जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय ने वाणिज्य कर विभाग के अधिकारी सुरेंद्र सिंह चावड़ा के मामले में महत्वपूर्ण आदेश देते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह अगले सात दिन में अधिकारी का पूरा बकाया वेतन जारी करे और आवश्यक चिकित्सा खर्चों का मुआवजा भी उपलब्ध कराए।
न्यायाधीश रवि चिरानिया की एकलपीठ ने यह आदेश चावड़ा की पत्नी मेघा कंवर की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। अदालत ने हैरानी जताई कि दो वर्षों से कोमा में इलाजरत एक अधिकारी को विभाग की ओर से न वेतन दिया गया और न ही अन्य लाभ, जबकि परिवार इलाज पर भारी खर्च वहन कर रहा है।
अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि सहायक वाणिज्य कर अधिकारी पद पर कार्यरत चावड़ा सात अगस्त 2023 से ब्रेन हेमरेज के बाद कोमा में हैं। उन्हें 76 प्रतिशत स्थायी विकलांगता हो चुकी है और वह पूरी तरह बिस्तर पर हैं। उनका अगस्त 2024 से वेतन भुगतान रोक दिया गया, जिससे परिवार गंभीर वित्तीय संकट में है।
सुनवाई के दौरान न्यायाधीश चिरानिया ने मौखिक टिप्पणी की कि जब एक महीने की तनख्वाह न मिले तो पूरा परिवार प्रभावित होता है, यहां तो अधिकारी दो वर्ष से कोमा में है। आखिर यह परिवार कैसे चल रहा होगा। अदालत ने इस पर विभागीय रवैये को अमानवीय बताया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने वाणिज्य कर आयुक्त को तलब किया। आदेश के बाद विभाग का चार्ज संभाल रहे राज्य के वित्त सचिव कुमार पाल गौतम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश हुए। अदालत ने उन्हें संवेदनशीलता बरतने को कहा और सात दिन में वेतन एवं बकाया भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।