मुंबई। महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा है कि वर्ष 1925 में स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) एक प्रतिष्ठित वैश्विक संगठन बन गया है और इसकी शाखाएं कई देशों में हैं। राधाकृष्णन ने राजभवन में लेखक, विचारक एवं आरएसएस प्रचारक रमेश पतंगे की पुस्तक हम आरएसएस में क्यों हैं? के विमोचन समारोह में यह बात कही।
राज्यपाल ने आरएसएस के बारे में फैलाई जा रही झूठी धारणा का खंडन किया कि यह एक उच्च जाति का संगठन है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आरएसएस ने हमेशा सनातन धर्म के मूल मूल्यों समानता, सेवा और एकता पर आधारित समावेशिता को अंगीकार किया है।
आरएसएस के शताब्दी वर्ष में पुस्तक लाने के लिए पतंगे की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने अच्छी तरह शोध किए गए साक्ष्यों, ऐतिहासिक तथ्यों और तर्कपूर्ण तर्कों के माध्यम से इस राजनीतिक रूप से प्रेरित मिथक को दूर किया है कि आरएसएस एक उच्च जाति का संगठन है।
राज्यपाल ने कहा कि आरएसएस के स्वयंसेवक संकट के समय में राष्ट्र की सेवा लगातार करते रहे हैं, चाहे वह भूकंप, बाढ़, सूखा या रेल दुर्घटनाएं हों।संगठन की स्थापना के बाद उसके कार्यकाल पर विचार करते हुए राज्यपाल ने स्वीकार किया कि पिछले 100 वर्षों में आरएसएस ने कई चुनौतियों का सामना किया है। उन्होंने कहा कि हजारों स्वयंसेवकों और प्रचारकों के समर्पण ने यह सुनिश्चित किया है कि संगठन मजबूत और जीवंत बना रहे।
उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों और देश के बाकी हिस्सों के बीच भावनात्मक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए आरएसएस कार्यकर्ताओं की भी सराहना की। राज्यपाल ने कहा कि पूर्व प्रचारक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आरएसएस से प्रेरित निस्वार्थ सेवा की भावना का उदाहरण हैं।
उन्होंने कहा कि मोदी के नेतृत्व में भारत ने न केवल अपने नागरिकों को मुफ्त कोविड-19 टीके उपलब्ध कराए, बल्कि टीकों का निर्यात करके अन्य देशों को भी सहायता प्रदान की।
इस अवसर पर पतंगे की मूल मराठी पुस्तक आम्ही संघात का आहोत? के अनुवादक डॉ. अश्विन रंजनीकर, राज्यपाल के सचिव डॉ. प्रशांत नारनावरे और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। साप्ताहिक विवेक ने आरएसएस के शताब्दी वर्ष के अवसर पर इस पुस्तक को प्रकाशित किया है। पुस्तक की प्रस्तावना आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने लिखी है।