सिरोही में कांग्रेस काडर में विश्वास खत्म, भाजपा में विवाद नहीं रहा थम

सिरोही भाजपा और कांग्रेस।
सिरोही भाजपा और कांग्रेस।

सिरोही। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के शासन काल ने सिरोहीे जिले के कांग्रेस काडर में कांग्रेस राज में उनके काम होने के विश्वास को खत्म कर दिया है। मुख्यमंत्री के आगमन पर आबूरोड के आयुक्त के कथित भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद भी उसके यहीं टिके रहने के मामले में पूरे जिले में कांग्रेस के खिलाफ एक नकारात्मक संदेश प्रसारित कर दिया था।

ऐसे में जिले में सिरोही विधानसभा में संयम लोढ़ा गुट को छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस लगभग निष्प्राण हो चुकी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और गोविंदसिंह डोटासरा के नेतृत्व ने कार्यकर्ताओं का वो हाल कर दिया है कि अब कांग्रेस कार्यकर्ताओं के कहने पर लोग नोटा को वोट दे देंगे लेकिन, कांग्रेस को नहीं। स्थाई वोट आ जाएं या कोई करिश्मा हो जाए तो गनीमत है।

गहलोत सरकार में जिले में फैला भ्रष्टाचार और बैड गवर्नेंस ने जिले में कांग्रेस की स्थिति को तीनों ही विधानसभाओं में दयनीय बना दिया। हालत ये है कि खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस जिले में अपनी चार साल पहले की गई घोषणाएं और दावे लागू नहीं करवा पाए हैं।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद की गद्दी बचाने के चक्कर में जिले  में कांग्रेस गर्त में जाती गई। उन्होंने विवाद टालने को लेकर राजनीतिक नियुक्तियां की नहीं। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को जिले में अपने काम होने की संभावना थी उनके काम हुए नहीं ऐसे में उनका पार्टी से मोहभंग हुआ हो या नहीं हुआ हो चुनाव में कमजोर नेताओं से मोह भंग हो चुका है।

यही कारण है कि तमाम तरह की योजनाएं और विकास कार्य करवाने के दावे के बाद भी खुद राहुल गांधी को और तमाम सर्वे में ये विश्वास नहीं है कि अशोक गहलोत आसानी से वापस लौट पाएंगे। गहलोत अपने शासन के बावजूद अगले चुनाव में जो दो सीटें तीसरी बार हारने जा रहे हैं उनमें से दो सिरोही की होने वाली हैं।

अशोक गहलोत सरकार के सिरोही की तीनों सीटों पर वापस लौटने की एक ही सूरत है। वो है वसुंधरा फेक्टर। अगर भाजपा उन्हें हाशिये में डालती है तो कांग्रेस लौट सकती है नहीं करती तो अशोक गहलोत सरकार  का जिले से वनवास तय है। लेकिन, जिले की तीनों ही सीटों पर बैड गवर्नेंस और भ्रष्टाचार की वजह से फिलहाल कांग्रेस हारती हुई ही दिख रही है। सिरोही विधानसभा के निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा यदि कांग्रेस से लडते हैं तो जरूर एक सीट पर नेक टू नेक फाइट देखने को मिल सकती है। आज भी इस सीट पर संयम लोढ़ा को तगडी टक्कर देने की स्थिति में ओटाराम देवासी ही ज्यादा नजर आ रहे हैं। यदि ये नहीं होता तो सिरोही विधानसभा से फिर से भाजपा की विदाई होनी तय है।

बालाजी भवन में क्यों गुस्साए भाजपाई

पिछले सप्ताह सरूपगंज के बालाजी भवन में जिला प्रभारी और दिल्ली प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने मीटिंग ली। मीटिंग तीन श्रेणी में थी। एक श्रेणी पंचायतों और नगर निकायों के जनप्रतिनिधियों की। दूसरी श्रेणी में मंडल पदाधिकारियों की। तीसरी श्रेणी में मोर्चो के जिला पदाधिकारियों की। इस बैठक में भी उसी मुद्दों को लेकर बवाल हुआ जिसे लेकर सिरोहीे जिला मुख्यालय पर भाजपा के जिला कार्यालय के उद्घाटन के लिए हुआ।

यहां पर जनप्रतिनिधियों की बैठक में बुलवाया तो सिर्फ नगर निकायों और पंचायतराज के जनप्रतिनधियों को गया था, लेकिन, इसमें स्थानीय विधायक समाराम गरासिया भी पहुंच गए थे। क्योंकि टिकिट की दावेदारी करने वाला कोई भी व्यक्ति इस बैठक में अपेक्षित नहीं था इसलिए समाराम गरासिया को उपेक्षित रखकर बैठक से अलग रखा गया।

इसी बैठक में सिरोही नगर निकाय के जनप्रतिनिधियों ने हंगामा काटा। इसमें उन्होंने बताया कि उन्हें बैठक की सूचना ही नहीं दी गई। वरिष्ठ पदाधिकारी इसका दोष जिला महामंत्री योगेश गोयल पर मढ़ते दिखे। मंडल पदाधिकारियों की बैठक में भी इसी तरह का वाकया देखने को मिला। सूचना संप्रेषित करने वाले पदाधिकारी ने आधी अधूरी सूचना प्रसारित की। इस कारण कुछ मंडल के तो सभी प्रमुख पदाधिकारी पहुंच गए, कुछ के सिर्फ मंडल अध्यक्ष ही पहुंचे। कुछ मंडल अध्यक्ष ने तो इसी को लेकर सूचना सही से संप्रेषित नही करने को लेकर भी रोष जताया।

जिले में संगठन को किस तरह से चलाया जा रहा है और किस तरह के लोगों को संगठन से जोड़ा गया है इसकी भी बानगी इस बैठक में मिली। उपाध्याय ने कुछ सवाल जवाब भी किए। इनमें दायित्व संभाले कार्यकर्ताओं से बूथों की संख्या, शक्ति केन्द्रों की संख्या आदि के बारे में सवाल जवाब हुआ। आश्चर्य की बात ये कि बैठक में आए कई पदाधिकारी तो इसे लकर बगले झांकने लगे।

आधी अधूरी सूचना पहुंचाने को लेकर सिरोही जिला कार्यालय के उद्घाटन के दौरान जो हंगामा हुआ उसका असर हुआ। उस दौरान सिरोही नगर मंडल के पदाधिकारियों ने सिरोही विधानसभा प्रभारी बनाए गए जयसिंह राव को हटाने की मांग की थी। सूत्रों के अनुसार उस पर अमल करते हुए किरण राजपुरोहित को वहां का प्रभारी बनाया गया है। किरण राजपुरोहित खुद भी सिरोही विधानसभा से भाजपा के टिकिट के दावेदार हैं।

उधर भाजपा के आईटी सेल की मीटिंग सिरोही के रीको स्थित एक भवन में हुई। इस भवन में भी जिले के पूर्व पदाधिकारी पहुंच गए। इसमे उन्होंने जिला कार्यालय को छोडक़र यहां पार्टी की मीटिंग करने पर जिला प्रभारी से आपत्ति जताई।