जयपुर। राजस्थान में राज्य सरकार ने राज्य के राजकीय चिकित्सा महाविद्यालयों एवं इनसे संबद्ध अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवा प्रबंधन को और मजबूत करने की दिशा में गुरुवार को महत्वपूर्ण निर्णय लिया।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर की मंजूरी के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मेडिकल काॅलेज के प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक, अतिरिक्त प्रधानाचार्य एवं संबद्ध अस्पतालों में अधीक्षकों की नियुक्ति के लिये नियमों में बदलाव करते हुए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये दिशा-निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं।
खींवसर ने कहा कि मेडिकल काॅलेज एवं इससे संबद्ध अस्पतालों में मरीज भार अत्यधिक होने के साथ ही यहां प्रशासनिक कार्यों की अधिकता रहती है और विशेष परिस्थितियों में कार्य सम्पादन किया जाता है। ऐसे में मेडिकल कॉलेजों में पूर्णकालिक रूप से दक्ष एवं कुशल प्रशासक होना आवश्यक है।
इसे देखते हुए राज्य सरकार ने विस्तृत विचार विमर्श के बाद प्रधानाचार्यों, अतिरिक्त प्रधानाचार्यों एवं अधीक्षकों के चयन एवं नियुक्ति के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं, इस जनहितैषी निर्णय से स्वास्थ्य सेवाओं का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा।
चिकित्सा शिक्षा सचिव अम्बरीष कुमार ने बताया कि राजकीय चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक और संबद्ध अस्पतालों के अधीक्षक प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे। वे अपने आचार्य या वरिष्ठ आचार्य जैसे पदीय कर्तव्यों के लिए एक चौथाई से ज्यादा समय नहीं देंगे।
चयनित प्रधानाचार्य एवं अधीक्षक को विभागाध्यक्ष या यूनिट हैड बनने की अनुमति नहीं होगी। इसके लिए उन्हें आवेदन पत्र के साथ इस संबंध में घोषणा पत्र भी देना होगा। उन्हें यह भी शपथ पत्र देना होगा कि वे पीएमसी के पद पर पूर्णकालिक रूप से कार्य करेंगे।
उन्होंने बताया कि राजकीय एवं राजमेस चिकित्सा महाविद्यालयों में प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक पद के लिए वरिष्ठ आचार्य के पद पर कार्यरत राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के दिशा निर्देश के अनुसार पात्र शिक्षक ही आवेदन कर सकेंगे। महाविद्यालय में पात्र चिकित्सक-शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं तो केंद्र या राज्य सरकार द्वारा संचालित अन्य चिकित्सा महाविद्यालयों में कार्यरत पात्र चिकित्सक भी आवेदन कर सकेंगे।
कुमार ने बताया कि इस पद पर नियुक्ति मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित चयन समिति द्वारा साक्षात्कार के माध्यम से की जाएगी। समिति में कार्मिक विभाग एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव और राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय या मारवाड़ चिकित्सा महाविद्यालय के कुलपति सदस्य होंगे। इस पद पर आवेदन के लिए अधिकतम आयु सीमा 57 वर्ष निर्धारित की गई है। प्रधानाचार्य के पद के लिए अधीक्षक या अतिरिक्त प्रधानाचार्य के पद पर तीन वर्ष का कार्य अनुभव एवं विभागाध्यक्ष के पद पर दो वर्ष का अनुभव आवश्यक होगा।
जारी परिपत्र के अनुसार समिति द्वारा प्रधानाचार्य पद के लिए तीन चिकित्सा अधिकारियों का पैनल बनाया जाएगा। सक्षम स्तर से पैनल के अनुमोदन के उपरांत चयनित अधिकारी को प्रधानाचार्य के पद पर पदस्थापित किया जाएगा। राज्य हित में इन चयनित प्रधानाचार्यों को अन्य मेडिकल काॅलेज में भी स्थानांतरित किया जा सकेगा। इनका कार्यकाल प्रथमतः तीन वर्ष का होगा।
इनके कार्यकाल में दो वर्ष की अभिवृद्धि प्रशासनिक विभाग के अनुमोदन उपरांत की जा सकेगी। प्रधानाचार्य द्वारा पद पर कार्य करने में असमर्थता व्यक्त करने या उस पर भ्रष्टाचार, प्रशासनिक अकुशलता एवं गंभीर आरोप होने पर राज्य सरकार द्वारा संबंधित जिला कलेक्टर, संभागीय आयुक्त या अन्य सक्षम अधिकारी अथवा समिति से जांच करवाई जा सकेगी।



