तेजाजी महाराज के उसरी गेट स्थित मंदिर पर भरा विशाल मेला


अजमेर।
तेजाजी महाराज के उसरी गेट स्थित 200 साल से भी अधिक पुराने मंदिर में सोमवार को भक्तों ने तेजाजी के दर्शन किए। श्रद्धालु बडी संख्या में नाचते गाते थान पर पहुंचे और चूरमे का भोग लगाया तथा मन्नत मांगी। इस मौके पर मंदिर को आकर्षक तरीके से सजाया गया। समूचे परिसर में रंगीन लाइटों से रोशनी की गई।

अलसुबह से ही तेजाजी के थान पर झंडे व प्रसाद चढ़ाने के लिए भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो गया जो देर शाम तक चलता रहा। श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की तथा नारियल, दूध, खीर का भोग लगाया। शाम को ढोल नगाडों की गूंज के बीच मंदिर परिसर में सवारी पहुंची। माली समाज की ओर से भी केसरगंज से जुलूस के रूप में झंडा लेकर समाजबंधु तेजाजी मंदिर पहुंचे। दिन में साध्वी अनादि सरस्वती ने भी दर्शन किए। शाम को मसाणिया भैरव धाम राजगढ के उपासक चंपालाल महाराज ने तेजाजी महाराज की पूजा अर्चना की। उन्होंने तेजाजी के जयकारे लगवाए साथ ही मेलार्थियों नशा मुक्ति होेने का संदेश दिया।

मंदिर व्यवस्थापक राजकुमार गहलोत ने बताया कि मेले की पूर्व संध्या पर भजन संध्या का आयोजन किया गया। इसमें भजन मंडलियों ने प्रस्तुतियां दी। नर्बदेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट केे महेश चौहान ने कहा कि मेले से पूर्व की मंदिर परिसर में मरम्मत तथा रंग रोगन का काम किया गया ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी नहीं उठानी पडे। उन्होंने मेले में कानून व्यवस्था संभालने वाले पुलिस जाप्ते का आभार जताया।

मेले में परंपरागत दुकानें और झूलों का आकर्षण

शहर के बीचोंबीच भरने वाले इस मेले में उमडी भारी भीड तथा परंपरागत तरीके से लगने वाली दुकानों तथा मनोरंजन के लिए लगाए गए झूलों ने मेलार्थियों की खुशी को दुगुना कर दिया। सुबह से ही केसरगंज से लेकर ब्लू केसल, रावण की बगीची से उसरी गेट तक स्टालें लगना शुरू हो गई थीं। दिन चढने के साथ मेला परवान चढने लगा। शाम ढलने के साथ समूचा मेला क्षेत्र भीड से अट गया। मणिहारी से लेकर खान पान की स्टालों पर खरीदारों का जमघट लगा रहा। सीमित जगह होने के कारण छोटे झूले लगे नजर आए।

सांपों के देवता के रूप में पूजे जाते हैं तेजाजी

लोक देवता तेजाजी को सांपों के देवता के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि किसी भी तरह के नाग दंश पर तेजा के नाम का धागा व मनौती मांगने पर सांप का जहर उतर जाता हैं। वीर तेजाजी राजस्थान में बहुत लोकप्रिय रहे हैं। तेजाजी का जन्म चौधरी तहर और सुगना के यहां 29 जनवरी 1074 को हुआ था। पूरे राज्य में उनकी पूजा की जाती है। उनका जीवन वीरता के किस्सों से भरा हुआ था। उन्होंने अपने लोगों के सम्मान को बचाने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। हर साल आयोजित होने वाला यह मेला आम तौर पर भाद्रपद माह के 10वें दिन मनाया जाता है। अजमेर ही नहीं वरन पूरे राज्य में विभिन्न स्थानों पर उनकी स्मृति में मेले आयोजित किए जाते हैं। भाद्रपद की शुक्ल दशमी तिथि को तेजा दशमी के रूप में मनाया जाता हैं।