Home Breaking 24 हफ्ते के भ्रूण में न सिर न लीवर, मिली अबॉर्शन की इजाजत

24 हफ्ते के भ्रूण में न सिर न लीवर, मिली अबॉर्शन की इजाजत

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24 हफ्ते के भ्रूण में न सिर न लीवर, मिली अबॉर्शन की इजाजत
supreme allows rape survivor to terminate her 24 week old pregnancy
supreme allows rape survivor to terminate her 24 week old pregnancy
supreme allows rape survivor to terminate her 24 week old pregnancy

नई दिल्ली। भ्रूण चिकित्सीय असामान्यताओं के साथ पीड़ित है। भ्रूण में न तो खोपड़ी और न ही लीवर है। यह रिपोर्ट आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया और एक महिला को 24 हफ्ते के भ्रूण के गर्भपात की इजाजत दे दी।

कोर्ट ने एमटीपी एक्ट की धारा-5 के तहत महिला को यह इजाजत दी। यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय की ओर से गठि‍त सात केईएम मेडिकल कॉलेज की 7 सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट के बाद लिया गया।

समिति ने रिपोर्ट में कहा कि इस कदम से महिला की जान कोई खतरा नहीं है। भ्रूण चिकित्सीय असामान्यताओं के साथ पीड़ित है तथा भ्रूण में न तो खोपड़ी और न ही लीवर है। कमेटी ने कोट को बताया कि इसके साथ ही भ्रूण की आंत भी शरीर के बाहर से बढ़ रही है। यह भ्रूण जन्म पर बच नहीं पाएगा। लेकिन अगर महिला बच्चे को जन्म देती है तो उसकी जान को खतरा है।

पहला मामला : कानून में दी रियायत

केन्द्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस मामले में केंद्र MTP एक्ट की धारा 5 के तहत अबॉर्शन की इजाजत दे सकता है, क्योंकि इस मामले में मां की जान को खतरा है। बाकी की धाराओं को लेकर हम अभी कुछ नहीं कहना चाहेंगे, क्योंकि ये एक बेहद गंभीर मामला है। कन्या भ्रूण हत्या के मद्देनजर रियायत देने पर कानून के गलत इस्तेमाल की संभावना है।

मां की जान को खतरा इसलिए दी मंजूरी

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गठित मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट और अटॉर्नी जनरल की दलीलों को ध्यान में रखते हुए कहा की हम एमटीपी एक्ट की धारा-5 के तहत अर्बाशन की इजाजत देते हैं। धारा-5 में कुछ अपवाद परिस्थितियां हैं, जिनमें 20 सप्ताह के बाद भी अर्बाशन की इजाजत दी जा सकती है। मां की जान को खतरा ऐसा ही एक अपवाद है।