देखन आवे दूर-दूर से, ऐसा गांव बनाना है…

डूंगरपुर/भेमई। अखिल भारतीय प्रभात ग्राम मिलन के उद्घाटन में बापू दलसुखदास महाराज संंजेली धाम ने कहा कि हमारा हिंदू धर्म सृष्टि की उत्पति के समय से है, 33 कोटि देवता हैं। जिनको जिसकी पूजा करनी है करें, जिसको भी जिसे भी मानना है, मान सकता है पर यह निश्चित है कि हम सब हिंदू ही हैं। उन्होंने कहा मैकाले ने ऐसी शिक्षा योजना बनाई कि आज मनुष्य मशीन जैसे बन गए हैं। हमारी संस्कृति को हर जगह तोड़ने के प्रयास हुए हैं।

डा दिनेशचन्द्र ने कहा कि हम पांच वर्ष पूर्व ऐसी प्रभात ग्राम कार्यशाला में बेतूल मिले थे। हर 5 साल में हम अपने कार्यों की समीक्षा के लिए इसी तरह मिलते हैं। प्रांत प्रचारक विजयानंद ने भी इस सत्र में अपने विचार रखे।

अखिल भारतीय प्रभात ग्राम मिलन में संघ रचना के 41 प्रांतों से 46 मातृशक्ति सहित 464 प्रतिभागी उपस्थित हैं। देशभर से आए प्रतिभागियों का आवास भेमई सहित आसपास के ग्राम जैसे घाटा का गांव, चीतरी, सेमलिया घाटा आदि में किया गया है। लगभग 150- 150 प्रतिभागी सभी गांवों में हैं। सभी मातृशक्ति एवं ग्राम विकास अधिकारियों का निवास भेमई गांव में ही रखा गया है।

राजस्थान क्षेत्र के ग्राम विकास के 30 गांवों से 60 कार्यकर्ता इस कार्यशाला में उपस्थित हैं। मालवा प्रांत से सर्वाधिक 49 प्रतिभागी हैं। सभी प्रांत के ग्राम संयोजकों ने अपने-अपने प्रांत के प्रभात ग्राम के शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कार, स्वावलम्बन, समरसता, सुरक्षा, कृषि व पर्यावरण आदि बिन्दुओं पर कार्य एवं कार्यक्रमों की जानकारी सभी के समक्ष रखी।

संघ के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने सभी की जानकारी को ध्यानपूर्वक सुना। ग्राम विकास के कार्य को नियमित करने से निश्चित ही अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे।

कार्यशाला में संघ के अखिल भारतीय अधिकारी भगैय्या (अभा कार्यकारिणी सदस्य), स्वांतरंजन (अभा बौद्धिक प्रमुख), दिनेश कुमार (अभा ग्राम विकास संयोजक), गुरूराज (अभा ग्राम विकास सह संयोजक), गुणाकर (अक्षय कृषि परिवार), मनोज भाई सोलंकी, सिद्दीनाथ (केन्द्रीय टोली) मिलिन्द (ग्राम संकुल) उपस्थित रहे।

कुल चार सत्रों में आयाम के अनुसार सत्र विभिन्न पंडाल में हुआ जिनके नाम क्रमशः गोविंद गुरु, संत मावजी, संत सती सूरमाल दास, वीर कालीबाई आदि राजस्थान के संतों के नाम से रखे गए हैं।

प्रभात ग्रामों की डॉक्यूमेंट्री भी बनाई गई है, जिसके प्रसारण के लिए भी एक पांडाल तैयार किया गया है। 24 की रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बारां के सहरिया जनजाति का लोक नृत्य, गोविंद गुरु पर एक नाटिका और रामदेव जी महाराज के भजनों की प्रस्तुति भी हुई।