Home Astrology ऋषि ने आकाश के रेवती नक्षत्र को जमीन पर गिराया…

ऋषि ने आकाश के रेवती नक्षत्र को जमीन पर गिराया…

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ऋषि ने आकाश के रेवती नक्षत्र को जमीन पर गिराया…
Revati Nakshatra born characteristics and features
Revati Nakshatra born characteristics and features
Revati Nakshatra born characteristics and features

सबगुरु न्यूज। आकाश के नक्षत्र पर अपनी विद्या का प्रयोग कर ऋतवाक ऋषि ने जमीन पर गिरा दिया। वह नक्षत्र रेवती था, जो आज भी नक्षत्र मण्डल में विद्यमान हैं ओर चन्द्रमा के परिक्रमा मार्ग में स्थित है। इसे सताईसवा नक्षत्र “रेवती” कहा जाता है।

चन्द्रमा इस नक्षत्र के अंतिम चरण से जब गुज़रता है तो वहां रेवती नक्षत्र व आकाश मंडल की बारह राशि का मीन आखरी छोर है, जहां चन्द्रमा की परिक्रमा पूरी हो जाती हैं।

ज्योतिष शास्त्र में इसे रेवती नक्षत्र का चौथा चरण माना जाता है तथा इसे गंडाणत अर्थात खराब माना जाता है। इस जगह पर जब चन्द्रका भ्रमण होता है उस समय किसी बच्चे का जन्म होता है तो उसे अशुभ फल देने वाला माना जाता है। इसे गंडमूल नक्षत्र कहा जाता है।

ऋषि ऋतवाक का तंत्रों की दुनिया से गहरा संबंध था। उन्होंने मारण मटका कर्म से आकाश के उस रेवती नक्षत्र को जमीन पर मार गिराया। कारण यह था कि ऋषि के एक पुत्र संतान हुई उसे सब कुछ विद्या सिखाई लेकिन वह शैतान बन गया और ग़लत विषय मे लग गया।

ऋषि ने ज्योतिषशास्त्र के ज्ञाता गर्ग ऋषि से पूछा तों उन्होंने दैवी शक्ति की उपासना के लिए कहा तथा रेवती नक्षत्र के खराब प्रभावों के बारे में बताया। इस कारण ऋषि ऋतवाक ने गुस्सा कर रेवती को जमीन पर गिरा दिया।

रेवती नक्षत्र कुमुद गिरि पर्वत पर गिरा और ऊसकी ऊर्जा से एक सुन्दर कन्या का जन्म हुआ। कन्या का नाम भी रेवती रखा गया। इसे एक ऋषि ने पाला तथा बड़ी होने पर कन्या के विवाह के लिए दिन निश्चित कर दिया। लेकिन कन्या ने कहा वो रेवती नक्षत्र में चन्द्रमा के आने के दिन ही शादी करेंगी अन्यथा नहीं।

प्रमुच ऋषि बोले, पुत्री रेवती नक्षत्र अब चन्द्रमा के मार्ग में हीं नहीं है क्योकि ऋतवाक ऋषि ने उसे जमीन पर गिरा दिया है। तब कन्या ने कहा आप स्वयं अपनी योग शक्ति सें उसे आकाश मंडल मे स्थापित करें। ऋषि ने अपने योग बल से उस जमीन पर गिरे नक्षत्र को आकाश मंडल में पुनः स्थापित कर रेवती नक्षत्र में अपनी पुत्री का विवाह संस्कार कराया।

हो सकता है कि यह एक कहानी लग रही हैं लेकिन आज का विज्ञान आकाश मंडल में जब अपने उप ग्रह स्थापित कर सकता है तो प्राचीन काल का विज्ञान भी यह सब कुछ करने में समर्थ रहा होगा वो विज्ञान आज लोप हो चुका है।

जो भी हो यदि बच्चे का जन्म गंडमूल नक्षत्र में हो गया है तो आप घबराएं नहीं, प्राकृतिक शक्ति की आराधना शुभता प्रदान करेगी।

संतजन कहते हैं कि हे मानव तू अच्छे विचार रख तथा मानव को मानव समझ तथा सबके कल्याण के लिए काम कर तुझे ओर कुछ भी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी चाहे फिर तू किसी भी नक्षत्र में जन्म ले।

सौजन्य : भंवरलाल