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मुद्गल समिति तय करेगी किसको क्या सजा

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Supreme Court suggests mudgal  committee decide extent of punishment
Supreme Court suggests mudgal committee decide extent of punishment

नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने आईपीएल के छठे संस्करण में हुए कथित स्पॉट फिक्सिंग एवं सट्टेबाजी मामले की जांच करने वाली मुद्गल समिति को ही बीसीसीआई के नियमों के अंतर्गत आरोपितों की सजा तय करने के लिए कहा। बीसीसीआई की ओर से उपस्थित वरिष्ठ वकील सी. ए. सुंदरम ने न्यायालय के फैसले पर सहमति व्यक्त की है।

इससे पहले सुंदरम न्यायालय से सजा तय करने के लिए एक बाह्य आयोग गठित करने की मांग कर चुके हैं, ताकि फैसला पारदर्शी हो सके। न्यायाधीश टीएस ठाकुर और न्यायाधीश फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलिफुल्ला की पीठ ने कहा कि मुद्गल समिति से ही इस पर कार्रवाई करने और इस मामले के तर्कसंगत सुझाव के बारे में पूछा जाए। जुर्माना लगाए जाने का अधिकार भी उन्हें ही दिया जाए।

न्यायालय ने कहा कि अब चूंकि रिपोर्ट आ चुकी है तो हम बीसीसीआई से 10 दिनों के अंदर कोई निर्णय लेने के लिए कह सकते हैं। सुंदरम ने न्यायालय को बताया कि बीसीसीआई को उनके सामने सुनवाई का अवसर दिया जाए। इस पर न्यायालय ने कहा कि मुद्गल समिति की रिपोर्ट न्यायालय को मिल चुकी है और सुनवाई का चरण समाप्त हो चुका है।

न्यायालय ने कहा कि आखिर आप लोग कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे? हम कार्रवाई क्यों करें? हम सिर्फ की गई कार्रवाई की संगतता की जांच करे ंगे। हम आपको उस पर अपील करने का अवसर देंगे। न्यायालय ने कहा कि अगर मुद्गल समिति की रिपोर्ट पर न्यायालय कार्रवाई करता है तो यह बीसीसीआई के अधिकारों का हनन होगा।

न्यायालय ने यह भी कहा कि न्यायालय मुद्गल समिति की रिपोर्ट पर बीसीसीआई के मौजूदा अधिकारियों एवं अन्य लोगों द्वारा मयप्पन के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का निर्धारण किए जाने के खिलाफ है। न्यायालय ने कहा कि मौजूदा बीसीसीआई समिति के अधिकार समाप्त हो चुके हैं, क्योंकि इसका कार्यकाल काफी पहले खत्म हो चुका है।

न्यायालय ने कहा कि मामले में संलिप्त सभी लोगों को इससे दूर रखा जाए। बीसीसीआई में नए सिरे से चुनाव होने चाहिए और बीसीसीआई में पूरी तरह नए चेहरों को लाना चाहिए जो मुद्गल समिति की रिपोर्ट पर कार्रवाई कर सके। न्यायालय के इस निर्णय से श्रीनिवासन की चौथे कार्यकाल के लिए बीसीसीआई अध्यक्ष पद के चुनाव में खड़े होने की संभावनाओं को बड़ा झटका लगा है।

सुंदरम ने इस पर न्यायालय से कहा कि न्यायालय ही कोई बाहरी आयोग निर्धारित करे और मामले पर निर्णय ले ताकि फैसले पर किसी को आपत्ति न हो। न्यायालय के मामले में संलिप्त सभी लोगों को बाहर रखे जाने के फैसले का समर्थन करते हुए याचिकाकर्ता बिहार क्रिकेट संघ की ओर से उपस्थित वकील नलिनी चिदंबरम ने कहा कि श्रीनिवास को बीसीसीआई से बाहर रखा जाए।

चिदंबरम ने कहा कि सैद्धांतिक तौर पर श्रीनिवासन को बीसीसीआई के अगले चुनाव में खड़ा नहीं होना चाहिए। चिदंबरम ने कहा कि सच्चाई, ईमानदारी और सार्वजनिक नीति जैसे बड़े परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो सट्टेबाजी से जुड़ी जानकारी रहने के बावजूद कोई कार्रवाई न करने के कारण श्रीनिवासन बीसीसीआई की भ्रष्टाचार रोधी परिचालन नियमों के दायरे में भी आ जाते हैं।

चिदंबर की दलील पर श्रीनिवासन की ओर से उपस्थिति कपिल सिब्बल ने न्यायालय से कहा कि इसका कोई और मकसद नहीं बल्कि सिर्फ श्रीनिवासन को चुनाव से दूर रखना है। सीएबी की ओर से वकील हरीश साल्वे ने चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) की आईपीएल फ्रेंचाइजी रद्द किए जाने की मांग की।

साल्वे ने कहा कि चेन्नई सुपर किंग्स के स्वामित्व वाली कंपनी इंडिया सीमेंट्स लिमिटेड ही वास्तव में गुरूनाथ मयप्पन द्वारा किए गए आचार सहिता के उल्लंघन की जिम्मेदार है। सीएसके की स्वामी एक निगम है और इसके उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्रीनिवासन की ही सारी जिम्मेदारी बनती है।

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