Home Rajasthan Jaipur मातृशक्ति और घुमंतू जाति के नेतृत्व से सरसंघचालक ने की बातचीत

मातृशक्ति और घुमंतू जाति के नेतृत्व से सरसंघचालक ने की बातचीत

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मातृशक्ति और घुमंतू जाति के नेतृत्व से सरसंघचालक ने की बातचीत

जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने जयपुर प्रवास के छठे दिन सोमवार को भारती भवन में घुमंतू जातियों के मुखियाओं से मुलाकात की।

इस अवसर पर बागरिया, नट, सांसी, कालबेलिया, बावरी, बंजारा, गाड़िया लौहार आदि घुमंतू बिरादरियों के गणमान्य महानुभाव उपस्थित थे। उन्होंने सामाजिक क्षेत्र में सेवा कार्यों में सक्रिय मातृशक्ति से भी बातचीत की।

डॉ. भागवत ने साफ संदेश दिया कि संघ हिंदू संगठन के माध्यम से राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति के लिए संपूर्ण समाज को साथ लेकर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने घुमंतू जातियों के मुखियाओं से आह्वान किया कि हमको स्वाभिमान के साथ अपने समाज में शिक्षा-संस्कार की व्यवस्था करते हुए दृढ़ता के साथ कार्य करना चाहिए।

डॉ. भागवत से चर्चा के दौरान घुमंतू समाज के मुखियाओं ने उनके समक्ष अपनी समस्याओं को भी रखा। उन्होंने बताया कि घुमंतू होने के कारण समाज के अनेक बंधुओं को पहचान पत्र, राशन कार्ड, आधार कार्ड, भामाशाह आदि नहीं बन पाते हैं। इसके चलते हमें शासकीय सुविधाओं से वंचित होना पड़ता है।

इस पर सरसंघचालक ने कहा कि सेवा विभाग में काम करने वाले स्वयंसेवक इन कार्यों में सहयोग करते ही हैं, अब और अधिक गति से इस काम में सहयोग करेंगे ताकि आपकी पहचान को कोई संकट नहीं आए।

डॉ. भागवत ने उनको कहा कि हमें समाज में एक शमशान, एक मंदिर और एक जलस्रोत इस बात पर जोर देना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि आपस में सभी बिरादरियों को सजीव संपर्क में रहना चाहिए।

मातृशक्ति को सेवा कार्यों के लिए किया प्रेरित

सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने सोमवार को भारती भवन पर समाजिक क्षेत्र में सक्रिय सेवा कार्य करने वाली माता-बहिनों से भी चर्चा की। उन्होंने समाज में सेवा कार्य का नेतृत्व करने वाली मातृशक्ति को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विचार और कार्य के बारे में जानकारी दी और सेवा कार्य के अनुभव साझा किए। उन्होंने ने ऐसे ही सेवा के काम देश और समाज की भलाई के लिए करते रहने के लिए प्रोत्साहित किया।

उपस्थित मातृ शक्ति ने कहा की संघ जो करता है या जैसा है वो तस्वीर समाज के सामने आनी चाहिए। महिला शिक्षा, सामाजिक समरसता, महिला रोजगार, कलाकार होकर देश विदेश में अनेक महिलाओं ने नाम ऊंचा किया फिर भी शासन का सहयोग पर्याप्त नहीं मिलता है। राजस्थान की प्रसिद्ध कालबेलिया नृत्यांगना गुलाबो ने डॉ. भागवत को चर्चा में बताया की उन्होंने अब तक 5 हजार लड़कियों को नृत्य सिखाया।