Home India City News संयुक्त राष्ट्र ने गंगा सफाई के लिए की पहल, कानपुर से हुई शुरूआत

संयुक्त राष्ट्र ने गंगा सफाई के लिए की पहल, कानपुर से हुई शुरूआत

0
संयुक्त राष्ट्र ने गंगा सफाई के लिए की पहल, कानपुर से हुई शुरूआत

United Nations initiative to clean the Ganga in  Kanpur

कानपुर। केन्द्र सरकार के नमामि गंगे प्रोजेक्ट के बाद संयुक्त राष्ट्र ने भी गंगा सफाई के लिए पहल करना शुरू कर दिया है।

प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर एम. विश्वनाथन के मुताबिक गंगा सफाई के लिए पहली बार तकनीकी लैब और चार योजनाएं बनाई गई है। योजनाओं को अमल में लाने के लिए बंथरा स्थित कानपुर लेदर क्लस्टर में सोमवार को देर रात सफाई के लिए ठोस काम की नींव डाल दी गई है।

संयुुक्त राष्ट्र के औद्योगिक विकास संगठन (यूनिडो) ने गंगा में प्रदूषण कम करने के लिए कदम बढ़ाया है। वियना स्थित यूनिडो के प्रोजेक्ट मैनेजर इवान क्राल ने टेनरियों से निकलने वाले उत्प्रवाह में घातक रसायनों को खत्म करने के लिए कानपुर लेदर क्लस्टर में प्रोजेक्ट को देर रात लांच किया।

उन्होंने बताया कि कानपुर के चमड़ा उद्योग में पहली बार तकनीकी लैब और चार योजना का खाका बनाया गया है। संयुक्त राष्ट्र के प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर एम. विश्वानथन ने बताया कि पहली तकनीक डिसाल्टिंग प्रोसेसिंग से नमक की मात्रा को कम किया जा जाएगा।

नमक को पानी से अलग कर उसे रिसाइकिल किया जाएगा। दूसरी तकनीक हेयर सेव अनहेयरिंग के जरिए टेनरियों से निकलने वाले ठोस कचरे में से बालों को अलग किये जाने की योजना है।

उनके मुताबिक फिनिशिंग के दौरान खालों से निकले बाल केमिकल से भी खत्म नहीं होते। जिसकी वजह से प्लांट चोक हो जाते हैं और जमीन प्रदूषित हो जाती है।

इस तकनीक से न सिर्फ बालों को अलग कर दिया जाता है, बल्कि अलग न हो सकने वाले बारीक बाल खास केमिकल के जरिए नष्ट किए जाते हैं।

पानी का कम होगा प्रयोग

प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर ने बताया कि तीसरी तकनीक वाटर मिजरमेंट एंड मिक्सिंग का प्रयोग किया जाएगा। इस तकनीक से टेनरियों में पानी के अत्यधिक इस्तेमाल को कम किया जाएगा। इसके साथ ही पानी के अनुपात को निश्चित कर दिया जाएगा।

सूर्य की रोशनी से गर्म होगा पानी

एम. विश्वनाथन ने बताया कि चौथी तकनीक सोलर असिस्टेड हट वाटर है। इसमें सूर्य की रोशनी से पानी गर्म होता है, जिसे ट्रेनिंग और अन्य काम में इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

इसमें उद्यमियों को प्रदूषण को खुद ही चेक करना सिखाया जाएगा। इसके अलावा विदेशों में स्थित टेनरियों के तकनीकी पेशेवरों से टिप्स, ऑनलाइन ट्रेनिंग और मॉनीटरिंग सिस्टम भी इसमें शामिल हैं।