Home Breaking महाराष्ट्र में कांग्रेस को शिवसेना का साथ पसंद नहीं : संजय निरुपम

महाराष्ट्र में कांग्रेस को शिवसेना का साथ पसंद नहीं : संजय निरुपम

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महाराष्ट्र में कांग्रेस को शिवसेना का साथ पसंद नहीं : संजय निरुपम
will not be giving support to shiv sena, says congress
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नई दिल्ली। महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस गठबंधन के लगाए जा रहे कयासों विराम देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस को शिवसेना का साथ पसंद नहीं है।

मुंबई कांग्रेस प्रमुख संजय निरुपम ने स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस एनसीपी व अन्य छोटी पार्टियों की मदद से मेयर का चुनाव लड़ेगी। इससे पहले संजय निरुपम ने बीएमसी चुनाव में करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए महाराष्ट्र प्रमुख के पद से भी इस्तीफा दे दिया था।

दरअसल अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी शिवसेना को समर्थन देने के पक्ष में नहीं है। बता दें कि कांग्रेस महासचिव गुरुदास कामत ने शिवसेना को समर्थन देने का कड़ा विरोध किया था।

गुरुदास कामत के बाद मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरूपम का भी सुर बदल गया है। उन्होंने बयान जारी कर कहा कि हमें विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला है और हमने अपने विचारों से पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी को अवगत करा दिया है।

उधर, एक और पार्षद के समर्थन के बाद शिवसेना की सीटों की संख्या 88 हो गई है। इससे पहले बीएमसी के मेयर चुनाव को लेकर शिवसेना ने भावी रणनीति तय करने के लिए शनिवार को पार्टी नेताओं और नवनिर्वाचित पार्षदों की बैठक की।

शिवसेना भवन में पार्षदों को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने दावा किया कि बीएमसी में शिवसेना का ही महापौर होगा। हालांकि बाद में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि धीरज रखिए हमें कोई जल्दबाजी नहीं है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण के बयान पर उद्धव ने कहा कि थोड़ा सब्र करो। चूंकि बीएमसी का मौजूदा कार्यकाल नौ मार्च को खत्म हो रहा है, तब तक शिवसेना अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं है।

वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र निकाय चुनाव में भारी जीत दर्ज करने के बाद शनिवार को भाजपा ने प्रदेश कार्यालय में विजय उत्सव मनाया। इस दौरान मुख्यमंत्री फडणवीस ने साफ कहा कि बीएमसी में भाजपा को सत्ता मिले या न मिले। हम कांग्रेस से हाथ नहीं मिलाएंगे।

उन्होंने शिवसेना का नाम लिए बिना ही तंज कसा कि जिन्हें कांग्रेस के साथ जाना है, वह खुशी से जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि आगे क्या होगा, हमें उसकी चिंता नहीं है, लेकिन एक बात तय है कि पारदर्शिता के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेंगे।