Home Opinion रूपमुनि का चातुर्मास समपन्न, धर्म के प्रति श्रद्धा की सीख

रूपमुनि का चातुर्मास समपन्न, धर्म के प्रति श्रद्धा की सीख

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roop muni
चातुर्मास समापन समारोह में प्रवचन करते लोकमान्य संत रूपमुनि

नाडोल। लोकमान्य संत वरिष्ठ प्रवर्तक शेरे राजस्थान रूपमुनि महाराज ने कहा कि नाडोल मेरी जन्मभूमि है मेरी दीक्षा के  72  साल के पर्याय में यह मेरा प्रथम चातुर्मास हुआ जैसी मेरी आशा थी उससे भी अधिक नाडोल के  गुरूभ्भक्तों ने तन, मन, धन के साथ गुरूभ्भक्ति का परिचय देकर अपने गुरू के प्रति समर्पण को सिद्ध कर दिया है।…

वे मुक्ता मिश्री रूपसुकन दरबार मे चातुर्मास के अन्तिम दिन गुरुवार को आयोजित चातुर्मास समापन व विदाई समारोह में प्रवचन कर रहे थे।

उन्होंने ने लोकाशाह जयन्ति पर लोकाशाह के जीवन पर डालते हुए कहा कि मेरा मन आज  अत्यन्त प्रसन्न है। चातुर्मास के चार महीने में धर्मध्यान, त्याग, तप, एवं प्रवचन श्रवण का अनूठा नजारा प्रंशसनीय रहा, सारे गुरूभक्तों ने जो चातुर्मास में भ्भक्ति का परिचय दिया वैसा ही भक्ति भाव बनाए रखना एवं धर्म के प्रति दृढ श्रद्धा रखना।

मरूधरा भूषण उपप्रवर्तक सुकनमुनि महराज, तपस्वी रत्न अमृतमुनि, डॉ.अमरेशमुनि निराला,डॉ.दीपेशमुनि, अखिलेशमुनि ने भी उदबोधन दिया। उदयपुर के सघं ने 2015 के चातुर्मास के लिए विनती की। समारोह में पुलिस उपनिदेशक हेमन्त पुरोहित, पुलिस अध्ीक्षक अनिल टांक एवं बाहर से आए भक्तों का एवं गांव के छतीसी कौम के गणमान्य नागरिकों का चातुर्मास समिति नाडोल अध्यक्ष कांतीलाल जैन, महामंत्री हितैष चौहान, संयोजक जयचन्द कटारिया, नेमीचन्द चौपड़ा, उपाध्यक्ष देवीचन्द बोहरा, मंत्री जगदीशसिंह राजपुरोहित, जंवरीलाल कटारिया, कोषाध्यक्ष प्रकाशचंद, सह कोषाध्यक्ष मेघाराम, नथमल गांधी, सह संयोजक पोमाराम चौधरी, छगनलाल मेवाडा, प्रकाशचन्द छैल्लाणी, पारसमल पटवा, गौतमचन्द लोढा, बाबूलाल सुराणा, मंागीलाल बाफ ना, मोहनलाल मेवाडा, भूराराम एम.चौधरी, रूपमुनि महराज के निजी सचिव नरेन्द्र देवासी सहीत समिति सदस्यों द्वारा शॉल व माला से स्वागत किया।

मंच सचालन महावीरचन्द बोरून्दिया ने किया। इस अवसर पर विभिन्न राज्यों से  आए हजारों गुरूभ्उाक्तों ने आयोजित गौतम प्रसादी ग्रहण की। चातुर्मास समिति के अध्यक्ष कांतिलाल जैन ने बताया कि 7 नम्वबर शुक्रवार को प्रात:चातुर्मास के बाद लोकमान्य संत रूपमुनि एवं सभी संतवृंद प्रथम विहार रूपमुनि धर्मशाला से आशापुरा माताजी पाटस्थान मन्दिर के लिए होगा।

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