Home Azab Gazab छत्तीसगढ़ में इस पेड़ के बिना अधूरी है विवाह की रस्में

छत्तीसगढ़ में इस पेड़ के बिना अधूरी है विवाह की रस्में

0
छत्तीसगढ़ में इस पेड़ के बिना अधूरी है विवाह की रस्में
wedding rituals incomplete without this tree In Chhattisgarh

wedding rituals incomplete without this tree In Chhattisgarh

रायपुर। छत्तीसगढ़ में आदिकाल से ही वृक्षों की पूजा होती रही है। पीपल, बरगद के वृक्षों को तो सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। वहीं विवाह की रस्मों का भी एक विशेष वृक्ष गूलर गवाह बनता है।

HOT NEWS UPDATE VIDEO: विराट कोहली के आए आंसू अनुष्का शर्मा के सामने

गूलर के पेड़ की लकड़ी और पत्तियों से विवाह का मंडप बनता है। इसकी लकड़ी से बने पाटे पर बैठकर वर-वधू वैवाहिक रस्में पूरी करते हैं। जहां गूलर की लकड़ी और पत्ते नहीं मिलते हैं, वहां विवाह के लिए इस वृक्ष के टुकड़े से भी काम चलाया जाता है।

HOT NEWS UPDATE VIDEO: टीम इंडिया का सबसे तेज गेंदबाज

छत्तीसगढ़ में गूलर ‘डूमर’ के नाम से विख्यात है। साथ ही इसके वृक्ष और फल का भी विशेष महत्व है। पंडितों का कहना है कि गूलर का पेड़ अत्यंत शुभ माना गया है। पुराणों के अनुसार इसमें गणेशजी विराजमान होते हैं। इसलिए विवाह जैसी रस्मों में इसका खासा महत्व है।

डूमर के पेड़ों और उसकी महत्ता से जुड़ी बातें ग्रामीण अंचलों के कुछ बुजुर्गो ने साझा किया। जगदलपुर निवासी 60 वर्षीय दामोदर सिंह ने बताया कि यह अत्यंत दुर्लभ वृक्ष है, लेकिन जगदलपुर-उड़ीसा के रास्ते पर यह आसानी से मिल जाता है। उन्होंने बताया कि इसके फलों को भालू बड़ी चाव से खाते हैं।

HOT NEWS UPDATE VIDEO: अंडे खाने से होती है खतरनाक बीमारी

वहीं मंडपाच्छादन में इसके पेड़ों के लकड़ी और पत्तों के छोटे टुकड़े रखना जरूरी होता है। इसकी लकड़ी से मगरोहन (लकड़ा का पाटा) बनाया जाता है, जिसमें वर-वधू को बैठाकर तेल-हल्दी की शुरूआत होती है।

गूलर अत्यंत दुर्लभ माना जाता है। इसकी लकड़ी मजबूत नहीं होती। इसके फल गुच्छों के रूप में तने पर होते हैं। इसके पीछे एक किंवदंती है कि गांधारी को शादी में एक ऋषि के अपमान के फलस्वरूप शाप मिला था। शाप से मुक्ति के लिए गांधारी को पहले गूलर की लकड़ी का मगरोहन बनाकर पहले मंडप का फेरा लगाने को कहा गया था। संभवत: तभी से इसका प्रचलन हुआ।

HOT NEWS UPDATE VIDEO: नरेंद्र मोदी पाकिस्तान के लिए ऐसे विचार रखते है

वहीं ग्रामीण अंचल के रहने वाले गोपी, अजय और मोहन जैसे दर्जनों लोगों ने भी इसकी उपयोगिता को छत्तीसगढ़ में विशेष तौर पर माना है। इन लोगों का कहना है कि इसके फलों के अंदर तोड़ते ही छोटे-छोटे बारीक कीड़े निकलते हैं। इस पेड़ की पहचान काफी कठिन होता है।

HOT NEWS UPDATE VIDEO: दो लड़कियाँ कार में बिकनी में घूमती हुई दिखाई दी

पंडित संजय महाराज का कहना है कि यह पेड़ दुर्लभ तो है ही साथ ही हवन-पूजन में इसकी लकड़ियों का इस्तेमाल होता है। उन्होंने कहा कि हवन में 9 प्रकार की लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है, उसमें एक डूमर भी शामिल होता है। लकड़ी तोड़ने से पहले इसकी पूजा-अर्चना की जाती है। उसके बाद इसकी लकड़ी का छोटा टुकड़ा लाकर मंडप पर लगाया जाता है।

उसके बाद ही शादी की रस्में पूरी होती है। पंडित करण महाराज ने गूलर की महत्ता की प्रतिपादित करते हुए कहा कि यह पेड़ अत्यंत शुभ माना गया है। लेकिन आज लोग अपनी सुविधाओं के हिसाब से विवाह संपन्न कराने लग गए हैं।

HOT NEWS UPDATE VIDEO: कपड़े खोल की जा रही है बी ग्रेड मूवी की शूटिंग

चिकित्सा की दृष्टि से गूलर की छाल, पत्ते, जड़, कच्चाफल व पक्का फल सभी को उपयोगी माना गया है। पका फल मीठा, शीतल, रुचिकारक, पित्तशामक, तृष्णाशामक, पौष्टिक व कब्जनाशक होता है। खूनी बवासीर में इसके पत्तों का रस लाभकारी होता है। हाथ-पैर की चमड़ी फटने से होने होने वाली पीड़ा कम करने के लिए गूलर के दूध का लेप करना लाभकारी सिद्ध हुआ है।

HOT NEWS UPDATE VIDEO: जानते है आखिर कैसे हुई BRUCE LEE की मौत

मुंह में छाले, मसूढ़ों से खून आना आदि विकारों में इसकी छाल या पत्तों का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से विशेष लाभ होता है। ग्रीष्म ऋतु की गर्मी या अन्य जलन पैदा करने वाले विकारों एवं चेचक आदि में गूलर के पके फल को पीसकर उसमें शक्कर मिलाकर उसका शर्बत बनाकर पीने से राहत मिलती है।

आपको यह खबर अच्छी लगे तो SHARE जरुर कीजिये और  FACEBOOK पर PAGE LIKE  कीजिए,  और खबरों के लिए पढते रहे Sabguru News और ख़ास VIDEO के लिए HOT NEWS UPDATE