Home Delhi काजी दूल्हों को तीन तलाक से दूर रहने की सलाह देंगे : एआईएमपीएलबी

काजी दूल्हों को तीन तलाक से दूर रहने की सलाह देंगे : एआईएमपीएलबी

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काजी दूल्हों को तीन तलाक से दूर रहने की सलाह देंगे : एआईएमपीएलबी
triple talaq undesirable, practitioners to face boycott : AIMPLB to SC
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नई दिल्ली। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि वह काजियों से कहेगा कि वे निकाह के दौरान दूल्हा तथा दुल्हन को तीन तलाक को खारिज करने की सलाह दें, क्योंकि यह शरीयत में अवांछित है।

सर्वोच्च न्यायालय में सोमवार को दाखिल अपने हलफनामे में एआईएमपीएलबी ने कहा कि काजी निकाह कराने के दौरान दूल्हा तथा दुल्हन दोनों को निकाहनामे में एक शर्त शामिल करने की सलाह देंगे, जिसमें पति एक ही बार में तीन तलाक नहीं कहेगा।

सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ के समक्ष 18 मई के अपने बयान के तहत एआईएमपीएलबी ने हलफनामा दाखिल किया।

अपने बयान में एआईएमपीएलबी ने कहा था कि वह देश भर के काजियों को निकाह से पहले दुल्हन को एक विकल्प देने को कहेगा, जिसके तहत उसका पति एक बार में तीन तलाक नहीं कहेगा और इसे निकाहनामे में शामिल किया जाएगा।

दो पन्नों के संक्षिप्त हलफनामे में एआईएमपीएलबी ने कहा कि निकाह कराते वक्त काजी दूल्हे को सलाह देगा कि अगर पति-पत्नी के बीच मतभेद होते हैं और तलाक की नौबत आ जाती है, तो वह एक ही बार में तीन तलाक नहीं कहेगा क्योंकि एक ही बार में तीन तलाक शरीयत में अवांछनीय परंपरा है।

तीन तलाक की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान एआईएमपीएलबी ने प्रधान न्यायाधीश खेहर, न्यायाधीश कुरियन जोसेफ, न्यायाधीश रोहिंटन फली नरीमन, न्यायाधीश उदय उमेश ललित तथा न्यायाधीश एस.अब्दुल नजीर से कहा कि तीन तलाक ‘पापपूर्ण’ और ‘अवांछनीय’ है और इसे कुरान तथा शरीयत की मंजूरी नहीं मिली है।

संवैधानिक पीठ ने तीन तलाक को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बाद फैसले को 18 मई को सुरक्षित रख लिया था।

हलफनामे के अलावा, एआईएमपीएलबी ने कहा कि वह देश भर के काजियों को यह सलाह देने जा रहा है कि वे दूल्हे को एक बार में तीन तलाक न कहने की सलाह दें। इस संबंध में बोर्ड ने 15 व 16 अप्रैल को अपनी एक बैठक में पारित प्रस्ताव को भी अदालत को सौंपा जिसमें कहा गया है कि तलाक का सही तरीका तीन तलाक नहीं है।

प्रस्ताव में कहा गया कि इस तरह की परंपरा (एक बार में तीन तलाक) की शरीयत द्वारा कड़ी निंदा की जाती है।

प्रस्ताव में कहा गया है कि एआईएमपीएलबी एक बड़ा सार्वजनिक आंदोलन शुरू करेगा, जिसमें मुस्लिमों से बिना किसी कारण के तलाक देना बंद करने को कहा जाएगा और कहा जाएगा कि किसी भी हालत में तलाक के लिए एक बार में तीन तलाक का सहारा नहीं लिया जाएगा।

लखनऊ में पारित प्रस्ताव में बोर्ड ने कहा कि जरूरत पड़ने पर तलाक के लिए तीन तलाक की जगह सुलह तथा मध्यस्थता का रास्ता अख्तियार किया जाना चाहिए।