बिजयनगर। प्रशिक्षण वर्ग में आकर प्रशिक्षणार्थी केवल संस्कृत के अध्यापन तक ही सीमित ना रहे बल्कि स्वयं प्रेरणा से अपने विचारों से संस्कृत भाषा के द्वारा राष्ट्र के उन्नयन के भाव जागृत कर मनसा, वाचा और कर्मणा राष्ट्र के उन्नयन हेतु समर्पित हों। संस्कृत भारती के कार्यकर्ता बन अपने सदाचरण, अनुशासन और समर्पण भाव से भारत के गौरव को प्रतिस्थापित करने के कार्य में लगना ही हमारा कर्तव्य है। इसके लिए हमें अपने समान विचार और चिंतन वाले कार्यकर्ताओं का सहयोग लेते हुए कार्य करना है।
ये उदगार बिजयनगर कस्बे के आदर्श विद्या मंदिर में चल रहे राज्य स्तरीय संस्कृत प्रशिक्षण शिविर में दिल्ली से आए संस्कृतभारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री जयप्रकाश गौतम ने बौद्धिक सत्र में प्रकट किए।
वर्गसंयोजक सीताराम शर्मा व क्षेत्र संयोजक तगसिंह राजपुरोहित ने बताया कि इस शिविर में पूरे राज्य से आए हुए शिक्षक संस्कृतभारती के कार्यकर्ता के रूप में प्रशिक्षित हो रहे हैं जो आगामी दिनों में विस्तारक के रूप में गांव गांव जाकर संस्कृत को आम बोलचाल की भाषा में बोलना और उसका सरल तरीके से अभ्यास करना सिखाएंगे।
प्रांत प्रचार प्रचार टोली सदस्य परमेश्वर कुमावत ने बताया कि तेरह दिवसीय इस आवासीय शिविर में शिविरार्थी भोजन शब्दों जैसे शाकम् (सब्जी), जलम् (पानी), पूरिका( पुड़ी), सूपः(दाल), रोटिका(रोटी), तेमनम् (कढ़ी), आलुकम्(आलू), पायसम् (खीर) आदि शब्दों सहित फेणकम् (साबुन), कंकतम्(कंघा), चमसः(चम्मच), चषकः(गिलास), उपनेत्रम्(चश्मा), आसन्दः(कुर्सी), उत्पीठिका(मेज) जैसे दैनिक उपयोग आने वाले शब्दों का प्रयोग भी सीख रहे हैं।
इस अवसर पर संस्कृत भारती के क्षेत्रीय संगठनमंत्री कमलशर्मा, प्रांत कोषप्रमुख महेशचंद्र शर्मा, रतन काबरा, गिर्राज वैष्णव, ललित शर्मा, महावीर कुम्हार, शंकर सेन, बलवंत गर्ग आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे।