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युवाओं को उचित दिशा देने की जरूरत : राज्यपाल राम नाईक

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युवाओं को उचित दिशा देने की जरूरत : राज्यपाल राम नाईक

nike ramलखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने मंगलवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में लखनऊ मैनेजमेन्ट एसोसिएशन एवं आल इण्डिया मैनेजमेन्ट एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय ‘मैनेजमेन्ट ओलम्पियाड’ का उद्घाटन किया।

राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश के भविष्य को साकार करने की जिम्मेदारी विश्वविद्यालयों की है। सन् 2025 तक भारत विश्व का सबसे युवा देश होगा। हमारी युवा शक्ति देश की पूंजी हैं। यह हमारा दायित्व है कि अपनी पूंजी को देश के विकास में कैसे उपयोग करें।

युवाओं के गलत दिशा में जाने से गम्भीर परिणाम हो सकते हैं। प्रदेश के विकास के लिये युवा औद्योगिक और आर्थिक क्षेत्र में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि युवाओं को उचित दिशा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में 21 करोड़ की आबादी है जिसका मुख्य व्यवसाय कृषि है।

विकास की चुनौती को स्वीकार करते हुए आत्मविश्लेषण करना होगा। उत्तर प्रदेश उत्तम प्रदेश बनेगा तभी भारत बढ़ेगा। उद्योग के लिये मानसिक बदलाव जरूरी है। कुछ सीखने और आगे जाने की इच्छा विकास का मार्ग प्रशस्त करती है।

उन्होंने कहा कि किसी भी क्षेत्र में नेतृत्व करने के लिए दूसरों से बेहतर करने का प्रयास करें। नाईक ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 28 राज्य विश्वविद्यालय हैं जिनके दीक्षान्त समारोह बराबर हो रहे हैं।

कल डा. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय का दीक्षान्त समारोह था जिसमें लगभग 63000 से ज्यादा उपाधि प्रदान की गई। इससे यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के 28 विश्वविद्यालय में कितनी उपाधियां दी जा रही हैं।

आल इण्डिया मैनेजमेन्ट एसोसिएशन के निदेशक नीरज कपूर ने कहा कि हमें आने वाले कल के लिये नेतृत्व तैयार करना है। हम नये युग में पर्दापण कर चुके हैं, परिवर्तन हो रहा है। हमारे युवा कल की तैयारी आज करें। उन्होंने कहा कि हमें नवाचार और उद्यमिता की जरूरत है।

लखनऊ मैनेजमेन्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष आलोक रंजन ने कहा कि उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने का लक्ष्य है। हमें अपने संसाधन का प्रयोग करेगा कुछ बेहतर करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हमारे युवा नेतृत्व प्रदान करने के लिए राष्ट्र निर्माण के भागीदार बनें। कार्यक्रम में कुलपति लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति एस.पी. सिंह, ए.के. माथुर, अरविन्द मोहन, अनन्त जौहरी ने अपने विचार व्यक्त किए।