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संत ‘भय्यूजी’ फिर बनेंगे दूल्हा, आयुषी संग रचा रहे दूसरी शादी

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संत ‘भय्यूजी’ फिर बनेंगे दूल्हा, आयुषी संग रचा रहे दूसरी शादी
Spiritual guru bhaiyyu maharaj to remarry with Dr Ayushi Sharma
Spiritual guru bhaiyyu maharaj to remarry with Dr Ayushi Sharma
Spiritual guru bhaiyyu maharaj to remarry with Dr Ayushi Sharma

इंदौर। ढाई दशक पहले सियाराम फैब्रिक्स के लिए मॉडलिंग करने वाले मध्यप्रदेश के शुजालपुर निवासी उदय सिंह देशमुख को आज देश ‘भय्यूजी महाराज’ के नाम से जानता है।

वह वर्ष 2011 के अगस्त में दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना हजारे के अनशन वाले मंच पर पधारे थे और मीडिया के कैमरों से समूचे देश ने उन्हें देखा था। वह इसी 30 अप्रेल को दूल्हा बनने जा रहे हैं।

भय्यूजी महाराज पहली पत्नी का निधन हो जाने के बाद दूसरा विवाह करने जा रहे हैं। उनकी जीवन-संगिनी बनने वाली हैं डॉ. आयुषी। यह विवाह वह परिजनों के दवाब में करने जा रहे हैं।

भय्यूजी महाराज आम संत-महात्माओं से जुदा हैं। उनका गेरुआ और पीतांबर वस्त्रों वाला लिबास नहीं है। वह एकदम सामान्य आदमी की तरह रहते हैं, वह ‘गृहस्थ संत’ हैं।
सफेद कुर्ता-पायजामा उनका प्रिय परिधान है, हां एक हाथ की कलाई में कलावा व रत्नजड़ित ब्रेसलेट और दूसरी कलाई पर आकर्षक घड़ी और माथे पर टीका उनकी पहचान है।

पिछले साल उनकी पत्नी माधवी का निधन हो गया, उनकी एक बेटी है। पत्नी के निधन के बाद उन्होंने सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूरियां बना ली थी।

पारिवारिक सूत्रों की मानें तो उनकी मां कुमुदनी देवी देशमुख (85) और बहन मधुमती भय्यूजी के एकाकीपन को दूर करने के लिए उनका दूसरा विवाह करवाना चाहती थीं।

इसके लिए दोनों ने दवाब बनाया, मगर भय्यूजी ने विरोध किया। अब सामाजिक कार्यो में व्यस्तता और बुजुर्ग मां व बेटी की देखभाल के सवाल ने उन्हें विवाह के लिए राजी कर लिया है।

इंदौर में 30 अप्रेल को होने वाले विवाह समारोह के लिए अत्यंत घनिष्ठ लोगों को आमंत्रित किया गया है। विवाह की यह तारीख इसलिए चुनी गई है, क्योंकि इसी दिन भय्यूजी के पिता का जन्मदिन है। भय्यूजी के इस फैसले से उनके अनुयायी अचंभित जरूर हैं, लेकिन कुछ कह नहीं पा रहे हैं।

भय्यूजी उन संतों में हैं, जो घुड़सवारी करते हैं और तलवारबाजी में भी माहिर हैं। संगीत व कला में भी उन्हें महारत हासिल है। गृहस्थ संत अब पूरी तरह किसानों और समाज के लिए काम कर रहे हैं।

उनका इंदौर में श्री सद्गुरु दत्त धार्मिक एवं पारमार्थिक ट्रस्ट है। यह ट्रस्ट मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में समाजहित के कार्य कर रहा है। इस ट्रस्ट का मकसद पूजा-पाठ को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि भूखे को रोटी देना और रोते को हंसाना है।

भय्यूजी का ट्रस्ट इसके अलावा महाराष्ट्र के बुलढाना के खमगांव में जरायम पेशा जाति ‘पारधी’ के बच्चों के लिए आश्रमशाला चला रहा है। बच्चे वहां आधुनिक शिक्षा हासिल कर रहे हैं। इसी तरह मध्यप्रदेश के धार में आत्महत्या कर चुके किसानों के बच्चों के लिए विद्यालय चलाया जा रहा है।

ट्रस्ट से जुड़े संजय यादव ने बताया कि इस समय समाजसेवा के 242 कार्यक्रम चल रहे हैं। ट्रस्ट ने धार में पेयजल का इंतजाम भी किया है।

ट्रस्ट द्वारा किसानों के लिए धरतीपुत्र सेवा अभियान व भूमि सुधार, जल, मिट्टी व बीज परीक्षण प्रयोगशाला तथा बीज वितरण योजना चलाई जा रही है। इसी तरह राष्ट्रीय भावना जागृत करने के लिए भारत माता के मंदिर बनाने व संविधान जागरण अभियान चलाया जा रहा है।

भय्यूजी की तमाम राजनेताओं से नजदीकियां किसी से छुपी नहीं हैं। उनकी भाजपा नेताओं से जितनी करीबी है, उतनी ही कांग्रेस से भी। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे भी उन्हें अपना मानते हैं।

भय्यूजी पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के नजदीकी तो हैं ही, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत से भी उनका करीबी नाता है। भय्यूजी पहली दफा तब चर्चा में आए थे, जब दिल्ली में जन लोकपाल के लिए रामलीला मैदान में अनशन पर बैठे अन्ना हजारे को फल का रस पिलाकर उन्होंने ही उनका अनशन खत्म कराया था।