फिल्में अब सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि बन रहीं समाज जागरण का माध्यम : अमिताभ श्रीवास्तव

अजमेर में बक्सर फिल्म का प्रीमियर शो
अजमेर। फिल्में अब केवल मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि समाज जागरण का माध्यम बन गई हैं। यह बात केंद्रीय विश्वविद्यालय अजमेर के पत्रकारिता विभाग के प्रोफेसर अमिताभ श्रीवास्तव ने नक्सलवादी हिंसा की रक्तरंजित कहानी को बयां करती फिल्म बक्सर के प्रीमियर शो के अवसर पर उपस्थित युवाओं को कही।

यूथ थिंकर क्लब अजमेर और अरावली मोशन की ओर से अजमेर के पीवीआर सिनेमा में गुरुवार को आयोजित प्रीमियर 2 स्क्रीन पर दिखाया गया जिसके प्रति शहर के युवाओं में गजब का उत्साह दिखा। प्रीमियर शो में शहर 200 से अधिक सोशल मीडिया इनफ्लूएंसर, यूथ थिंकर सम्मिलित हुए।

फिल्म देखने के बाद युवा दर्शक तरुण मेहरा ने प्रतिक्रिया देते हुए बताया की नक्सली हिंसा के समाचार तो अखबारों में पढ़े हैं, लेकिन फिल्म देखने के बाद जंगलों में हुए अत्याचारों को का दर्द का अनुभव होने लगा है।

एक अन्य दर्शक और शोध विद्यार्थी ने बताया कि अब तक नक्सलवादी शब्द से केवल हथियार उठाकर हिंसा करने वाला चेहरा ही समझ आता था, लेकिन फिल्म देखने से यह स्पष्ट हुआ है की कैसे नक्सलवादी विचार का नेटवर्क शिक्षा संस्थानों, वकीलों, कोर्ट, मीडिया, साहित्यकारों तक में फैला है।

एक अन्य महिला शोध विद्यार्थी मीता अरोड़ा ने फिल्म पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि फिल्म ने मुझे उन माताओं के प्रति शोक से भर दिया है जिनको नक्सलवादी जहरीली मानसिकता ने निगल लिया है।