बहनों का सिंदूर मिटाने वालों का मिटना तय : मोदी

दाहोद। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता पर कहा है कि जो कोई हमारी बहनों का जो सिंदूर मिटाएगा, उसका मिटना भी तय है। मोदी ने सोमवार को यहां विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन करने के बाद जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जो कोई हमारी बहनों का सिंदूर मिटाएगा, तो उसका भी मिटना तय हो जाता है।

उन्होंने कहा विभाजन के बाद अस्तित्व में आया देश भारत के प्रति नफरत पर जी रहा है। पाकिस्तान का एकमात्र उद्देश्य भारत से दुश्मनी करना और भारत को नुकसान पहुंचाना है, लेकिन भारत का लक्ष्य गरीबी हटाना, आर्थिक विकास लाना और विकसित राष्ट्र बनना है।

मोदी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर सैन्य कार्रवाई नहीं, यह हम भारतीयों के संस्कारों, हमारी भावनाओं की अभिव्यक्ति है। आतंक फैलाने वालों ने सपने में भी सोचा नहीं होगा कि ‘मोदी’ से मुकाबला करना कितना मुश्किल होता है। बाल-बच्चों के सामने पिता को गोली मार दी। आज भी वे तस्वीरें देखते हैं, तो खून खौल जाता है। ये 140 करोड़ भारतीयों को चुनौती दी, इसलिए हमने वही किया, जिसके लिए देशवासियों ने मुझे जिम्मेदारी दी।

उन्होंने कहा कि हमने अपनी तीनों सेनाओं को खुली छूट दी और हमारी सेना ने वह कर दिखाया जो दुनिया ने पिछले कई दशकों से नहीं देखा था। हमने सीमा पार चल रहे आतंक के नौ सबसे बड़े आतंकवादी ठिकानों को ढूंढ निकाला। अता-पता पक्का कर लिया और 22 अप्रैल को जो खेल खेला गया था, छह मई की रात को 22 मिनट में हमने उन्हें मिट्टी में मिला दिया। भारत की इस कार्रवाई से बौखलाये पाकिस्तानी सेना में दुस्साहस दिखाई तो उसे भी सेना ने धूल चटाई।

मोदी ने गुजरात के दाहोद में लोकोमोटिव विनिर्माण संयंत्र सहित 24,000 करोड़ रुपए की लागत वाली विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया। उन्होंने अहमदाबाद-वेरावल वंदे भारत सेवा और वलसाड-दाहोद एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने ऐसे अभूतपूर्व और अकल्पनीय निर्णय लिए हैं, जो दशकों पुरानी बाधाओं से मुक्त हुए हैं और हर क्षेत्र में आगे बढ़े हैं। उन्होंने कहा, “आज देश निराशा और अंधकार के युग से निकलकर आत्मविश्वास और आशावाद के नए युग में प्रवेश कर चुका है।

मोदी ने कहा कि 140 करोड़ भारतीय एक विकसित भारत के निर्माण में एकजुट हैं। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक विनिर्माण क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। घरेलू उत्पादन और निर्यात दोनों में लगातार वृद्धि हो रही है। भारत अब स्मार्टफोन, ऑटोमोबाइल, खिलौने, रक्षा उपकरण और दवाओं सहित कई तरह के उत्पादों का निर्यात कर रहा है। भारत न केवल रेल और मेट्रो तकनीक का निर्माण कर रहा है, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर निर्यात भी कर रहा है।

मोदी ने पिछले 10-11 वर्षों में भारत के रेलवे क्षेत्र के तेजी से विकास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वंदे भारत ट्रेनें अब लगभग 70 मार्गों पर चल रही हैं, जो भारत के परिवहन नेटवर्क को और मजबूत बनाती हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि कोच और इंजन अब घरेलू स्तर पर निर्मित होते हैं, जिससे आयात पर निर्भरता कम होती है। मोदी ने कहा कि भारत रेलवे उपकरणों के एक प्रमुख निर्यातक के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि भारत ऑस्ट्रेलिया को मेट्रो कोच और इंग्लैंड, सऊदी अरब और फ्रांस को ट्रेन कोच निर्यात करता है। मैक्सिको, स्पेन, जर्मनी और इटली भी भारत से रेलवे से संबंधित घटक आयात करते हैं। उन्होंने कहा कि यह मेक इन इंडिया पहल के निरंतर विस्तार को दर्शाता है तथा राष्ट्रीय गौरव को मजबूत करता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के कई क्षेत्रों को पिछले दशक में पहली बार रेलवे कनेक्टिविटी मिली है। उन्होंने कहा कि गुजरात के कई इलाकों में पहले केवल छोटी, धीमी गति वाली ट्रेनें थीं, लेकिन अब कई नैरो-गेज मार्गों का विस्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि दाहोद की रेल फैक्ट्री 9,000 हॉर्स पावर के इंजनों का निर्माण करेगी, जिससे भारत की ट्रेनों की शक्ति और क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि दाहोद में बनने वाले हर इंजन पर शहर का नाम होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले वर्षों में सैकड़ों इंजन बनाए जाएंगे, जिससे स्थानीय युवाओं के लिए पर्याप्त रोजगार पैदा होगा।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह कारखाना रेलवे के पुर्जे बनाने वाले छोटे उद्योगों को भी समर्थन देगा, जिससे आसपास के क्षेत्रों में आर्थिक विकास होगा। उन्होंने कहा कि रोजगार के अवसर फैक्ट्री से परे भी फैले हुए हैं, जिससे किसानों, पशुपालकों, दुकानदारों और मजदूरों को लाभ मिलता है तथा व्यापक आर्थिक प्रगति सुनिश्चित होती है।

मोदी ने जोर देकर कहा कि विकसित भारत के निर्माण के लिए आदिवासी क्षेत्रों का विकास आवश्यक है। आदिवासी समुदायों के उत्थान के लिए पिछले 11 वर्षों में अभूतपूर्व प्रयास किए गए हैं। गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में काम करने के उनके लंबे अनुभव ने राष्ट्रीय स्तर की पहल में योगदान दिया है।

मोदी ने उस समय को याद किया जब गुजरात में आदिवासी बच्चों को विज्ञान की पढ़ाई करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आज, पूरे आदिवासी क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध है, अच्छे कॉलेज, आईटीआई, मेडिकल कॉलेज और इन समुदायों की सेवा करने वाले दो समर्पित आदिवासी विश्वविद्यालय हैं।