Home Delhi म्यांमार से भारत में घुसे रोहिंग्या नहीं है शरणार्थी : राजनाथ

म्यांमार से भारत में घुसे रोहिंग्या नहीं है शरणार्थी : राजनाथ

0
म्यांमार से भारत में घुसे रोहिंग्या नहीं है शरणार्थी : राजनाथ
rohingyas are illegal immigrants, not refugees says rajnath singh
rohingyas are illegal immigrants, not refugees says rajnath singh
rohingyas are illegal immigrants, not refugees says rajnath singh

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि म्यांमार से भाग कर भारत में घुसे रोहिंग्या लोगों को शरणार्थी समझने की गलती नहीं की जानी चाहिए क्योंकि वे अवैध आव्रजक हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे को देखते हुए उन्हें वापस भेजा जाना चाहिए।

राजनाथ ने यह बात जिस कार्यक्रम में कही, वहां राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के चेयरमैन न्यायाधीश एच.एल.दत्तू भी उपस्थित थे। राजनाथ से उलट दत्तू ने कहा कि एनएचआरसी रोहिंग्या का समर्थन करेगा क्योंकि उन्हें म्यांमार में प्रताड़ित किया गया है।

सुशासन, विकास और मानवाधिकारों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि हमें इस सच्चाई को समझने की जरूरत है कि म्यांमार से भारत आए रोहिंग्या शरणार्थी नहीं हैं। किसी को शरणार्थी का दर्जा पाने के लिए एक प्रक्रिया का पालन करना होता है। उनमें से किसी ने भी इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया है।

उन्होंने कहा कि गैरकानूनी आव्रजकों के खिलाफ कार्रवाई कर भारत किसी भी अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं करेगा क्योंकि यह मुद्दा भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है।

उन्होंने कहा कि किसी रोहिंग्या ने भारत में शरण नहीं मांगी है और हम मानवाधिकारों की चिंताओं के कारण उनके निर्वासन पर सवाल नहीं उठा सकते हैं। अवैध आव्रजकों को शरणार्थी समझने की गलती न करें। कोई भी सार्वभौम देश अवैध आव्रजकों के खिलाफ कार्रवाई करेगा। यह मुद्दा हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा है।

करीब 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान भारत में रह रहे हैं। इनमें से अधिकांश जम्मू और हैदराबाद में हैं। रोहिग्या को देश से निर्वासित करना चाहिए या फिर उन्हें शरणार्थियों का दर्जा देने चाहिए, इस बहस के बीच गृह मंत्रालय ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय में रोहिंग्या लोगों को म्यांमार भेजने के लिए शपथ पत्र दाखिल किया है, जिसमें उन्हें भारत के लिए खतरा बताया गया है। न्यायलय में इस मामले की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी।

गृह मंत्री ने सम्मेलन में रोहिंग्या लोगों को निर्वासित करने के बारे में कहा कि भारत किसी भी अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं करेगा। भारत ने 1951 की संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संधि पर हस्ताक्षर भी नहीं किया है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि जब म्यांमार उनको वापस बुलाने के लिए तैयार है, तो हमें क्यों उनके निर्वासन पर आपत्ति होनी चाहिए। दत्तू ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि एनएचआरसी रोहिंग्या लोगों के पक्ष में बोलेगा।

दत्तू ने कहा कि हम मानवीय आधार पर 40,000 रोहिंग्या के मामले में पक्ष रखेंगे। हम सरकार की नीति पर टिप्पणी नहीं कर सकते, लेकिन हम उनकी मदद कर रहे हैं क्योंकि उन्हें म्यांमार में सताया जा रहा है।