।

पिछले हफ्ते भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2017-18 की अपनी दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा था।

फैक्टरी उत्पादन के आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एसोचैम ने इसे देश में औद्योगिक गतिविधियों के लिए सकारात्मक संदेश करार दिया है। हालांकि कहा है कि ‘विकास में स्थिरता नहीं दिख रही है।’

एसोचैम ने एक बयान में कहा कि 2017 के अप्रेल के आईआईपी आंकड़े अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण का सूचक है, जो पिछले महीने (अप्रैल) की तुलना में 3.1 फीसदी अधिक है।

इसी तरह से, फिक्की के अध्यक्ष पंकज पटेल ने कहा कि कुल मिलाकर औद्योगिक विकास में स्थिरता दिख रही है और आने वाले महीनों में वैश्विक मांग बरकरार रहती है तो इसमें और भी तेजी आएगी। उद्योग को विनिर्माण निर्यात को बढ़ावा देनेवाली आने वाली विदेश व्यापार नीति का इंतजार है।

पटेल ने आगे कहा कि कम ब्याज दरों के साथ एक उदार मौद्रिक नीति की जरुरत है। इससे उपभोक्ता मांग में इजाफा होगा, जो निर्यात से होनेवाली किसी भी नकारात्मक जोखिम को रोकेगी।