रायपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि विकसित भारत बनाने की अहम यात्रा में ब्रह्मकुमारी जैसी संस्थाओं की बहुत बड़ी भूमिका है।
मोदी ने यहां नवा रायपुर के सेक्टर-20 में ब्रह्माकुमारी संस्थान के नवनिर्मित ‘शांति शिखर रिट्रीट सेंटर-एकेडमी फॉर ए पीसफुल वर्ल्ड’ का लोकार्पण करने के बाद कहा कि वह बीते कई दशकों से इस संस्था से जुड़े रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद भी, आजादी के अमृत महोत्सव से जुड़ा अभियान हो, स्वच्छ भारत अभियान हो, या फिर ‘जल जन अभियान’ इन सबसे जुडने का मौका हो, वह जब भी इस संस्था के लोगों के बीच आये हैं, उनके प्रयासों को बहुत गंभीरता से देखा है। हमेशा अनुभव किया है, यहां शब्द कम, सेवा ज्यादा है।
उन्होंने कहा कि इस संस्थान से उनका अपनापन, खासकर, जानकी दादी का स्नेह, राजयोगिनी दादी हृदय मोहिनी जी का मार्गदर्शन, ये उनके जीवन की विशेष स्मृतियों का हिस्सा है, मैं बहुत भाग्यवान रहा हूं। शांति शिखर की इस संकल्पना में उनके विचारों को साकार होते हुए, मूर्तिमंत होते हुए देख रहा हूं।
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में यह संस्थान विश्व शांति के सार्थक प्रयासों का प्रमुख केंद्र होगा। विश्व शांति की अवधारणा भारत के मौलिक विचार का हिस्सा है। यह भारत की आध्यात्मिक चेतना का प्रकट रूप है। उन्होंने कहा कि आत्म संयम से आत्मज्ञान, आत्मज्ञान से आत्म-साक्षात्कार और आत्म-साक्षात्कार से आत्मशांति। इसी पथ पर चलते हुए शांति शिखर अकादमी में साधक वैश्विक शांति का माध्यम बनेंगे।
मोदी ने कहा कि विश्व शांति के मिशन में जितनी अहमियत विचारों की होती है, उतनी ही बड़ी भूमिका व्यावहारिक नीतियों और प्रयासों की भी होती है। भारत इस दिशा में आज अपनी भूमिका पूरी ईमानदारी से निभाने का प्रयास कर रहा है। आज दुनिया में कहीं भी कोई संकट आता है, कोई आपदा आती है, तो भारत एक भरोसेमंद साथी के तौर पर मदद के लिए आगे आता है, तुरंत पहुंचता है।
पर्यावरण से जुड़ी चुनौतियों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत पूरे विश्व में प्रकृति संरक्षण की प्रमुख आवाज बना हुआ है। उन्होंने कहा कि बहुत आवश्यक है कि हमें प्रकृति ने जो दिया है, हम उसका संरक्षण करें, हम उसका संवर्धन करें। और ये तभी होगा, जब हम प्रकृति के साथ मिलकर जीना सीखेंगे।
हमारे शास्त्रों ने, प्रजापिता ने हमें यही सिखाया है। हम नदियों को मां मानते हैं। हम जल को देवता मानते हैं। हम पौधे में परमात्मा के दर्शन करते हैं। इसी भाव से प्रकृति और उसके संसाधनों का उपयोग, प्रकृति से केवल लेने का भाव नहीं, बल्कि उसे लौटाने की सोच, आज यही जीने का तरीका दुनिया को सुरक्षित भविष्य का भरोसा देता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश अभी से भविष्य के प्रति अपनी इन जिम्मेदारियों को समझ भी रहा है, और उन्हें निभा भी रहा है। एक सूर्य, एक दुनिया, एक ग्रिड जैसी भारत की पहल, एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य का भारत का विज़न, आज दुनिया इसके साथ जुड़ रही है। उन्होंने कहा कि भारत ने भू-राजनैतिक सीमाओं से अलग, मानव मात्र के लिए ‘मिशन लाइफ’ भी शुरू किया है। मोदी ने कहा कि समाज को निरंतर सशक्त करने में ब्रह्मकुमारीज़ जैसी संस्थाओं की अहम भूमिका है।
उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है, शांति शिखर जैसे संस्थान भारत के प्रयासों को नयी ऊर्जा देंगे। और इस संस्थान से निकली ऊर्जा, देश और दुनिया के लाखों करोड़ों लोगों को विश्व शांति के इस विचार से जोड़ेगी। प्रधानमंत्री बनने के बाद दुनिया में मैं जहां-जहां गया हूं, एक भी देश ऐसा नहीं होगा, जहां एयरपोर्ट हो या कार्यक्रम का स्थान हो, ब्रह्मा कुमारीज के लोग मुझे मिले न हो, उनकी शुभकामनाएं मेरे साथ न रही हों।



