Home Northeast India Arunachal Pradesh अरुणाचल पर सुप्रीमकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, बैकफुट पर मोदी सरकार

अरुणाचल पर सुप्रीमकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, बैकफुट पर मोदी सरकार

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अरुणाचल पर सुप्रीमकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, बैकफुट पर मोदी सरकार
supreme court restores congress rule in arunachal, opposition blasts Modi
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supreme court restores congress rule in arunachal, opposition blasts Modi

सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र की भाजपा सरकार को तगड़ा झटका देते हुए अरुणाचल प्रदेश की पूर्ववर्ती नबाम तुकी की कांग्रेस सरकार को बहाल करने का आदेश दिया है।

अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि अरुणाचल प्रदेश में राज्यपाल की सिफारिश पर राष्ट्रपति शासन लागू किये जाने का फै सला पूरी तरह अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक एवं औचित्यहीन था।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की बाद केन्द्र की भाजपा सरकार बैकफुट पर आ गई है तथा देश में सत्ताधारी पार्टी के नेता अपने बचाव में दलीलें ढूंढ़ते जनर आ रहे हैं।

वहीं यह सवाल भी उठ रहे हैं कि अपनी उच्छंखलता और अपरिपक्वता के चलते खुद ही चौतरफा आलोचनाओं का शिकार हो रही केन्द्र सरकार आखिर संवैधानिक मूल्यों का सम्मान करना कब शुरू करेगी?

वैसे अरुणाचल प्रदेश में जब लोकतांत्रिक सरकार का गला घोटकर राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था तथा बाद में भाजपा ने जुगाड़ करके अपनी सरकार बनाई थी तभी यह लगने लगा था कि अगर यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचेगा तो देश की शीर्ष अदालत का फैसला ऐतिहासिक ही आएगा।

बाद में अब हुआ भी वही जिसकी संभावना जताई जा रही थी। सुप्रीम कोर्ट के इस दूरदर्शी फैसले के बाद देश में राज्यपाल के पद को लेकर नई बहस भी छिडऩा स्वाभाविक है क्यों कि देश में अब एक प्रचलन सा शुरू हो गया है कि संबंधित राज्यों के राज्यपाल केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि तथा राज्य सरकार के श्रेष्ठ सचेतक की भूमिका निभाने के बजाय केन्द्र में सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में काम करने लगे हैं।

अपने पद की गरिमा, प्रतिष्ठा एवं प्रतिबद्धता को नजरअंदाज करने वाले ऐसे राज्यपालों की कोशिश सिर्फ यही रहती है कि अगर उनके राज्य में किसी विरोधी राजनीतिक पार्टी की सरकार है तो उसके काम-काज में अनावश्यक मीनमेख निकालने के साथ-साथ सरकार को विभिन्न प्रकार से परेशान करने के तमाम अवसर तलाशते रहते हैं।

साथ ही उनकी कोशिश रहती है कि उन्हें ऐसा कोई भी कारण मिल जाए जिसके आधार पर वह राज्य की निर्वाचित सरकार का गला घोटकर केन्द्र सरकार से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर सकें तथा मौका मिलते ही वह अपनी फितरत को अमली जामा पहनाने में देर नहीं लगाते।

चूंकि राज्यों के राज्यपाल पद पर राजनीतिक नियुक्तियां होती हैं अर्थात् केन्द्र सरकार राज्यपाल नियुक्त करती है इसलिये राज्यपालों का राजनीतिक पूर्वाग्रह व दुराग्रह गजब का होता है। राज्यपालों का यही रवैया कई बार उनकी शर्मिंदगी और केन्द्र सरकार की फजीहत का कारण बन जाता है।

अरुणाचल प्रदेश मामले में भी यही हो रहा है, जहां राज्य के राज्यपाल ने पूर्ववर्ती सरकार को अपदस्थ कराने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी तथा केन्द्र सरकार ने भी राज्यपाल की सिफारिश पर अमल किए जाने में देर नहीं लगाई थी।

अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केन्द्र सरकार चौतरफा आलोचनाओं से घिर गई है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य की पूर्ववर्ती नबाम तुकी सरकार को बहाल करने के फैसले के बाद कांग्रेस ने भाजपा और केंद्र सरकार पर हमला बोल दिया है।

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए देश की शीर्ष अदालत को धन्यवाद दिया है। वहीं अरुणाचल के पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी ने देश की शीर्ष अदालत के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा है कि हमे अदालत से न्याय की उम्मीद थी,जो पूरी हो गई है।

कांग्रेस नेता रशीद अल्वी ने राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह लोकतंत्र की जीत है। उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केन्द्र की मोदी सरकार को तानाशाह बताते हुए कहा है कि ना तो उन्हें संविधान पर भरोसा है और ना ही जनता के फैसले पर।

केजरीवाल को भले ही अराजकतावादी कहा जाए लेकिन वह सफल पंगेबाज की तरह केन्द्र सरकार पर निशाना साधने के अवसरों को अमोघ अस्त्र की तरह इस्तेमाल करते हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि इससे पहले केन्द्र सरकार को उत्तराखंड मामले में भी सुप्रीम कोर्ट में शिकस्त खानी पड़ी थी।

जहां लंबी उठापटक के बाद आखिर राज्य की हरीश रावत सरकार को बहाल कर दिया गया था। यहां सवाल यह उठता है कि केन्द्र में सत्ताधारी पार्टी द्वारा आखिर जनादेश का सम्मान करने एवं सत्ता हासिल करने के लिये जनता का समर्थन हासिल करने का साहस क्यों नहीं दिखाया जाता है?

केन्द्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी अगर चाहती तो वह अपनी सरकार की उपलब्धियों व अपनी रीतियों-नीतियों के आधार पर देश में अपनी लोकप्रियता बढ़ाने की दिशा में कोशिशें कर सकती थी।

लेकिन पार्टी ने विरोधी राजनीतिक दलों का अस्तित्व खत्म करने का सपना देखने और विरोधियों की निर्वाचित सरकारों का गला घोटने का जो रास्ता चुना है, यह उसके लिए ही न सिर्फ आत्मघाती है बल्कि यह लोकतंत्र के लिए खतरे की भी दस्तक है।

क्योंकि यह अलोकतांत्रिक व असंवैधानिक सोच कभी भी देश के जनमानस का पसंद नहीं आयेगी तथा इसका खामियाजा भाजपा का राजनीतिक परीक्षाओं अर्थात् चुनावों में भुगतना पड़ सकता है।

सुधांशु द्विवेदी

अरुणाचल प्रकरण पर मोदी सरकार माफी मांगे : राहुल गांधी
https://www.sabguru.com/rahul-gandhi-targets-modi-arunachal-thank-supreme-court-teaching-democracy-pm/

सुप्रीम कोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश में बहाल की कांग्रेस की सरकार
https://www.sabguru.com/supreme-court-reinstates-congress-government-arunachal-pradesh/